विश्वास का परिमाण 4 – आत्मिक विश्वास कैसे प्राप्त किया जाता है-2 ?
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, आत्मिक विश्वास प्राप्त करने के लिए, दूसरी बात, हमें परमेश्वर के वचन को लगन से सुनना और सीखना है और उसका अभ्यास करना है।
रोमियों 10ः17 कहता है, “सो विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है।“
जैसा कि कहा गया है, सबसे पहले हमें परमेश्वर के वचन को सुनना और सीखना है और अपने हृदय को सत्य से भरना है।
यदि आप अपने हृदय को सत्य से भरते है, तो जो सत्य के विपरीत है, तो जो असत्य है वह आप में से निकल जाएगा और आपका हृदय निर्मल बन जाएगा।
जिस हद तक आप अपने हृदय को साफ करते हैं, उस हद तक परमेश्वर आपको अधिक आत्मिक विश्वास देते हैं।
1 यूहन्ना 3ः21-22 कहता है, हे प्रियो, यदि हमारा मन हमें दोष न दे, तो हमें परमेश्वर के साम्हने हियाव होता है। और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे भाता है वही करते हैं।“
साथ ही, बाइबल में, इस तरह की परमेश्वर की कई प्रतिज्ञाएँ हैं।
परमेश्वर निश्चित रूप से अपने प्रतिज्ञाओ को पूरी करता है। इसलिए, वह अपने बच्चों को आत्मिक विश्वास देता है जो अपने हृदय को सत्य अर्थात परमेश्वर के वचन से भरते हैं और वचन के अनुसार जीते हैं, और जब वे विश्वास से मांगते हैं, तो वह निश्चित रूप से उनको उत्तर देता हैं।
यदि आपके हृदय का भूमि बहुत अच्छी है, तो आप विश्वास कर सकते हैं जैसे ही आप वचन को सुनते हैं और सीखते हैं, इसलिए आपका आत्मिक विश्वास बहुत तेज़ी से बढ़ेगा।
लेकिन ज्यादातर मामलों में, जब आप वचन सुनते हैं, तो आप पहले इसे ज्ञान के रूप में रखते हैं और फिर इसे आत्मिक विश्वास में बदलते हैं।
ज्ञान के रूप में संग्रहित परमेश्वर के वचन को हमारे हृदय में आत्मिक विश्वास के रूप में भरे जाने के लिए एक प्रक्रिया है। अर्थात्, परमेश्वर के वचन को ज्यों का त्यों मानने का कार्य होना चाहिए।
उदाहरण के लिए, भले ही आप पियानो प्रदर्शन के संगीत स्कोर को याद करते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप पियानो को बहुत अच्छी तरह बजा सकते हैं। भले ही आप गोल्फिंग पर किताब पढ़ते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप अच्छी तरह से गोल्फ खेल सकते हैं।
पुस्तको के अनुसार आपको पियानो और गोल्फ खेलने का अभ्यास करना होगा।
परमेश्वर के वचन के साथ भी ऐसा ही है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप परमेश्वर के वचन को कितना पढ़ते और सुनते हैं, यदि आप वचन को क्रियाओ में प्रगट नहीं करते हैं तो यह किसी काम का नहीं है।
जो लोग वचन के अनुसार कार्य नहीं करते हैं, उनके लिए परमेश्वर का वचन केवल ज्ञान का एक टुकड़ा है, जैसे बाइबल में लिखे पत्र। लेकिन जब आप वचन का अभ्यास करते हैं, तो यह सजीव और सक्रिय हो जाता है, और यह उत्तर और आशीष के सुंदर फल के रूप में सामने आता है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर आपको वचन का पालन करने के आपके कार्यों को देखते हुए आपको आत्मिक विश्वास देता है।
बेशक, भले ही आप आज्ञा मानने की कोशिश करते हैं, ऐसे समय होते हैं जब आप तुरंत पालन नहीं कर सकते।
आप परमेश्वर के वचन के अनुसार दूसरों से प्रेम करने की कोशिश करते हैं, लेकिन आप अपनी नफरत को अपने हृदय से नहीं निकाल सकते हैं और आप कभी-कभी कोशिश न करने पर भी गुस्सा हो जाते हैं।
तब, आपको उत्साहपूर्वक प्रार्थना करनी होगी और आज्ञापालन करने की ताकत प्राप्त करनी होगी। यदि आप प्रार्थना करने पर भी नहीं मान पाते हैं, तो आप ताकत प्राप्त करने के लिए वाचा की प्रार्थना, रात की प्रार्थना या उपवास भी कर सकते हैं।
यदि आप अपने सच्चे हृदय से परमेश्वर के अनुग्रह और सामर्थ्य की खोज करते हैं, तो परमेश्वर निश्चित रूप से आपको आज्ञापालन करने की ताकत देगा।
आपमें आत्मिक विश्वास तभी हो सकता है जब आप वचन का पालन करते रहें। एक बार जब आप वचन का अभ्यास करके आत्मिक विश्वास प्राप्त कर लेते हैं, तो आप पर परमेश्वर की प्रतिज्ञा के अनुसार आशीषें आती हैं।
आपकी आत्मा समृद्ध होगी, आप स्वस्थ रहेंगे और आपके हृदय की इच्छा पूरी होगी।
इन आशीषों का अनुभव करने के बाद, आप और भी बड़ी बातों का पालन कर सकते है, और उस प्रक्रिया के माध्यम से, आप और अधिक विश्वास प्राप्त कर सकते है।
रोमियों 1ः17 कहता है, क्योंकि उस में परमेश्वर की धामिर्कता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा॥
जैसा कि कहा गया है, “विश्वास से विश्वास“ हम ज्ञान के रूप में विश्वास से आत्मिक विश्वास की ओर बढ़ सकते हैं और छोटे विश्वास से बड़े विश्वास की ओर बढ़ सकते हैं जब हम वचन सुनते हैं।
बेहतर समझ के लिए मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। आप अपनी प्यास कैसे बुझाते हैं? आप सिर्फ पानी पी सकते हैं, है के नही?
यह कथन कि, “यदि आप पानी पियेंगे तो आपकी प्यास बुझ जाएगी,“ ज्ञान के रूप् में विश्वास है।
क्या आप इस तथ्य को अपने हृदय में मानते हैं? आप प्यासे होने पर पानी खोजते हैं क्योंकि आप ऐसा मानते हैं।
लेकिन हम कहते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति है जो ज्ञान के रूप में जानता है कि पानी पीने से उसकी प्यास बुझ जाएगी, लेकिन वास्तव में वह पानी नहीं पीता क्योंकि उसे संदेह है कि पानी वास्तव में उसकी प्यास बुझाएगा या नहीं।
तब, क्या हम कह सकते हैं कि वह वास्तव में विश्वास करता है? वह इसे ज्ञान के रूप में जानता है, लेकिन वह इसे अपने हृदय की गहराई में नहीं मानता। यदि वह वास्तव में विश्वास करता है, तो वास्तव में पानी पीने की अपनी क्रिया को दिखाऐगा।
पानी पीने से आपकी प्यास बुझ जाएगी, यह बात शुरू में आपके लिए ज्ञान थी।
अब, आपने अपने ज्ञान के अनुसार कार्य किया। तब सचमुच आपकी प्यास बुझ गई। यह आपका अनुभव बन जाता है और बाद में यदि आप प्यासे हैं तो आप स्वाभाविक रूप से पानी की खोज करेंगे।
एक क्रिया के माध्यम से, आप हृदय की गहराई में विश्वास करने लगते हैं, तो अगली बार से, आपका कार्य स्वतः ही अनुसरण करता है।
परमेश्वर के साथ भी ऐसा ही है। जब आप बाइबल के वचन सुनते हो, यदि आप विश्वास के साथ राई के दाने के बराबर भी आज्ञापालन करते है, तो आप कर्म करते हुए विश्वास का अनुभव प्राप्त करेंगे। उस अनुभव के द्वारा आप आत्मिक विश्वास प्राप्त कर सकते हैं।
फिर, जिस हद तक आपको आत्मिक विश्वास ऊपर से दिया जाता है, आप अगली बार के वचन के अनुसार अधिक आसानी से कार्य कर सकते हैं।
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, यदि आपका आत्मिक विश्वास बढ़ता है और यह पूर्ण मात्रा तक पहुँचता है, तो आप कुछ भी पालन कर सकते हैं, भले ही परमेश्वर आपको कुछ असंभव करने की आज्ञा क्यों न दे।
उदाहरण के लिए, अब्राहम ने परमेश्वर की उस आज्ञा का पालन किया जिसमें उसने कहा था कि वह अपने इकलौते पुत्र इसहाक को, जिसे उसने 100 वर्ष की आयु में जन्म दिया था, होमबलि के रूप में चढ़ाए।
एक सामान्य व्यक्ति के लिए ऐसी बात की कल्पना करना भी असंभव होता, लेकिन उसने बिना किसी झिझक के तुरंत आज्ञा मान ली।
अब्राहम के पास आश्वासन था कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान है, और उसका विश्वास था कि परमेश्वर उसके पुत्र को फिर से जीवित कर देगा भले ही उसने उसे होमबलि के रूप में चढ़ाया हो।
जब उसने विश्वास के साथ कुछ असम्भव बात का पालन किया, तो उसे इतनी बड़ी आशीषें मिलीं। उसे विश्वास के पिता और आशीष के स्रोत के रूप में स्थापित किया गया, और उसें परमेश्वर के मित्र के रूप में पहचान दी गई
मुझे आशा है कि आप अब्राहम की तरह उन सभी वचनों का पालन करेंगे जो आप सुनते है और अपने कर्मों से अपने विश्वास का प्रमाण दिखायेंगे।
मैं आपसे आग्रह करता हूं, ऐसा करने के द्वारा, परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए और निरंतर अधिक मात्रा में विश्वास प्राप्त करने के लिए, ताकि आप हर पल सर्वशक्तिमान परमेश्वर की सामर्थ का अनुभव कर सकें।
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, आज, मैंने आत्मिक विश्वास प्राप्त करने के दो तरीके बताए।
पहले, मैंने आपसे कहा था कि हमें मनुष्यों के उन सभी विचारों और सिद्धांतों को ध्वस्त करना होगा जो हमें परमेश्वर के वचनों पर विश्वास करने से रोकते हैं।
फिर, दूसरी बात, हमें परमेश्वर के वचन का पालन करना होगा क्योंकि आत्मिक विश्वास कर्मों के साथ होता है। यदि आप परमेश्वर के वचन का पालन करके अपना हृदय भरते हैं, तो आप उस हद तक अधिक आत्मिक विश्वास प्राप्त करेंगे जितना कि आप अपने हृदय को सत्य से भरते हैं।
आखिरकार, हर एक के विश्वास का परिमाण इस बात से तय होता है कि उसका हृदय कितना सत्य से भरा है और वह कितना पवित्र है।
तब, यह सुनने के बाद, कुछ लोग आश्चर्य कर सकते हैं, “मैं पूरी तरह से वचन के अनुसार नहीं जी रहा हूँ और मुझे केवल थोड़ा ही विश्वास है, तो क्या इसका मतलब यह है कि मैं अपनी प्रार्थनाओं का उत्तर प्राप्त नहीं कर सकता हूँ?“
लेकिन यह सच नहीं है। हर एक के विश्वास के परिमाण के बावजूद, यदि आपका पात्र किसी विशेष समस्या का उत्तर प्राप्त करने के लिए तैयार है, तो परमेश्वर आपको उस मामले के बारे में आत्मिक विश्वास देता है।
उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति अपनी बीमारी से चंगा होना चाहता है, तो उसे न केवल होठों से स्वीकार करना चाहिए कि वह विश्वास करता है बल्कि उसे अपने विश्वास का प्रमाण दिखाना होगा और उत्तर प्राप्त करने के लिए पात्र तैयार करना होगा।
अर्थात्, उसे प्रार्थना, उपवास, और पूरी रात्रिभर की प्रार्थना करनी चाहिए, और भेंट चढ़ानी चाहिए, और लगन से ऐसे काम करने चाहिए जो परमेश्वर को प्रसन्न कर सकें।
एक बार जब उत्तर के लिए पात्र विश्वास के कार्यों को इकट्ठा करके तैयार हो जाता है, तो परमेश्वर उसे उसके हृदय में सच्चा विश्वास देता है, और उस विश्वास के द्वारा वह चंगा हो जाएगा।
जब परमेश्वर हमारे द्वारा तैयार किए गए उत्तर के लिए आत्मिक विश्वास को पात्र में भरता है, तो हम परमेश्वर से उत्तर प्राप्त करते हैं।
इस प्रक्रिया में, कम विश्वास रखने वालों की तुलना में अधिक विश्वास वाले लोग उत्तर के लिए पात्र को अधिक आसानी से तैयार कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, जब एक निश्चित उत्तर प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं, तो अधिक विश्वास वाले लोगों की प्रार्थना की सुगंध कम विश्वास वाले लोगों की तुलना में कहीं अधिक घनी और अधिक सुंदर होगी।
यही कारण है कि कुछ लोग केवल एक दिन के लिए प्रार्थना करने पर उत्तर प्राप्त करते हैं और कुछ को एक सप्ताह से भी ज्यादा लग जाता है यहां तक कि उनका प्रार्थना विषय एक ही होता है।
इस प्रकार, कम विश्वास रखने वाले भी अपनी प्रार्थनाओं का उत्तर प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन अधिक विश्वास रखना कहीं बेहतर है।
लेकिन आपके लिए अधिक विश्वास रखने का अधिक महत्वपूर्ण कारण यह है कि आपके विश्वास के परिमाण के अनुसार आपके स्वर्गीय निवास स्थान अलग अलग होंगे।
आपके विश्वास का परिमाण आपके स्वर्गीय निवास स्थान और स्वर्गीय महिमा की सुंदरता के परिमाण को तय करने का मानक है।
मैं अगले सत्र से विश्वास के परिमाण के बारे में समझाऊंगा, और मुझे आशा है कि आप संदेशों के माध्यम से महान और आत्मिक विश्वास प्राप्त करेंगे।
आप जो कुछ भी प्रार्थना में मांगे उसका उत्तर प्राप्त करें और परमेश्वर को महिमा दें, और सबसे शानदार स्वर्गीय निवास स्थानो में प्रवेश करें, मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं!