अंत में, एक पिता का विश्वास ही वह स्तर है जिसमे जो आदि से है, तुम उसे जानते हो । निःसंदेह, जो आरंभ से है वह परमेश्वर है।
लेकिन इस स्तर पर परमेश्वर को जानना एक बालको के स्तर पर परमेश्वर को जानने से बिल्कुल अलग है। बालको के विश्वास के आधार पर परमेश्वर को जानना वैसा ही है जैसे बच्चे अपने माता-पिता का चेहरा पहचानते हैं और उनकी बातों का पालन करते हैं।
बच्चे अपने माता-पिता को तो जानते हैं, लेकिन वे अपने माता-पिता के बारे में बहुत सी बातें नहीं जानते जैसे कि उनके माता-पिता का गृहनगर, उनका व्यक्तित्व किस प्रकार का है, आदि। भले ही माता-पिता अपने बच्चों को उनके मन में क्या है, इसके बारे में विस्तार से बताएं, लेकिन बच्चे गहराई समझ नहीं पाते हैं।
लेकिन एक पिता का विश्वास परमेश्वर की गहरी बातों और महान सृष्टीकर्ता परमेश्वर की उत्पत्ति को जानने का विश्वास है।
उदाहरण के लिए, क्योंकि मूसा परमेश्वर की उत्पत्ति को जानता था, उसने परमेश्वर से प्रकाशनो को प्राप्त किया और पाँच पुस्तकें लिखीं। मूसा इतने महान विश्वास के स्तर पर था।
चूँकि इब्राहीम ने परमेश्वर के गहरे हृदय को समझा और परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए कर्म दिखाए, इसलिए उसे परमेश्वर के मित्र के रूप में पहचाना गया। यह स्तर उसे जानने का है जो आदि से है।
विश्वास के परिमाण की तुलना मनुष्यों की बढ़ती प्रक्रिया से करते हुए, आपका विश्वास किस स्तर का है?
जो लोग बालको के स्तर पर हैं उन्हें लगन से परमेश्वर के वचन को सीखना चाहिए और बच्चों के विश्वास तक बढ़ने के लिए उसका पालन करना चाहिए। साथ ही, जो लोग बच्चों के विश्वास में हैं उन्हें शीघ्र ही जवानो के विश्वास के स्तर पर आना चाहिए।
यदि आप हर चीज़ में परमेश्वर को महिमा देना चाहते हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की संतान के रूप में एक विजयी मसीही जीवन जीना चाहते हैं, तो आपको कम से कम जवानो के स्तर पर आना चाहिए।
भले ही आप युवा पुरुषों के स्तर पर हों, आपको पिता के स्तर की लालसा करनी चाहिए, पिता के साथ स्पष्ट रूप से संवाद करना चाहिए।
इसके अलावा, यहेजकेल अध्याय 47 में, यहेजकेल द्वारा देखे गए दर्शन में पानी की गहराई के साथ विश्वास के विभिन्न परिमाणो को समझाया गया है।
यहेजकेल ने सपने में देखा कि भवन की डेवढ़ी के नीचे से पानी बह रहा है। पानी भवन के चारों ओर बहता हुआ भवन के बाहर की ओर बह गया।
- यहेजकेल 47ः3-5 कहता है, जब वह पुरुष हाथ में माप ने की डोरी लिए हुए पूर्व ओर निकला, तब उसने भवन से ले कर, हजार हाथ तक उस सोते को मापा, और मुझे जल में से चलाया, और जल टखनों तक था। उसने फिर हजार हाथ माप कर मुझे जल में से चलाया, और जल घुटनों तक था, फिर ओर हजार हाथ माप कर मुझे जल में से चलाया, और जल कमर तक था। तब फिर उसने एक हजार हाथ मापे, और ऐसी नदी हो गई जिसके पार मैं न जा सका, क्योंकि जल बढ़ कर तैरने के योग्य था; अर्थात ऐसी नदी थी जिसके पार कोई न जा सकता था।
यहाँ, जल परमेश्वर के वचन का प्रतीक है। यह परमेश्वर का वचन था जो पवित्रस्थान से निकलकर सारे संसार में फैल गया।
इस दृष्टि का तात्पर्य है कि परमेश्वर अंतिम न्याय में प्रत्येक व्यक्ति के विश्वास को मापेंगे, और न्याय एक भी त्रुटि के बिना किया जाएगा।
उदाहरण के लिए, यदि जल टखनों तक पहुँच जाता है, तो यह छोटे बच्चों का विश्वास है जिसके सहारे उन्हें मुश्किल से बचाया जा सकता है। वह नदी जिसकके पार नहीं जा सका, एक पिता के विश्वास का प्रतीक है, जो पूरी तरह से परमेश्वर के वचन में निवास करता है।
परमेश्वर प्रत्येक व्यक्ति का न्याय उसके विश्वास के अनुसार करता है।
1 कुरिन्थियों 3ः12-15 हमें विश्वास के माप के बारे में एक दृष्टांत भी देता है।
और यदि कोई इस नेव पर सोना या चान्दी या बहुमोल पत्थर या काठ या घास या फूस का रद्दा रखता है। तो हर एक का काम प्रगट हो जाएगा; क्योंकि वह दिन उसे बताएगा; इसलिये कि आग के साथ प्रगट होगाः और वह आग हर एक का काम परखेगी कि कैसा है। जिस का काम उस पर बना हुआ स्थिर रहेगा, वह मजदूरी पाएगा। और यदि किसी का काम जल जाएगा, तो हानि उठाएगा; पर वह आप बच जाएगा परन्तु जलते जलते॥
यहां, नींव यीशु मसीह को संदर्भित करती है।
प्रत्येक व्यक्ति इस नींव पर अपना विश्वास बनायेगा। हर एक के काम के अनुसार, अर्थात् हर एक के विश्वास के कर्मों के अनुसार, उसे मिलने वाले पुरस्कार तय किये जायेंगे।
प्रत्येक के काम प्रगट होने का दिन तीन पहलुओं में बताया जाएगा। सबसे पहले, यह तब होता है जब हमारे चर्च कर्तव्यों के लिए हमारा मूल्यांकन किया जाता है। प्रत्येक तिमाही या वर्ष के अंत में हर एक के फल का मूल्यांकन किया जाएगा कि उसने अपना कर्तव्य किस प्रकार के विश्वास के साथ निभाया।
जिन लोगों ने अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह से निभाया है उन्हें पुरस्कार मिलेगा, लेकिन जिन्होंने नहीं किया है उन्हें फटकार मिलेगी या उन्हें अगली बार कर्तव्य नहीं मिलेगा।
दूसरा, यह तब होता है जब हमारा सामना अग्निमय परीक्षा से होता है। यहाँ तक कि जो लोग उत्साह और विश्वास रखते प्रतीत होते हैं, उन्हें भी कभी-कभी परीक्षाओं का सामना करने पर पता चलता है कि उनमें सच्चा विश्वास नहीं है।
कार्य प्रगट होने का अंतिम दिन परमेश्वर के सामने न्याय का दिन है। हर किसी का काम परमेश्वर के न्याय सिंहासन के सामने प्रकट किया जाएगा और प्रत्येक को पुरस्कार या दंड मिलेगा।
जिनका विश्वास शुद्ध सोने के समान है, वे कठिन परीक्षाओं में भी नहीं डगमगाते। वे धन्यवाद और खुशी के साथ परीक्षाओं पर विजय प्राप्त करते हैं और पहले से भी अधिक आशीषे प्राप्त करते हैं।
लेकिन जैसे-जैसे स्तर चांदी, कीमती पत्थरों, लकड़ी, घास और पुआल तक गिरता जाता है, परीक्षाओं पर विजय पाने की ताकत कम होती जाती है। चांदी जलती नहीं है लेकिन सोने की तुलना में कम कीमती होती है।
हालाँकि कीमती पत्थरों को आग में नहीं जलाया जाता है, लेकिन अगर वे टूट जाएँ तो उनका मूल्य काफी कम हो जाता है।
जो लोग कीमती पत्थरों की तरह विश्वास करते हैं वे आम तौर पर अच्छा प्रदर्शन करते दिखते हैं, लेकिन परीक्षओं में उनका जुनून ठंडा हो जाता है और वे परिपूर्णता खो देते हैं।
लेकिन उनके पास अभी भी उद्धार प्राप्त करने का विश्वास है, और हालांकि सोने या चांदी के विश्वास जितना अच्छा नहीं है, उनके पास स्वर्गीय पुरस्कार भी हैं।
परन्तु लकड़ी और घास आग में जलते हैं। इसका मतलब है कि उनके पास मुश्किल से ही उद्धार प्राप्त करने का विश्वास है, लेकिन उन्हें आग में जला दिया जाएगा, इसलिए उनके पास कोई स्वर्गीय पुरस्कार नहीं होगा।
यदि किसी का विश्वास भूसे के समान है, तो न केवल उसके सारे पुरस्कार जल जायेंगे, बल्कि उसे उद्धार भी नहीं मिलेगा।
वह चर्च जाता है और विश्वास में जीवन व्यतीत करता प्रतीत होता है, लेकिन उसमें उद्धार प्राप्त करने के लिए कोई विश्वास नहीं है। यह भूसे से अपना काम बनाने का मामला है।
मुझे आशा है कि आप में से कोई भी जो इस संदेश को सुन रहे है, बिना काम के भूसे की तरह विश्वास रखते हुए उद्धार प्राप्त करने में असफल नहीं होगा।
घास और लकड़ी का विश्वास पर्याप्त नहीं है, और आपको कीमती पत्थरों और चाँदी के विश्वास से संतुष्ट नहीं होना चाहिए।
मुझे आशा है कि आप सभी में शुद्ध सोने जैसा विश्वास होगा और जब परमेश्वर अंतिम दिन प्रत्येक के कार्य को जांचेगे तो आपको बड़ा सम्मान और पुरस्कार मिलेगा।
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, जैसा कि हमने आज के संदेश में देखा है, बाइबल हमें कई स्थानों पर विश्वास के माप के बारे में बताती है।
इफिसियों 4ः13 कहता है, जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं। “ जैसा कि कहा गया है, हमारे पास मसीह की पूर्णता तक, महान विश्वास का परिमाण होना चाहिए।
ऐसा करने के लिए, यह कहता है, हमें विश्वास की एकता और परमेश्वर के पुत्र के ज्ञान को प्राप्त करना होगा।
इसका मतलब है कि हमें इसे केवल अपने दिमाग में ही नहीं सुनना और जानना चाहिए, बल्कि इसे अपने हृदय में विश्वास करना चाहिए और इसे अपने हृदय में पूरा करना चाहिए।
जब ऐसा करने से आपका पापों से कोई लेना-देना नहीं रह जाता है, तो आप सच्चे संतान बन सकते हैं जो परमेश्वर चाहते हैं, और आप प्रभु के साथ अनंत प्रेम साझा कर सकते हैं, इस पृथ्वी और स्वर्ग दोनों में उनके साथ चल सकते हैं।
यह हमारे मसीही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है।
अगले सत्र से हम विश्वास के परिमाण को पाँच स्तरों में बाँटेंगे और पहले स्तर से आपको समझाएँगे। इसके अलावा, मैं आपसे विश्वास के प्रत्येक स्तर के लिए स्वर्गीय निवास स्थान और मुकुट के बारे में संक्षेप में बात करूंगा।
जब आप लंबी यात्रा पर होते हैं, यदि आपके पास कोई साइनपोस्ट है और आप जानते हैं कि आपको अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए और कितना जाना है, तो आप बीच में रास्ता खोए बिना अधिक ताकत के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
उसी तरह, यदि आप विश्वास के विभिन्न स्तरों को समझते हैं, तो आप अधिक आसानी से पहचान सकते हैं कि आप अभी कहाँ हैं, और आप अधिक विश्वास प्राप्त कर सकते हैं।
मैं प्रभु के नाम पर प्रार्थना करता हूं कि आप परमेश्वर के वचन को समझकर उसका पालन करेंगे, और अपने हृदय को सत्य में बदल देंगे, ताकि आप मसीह की पूर्णता के स्तर तक पहुंच सकें।