विश्वास का परिमाण 2 – शारीरिक विश्वास और आत्मिक विश्वास

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, अगला, विश्वास जो बदल जाता है वह भी शारीरिक विश्वास है। बदलते हुए विश्वास के साथ हम परमेश्वर से उत्तर प्राप्त नहीं कर सकते हैं।

कुछ लोग मेहनत से प्रार्थना करते हैं, लगन से परमेश्वर की आराधना करते हैं और अपने हृदय की इच्छाओं का उत्तर प्राप्त करने के लिए एक उत्साही मसीही जीवन व्यतीत करते हैं। लेकिन अगर उन्हें जल्दी से जवाब नहीं मिलता है, तो वे संदेह करने लगते हैं।

“क्या परमेश्वर वास्तव में जीवित है? क्या वह वास्तव में मेरी प्रार्थनाओं को सुनता है?“ यदि वे इस प्रकार सन्देह करने लगें तो वे अनुग्रह खो बैठते हैं। इसलिए, वे सोचते हैं कि जो उत्तर उन्हें पहले प्राप्त हुए थे या उत्तर प्राप्त करने वाले अन्य लोगों की गवाहियां भी संयोग थीं।

याकूब 1ः6-7 कहता है, पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है। ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा।

इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि इस प्रकार का विश्वास जो बदल जाता है सच्चा विश्वास है।

मरकुस 11ः24 कहता है, इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिये हो जाएगा।
वचन यह नहीं कहता कि विश्वास करने से आप उन्हें प्राप्त करोगे, परन्तु आप उन्हें पहले ही प्राप्त कर चुके है।

रोगों की समस्याओं के साथ भी ऐसा ही है। 1 पतरस 2ः24 का दूसरा भाग कहता है, “… क्योंकि उसके मार खाने से तुम चंगे हुए।“

लगभग 2,000 साल पहले, यीशु ने दुख सहा और हमें हमारे सारे पापों और श्रापों से छुड़ाया, और हम जो इस पर विश्वास करते हैं चंगे हो गए हैं। इसलिए, यदि आप विश्वास के साथ प्रार्थना ग्रहण करते हैं, तो आपको अपने जीवन में और अधिक पीड़ा नहीं होगी, बल्कि आशा से भरे हुए आनंदित और आभारी होंगे।

इसके अलावा, केवल जब आपका विश्वास नहीं बदलता है, हालांकि अभी आपके पास प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं हैं, तो आपके विश्वास को सच्चे विश्वास के रूप में पहचाना जा सकता है।

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, अगला, यह केवल अपने दिमाग में यह जानना कि विश्वास क्या है यह मरा हुआ विश्वास है और इसके साथ-साथ क्रियाओ में प्रगट न करना भी मरा हुआ विश्वास है। परमेश्वर के वचन को जानना और उस पर विश्वास करना दो अलग-अलग बातें हैं।

हमें परमेश्वर के वचन को अपने दिमाग में नहीं बल्कि अपने हृदय की गहराई में विश्वास करना चाहिए, और तभी हमारे कर्म वचन के अनुसार चलेंगे।

लेकिन यदि आप इसे केवल ज्ञान के रूप में जानेंगे तो आपके वचन कर्मो में प्रगट नही होंगे। इस तरह के विश्वास को सिर्फ ज्ञान के रूप में परमेश्वर द्वारा आत्मिक विश्वास के रूप में नहीं पहचाना जा सकता है। इस विश्वास के साथ आप विश्वास के फल की फसल नहीं काट सकते।

उदाहरण के लिए, परमेश्वर कहता है कि वह आपको वही काटने देगा जो आप बोओगे। यह आत्मिक क्षेत्र का नियम है जो स्वास्थ्य और धन सहित हर चीज पर लागू होता है।

सारपत की विधवा ने विश्वास के साथ परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया और लंबे अकाल के दौरान एलिय्याह को अपना अंतिम भोजन दिया।

मानवीय विचारों के साथ, वह भोजन उसके लिए जीवन के समान था और वह उसे नहीं दे सकती थी। लेकिन उसने क्रियाओ के साथ आज्ञा मानी क्योंकि वह विश्वास करती थी।

परिणामस्वरूप, उसने ऐसा वरदान प्राप्त किया कि न तो आटे का डिब्बा समाप्त हुआ और न ही तेल का घड़ा खाली हुआ।

उसने अपने ऊपर 30, 60, और 100 सौ गुना अधिक (जितना उसने दिया) परमेश्वर की आशीष के कार्यों का अनुभव किया।

इसके विपरीत, जिन लोगों में शारीरिक विश्वास है, वे इस तथ्य को अपने दिमाग में जानते हैं, लेकिन जब वे कठिनाइयों में होते हैं, तो वे क्रियाओ में प्रगट नहीं कर पाते हैं। यदि उनके पास पैसो की कमी है, तो वे कभी-कभी उचित दशमांश नहीं दे पाते हैं और विभिन्न भेंट देने में कंजूस हो जाते हैं।

यदि वे वास्तव में विश्वास करते हैं कि जो कुछ वे परमेश्वर के सामने बोते हैं, उसके लिए परमेश्वर उन्हें आशीषों के साथ प्रतिफल देगा, तो वे कभी भी कंजूस नहीं होंगे। लेकिन, क्योंकि वे इसे केवल ज्ञान के रूप में जानते हैं, इसी कारण से वे क्रियाओ में प्रगट नही कर पाते।

इसलिए, भले ही वे यह कहते हुए प्रार्थना करते हैं, “मुझे विश्वास है कि आप मुझे आशीषे देंगे,“ वे अपनी प्रार्थनाओं का फल नहीं पा सकते हैं।
दूसरे उदाहरण के लिए, रोगों की समस्या के साथ भी ऐसा ही है। मान लें कि आपको कैंसर है, और आपके पिता दुनिया के सबसे अच्छे कैंसर विशेषज्ञ हैं और उनमें आपको ठीक करने की क्षमता है।

यदि आप वास्तव में अपने पिता की कुशलताओ पर भरोसा करते हैं, तो आप अपने पिता के पास जाएंगे। आप दूसरे डॉक्टरों के पास नहीं जाएंगे।
उसी तरह, यदि आप वास्तव में विश्वास करते हैं कि परमेश्वर वास्तव में सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञानी है, तो आप परमेश्वर से प्रार्थना सकते हैं जब आपको कोई बीमारी हो। आपको सांसारिक तरीकों का उपयोग क्यों करना है?

लोग अन्य लोगों पर भरोसा करते हैं और सांसारिक तरीकों का उपयोग करते हैं, हालांकि वे अपने दिमाग में परमेश्वर की सामर्थ को जानते हैं, वे अपने हृदय में विश्वास नहीं करते हैं। इन अविश्वास के कार्यो को देखकर हमारा परमेश्वर कितना दुःखी होगा?

2 राजा 16ः12-13 राजा आसा की बीमारी और उसकी मृत्यु के बारे में बात करता है। यह कहता है, “अपने राज्य के उनतालीसवें वर्ष में आसा को पाँव का रोग हुआ, और वह रोग अत्यन्त भयंकर था, तौभी वह रोगी होकर यहोवा को नहीं वैद्यों को ढूँढ़ने लगा। इस प्रकार आसा अपने पुरखाओं के पास सो गया, उसके शासनकाल के इकतालीसवें वर्ष में उसकी मृत्यु हो गई।“
परमेश्वर ने इस अभिलेख को बाइबल में छोड़ दिया ताकि हमें यह एहसास हो सके कि हम परमेश्वर को कितना निराश करते हैं यदि हम यह कहते हुए संसार पर भरोसा करते हैं कि हम उस पर विश्वास करते हैं।

दूसरी बातो के बारे में भी ऐसा ही है। बाइबल हमें हमेशा आनन्दित रहने, सभी परिस्थितियों में धन्यवाद देने, निरंतर प्रार्थना करने, अपने शत्रुओं से प्रेम करने और सबके साथ शांति रखने के लिए कहती है। यहां तक कि अगर हम इन सभी पदों को याद करते हैं, जो उन्हे क्रियाओ में प्रगट नही करते हैं उनके पास केवल शारीरिक विश्वास है, और वे परमेश्वर के कार्यों का अनुभव नहीं कर सकते हैं।

याकूब 2ः26 कहता है, “क्योंकि जैसे देह (आत्मा) बिना मरी हुई है, वैसे ही विश्वास भी कर्म बिना मरा हुआ है।“

मरे हुए विश्वास के साथ हम न तो उत्तर प्राप्त कर सकते हैं और न ही आशीष। हम उद्धार से भी दूर हो सकते हैं। कृपया, इस तथ्य को याद रखें और कर्मों के साथ विश्वास रखें।

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों,
फिर, आत्मिक विश्वास क्या है? आत्मिक विश्वास को मेरे द्वारा समझाए गए शारीरिक विश्वास के विपरीत समझाया जा सकता है।

यद्यपि परमेश्वर का वचन आपके व्यक्तिगत विचारों और ज्ञान से सहमत नहीं है, फिर भी यदि आप परमेश्वर के प्रत्येक वचन पर विश्वास कर सकते हैं, तो वह आत्मिक विश्वास है। एक बार जब आप इस तरह से विश्वास करते हैं, तो आपका विश्वास कभी नहीं बदलता है, और आप परमेश्वर के वचनों के अनुसार कार्यों में आज्ञापालन करते हैं।

यदि आपके पास यह आत्मिक विश्वास है, तो आप कुछ भी नहीं से कुछ बना सकते हैं, और जैसा कि मत्ती 17ः20 में कहा गया है, आप इस पहाड़ को यहाँ से वहाँ जाने की आज्ञा देंगे, और यह चला जाएगा, और आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं होगा। आप अपने परिवार, कार्यस्थल, व्यवसाय, या स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार की समस्या का उत्तर प्राप्त कर सकते हैं, और आप परमेश्वर के राज्य को उसकी सामर्थ से पूरा कर सकते हैं।

लेकिन, यद्यपि आप आत्मिक विश्वास रखते हैं, हर एक के विश्वास का पैमाना अलग-अलग होता है।

जिन लोगों के पास बहुत अधिक आत्मिक विश्वास है, उनके हृदय में केवल इच्छा होने से उत्तर प्राप्त होंगे, जबकि कम विश्वास वाले लोगों को एक ही इच्छा के लिए कई दिनों तक प्रार्थना करनी पड़ती है।

लेकिन अगर मनुष्य के पास वे सभी आत्मिक विश्वास हो सकते हैं जो वे चाहते हैं, तो हर कोई बड़ा विश्वास रखना चाहेगा। लेकिन हम केवल इसलिए आत्मिक विश्वास नहीं प्राप्त कर सकते क्योंकि हम इसे पाना चाहते हैं। यह केवल प्रमेश्वर द्वारा दिया जा सकता है।

फिर, हम आत्मिक विश्वास कैसे प्राप्त कर सकते हैं? यदि आप आत्मिक प्रेम प्राप्त करने का तरीका जानते हैं, तो आपके हृदय की इच्छाओं के लिए उत्तर और आशीष का द्वार चौड़ा हो जाएगा।

मैं आपको समझाऊंगा कि आत्मिक विश्वास कैसे प्राप्त करें।

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, क्या आपने आज के संदेश के द्वारा जांच की कि आपका विश्वास शारीरिक विश्वास है या आत्मिक विश्वास?
बेशक, आप में से कोई भी यह नहीं कहेगा, मेरे पास 100 प्रतिशत आत्मिक विश्वास है।“ परन्तु साथ ही, आप सबका विश्वास केवल शारीरिक विश्वास नहीं है।

आप में से कई लोगों के पास आत्मिक विश्वास है, लेकिन आपके पास उस विश्वास के अलग-अलग परिमाण हैं। आप अभी भी आत्मिक विश्वास में पूर्णता प्राप्त करने के मार्ग पर हैं।

आप जो संदेश सुनेंगे, वे आत्मिक विश्वास के विभिन्न परिमाणो के बारे में होंगे, छोटे विश्वास से बड़े विश्वास में कैसे बढ़ें, और कैसे अपने विश्वास को आत्मिक विश्वास में बदलें।

संदेशों के माध्यम से, आपको स्वयं को खोजने और आत्मिक विश्वास रखने में योग्य होना चाहिए ताकि आप जो वचन सुनते हैं उनका पालन कर सकें। आप विश्वास करेंगे भले ही यह आपके विचारों, ज्ञान और सिद्धांतों से सहमत न हो। और, आपका विश्वास किसी भी परिस्थिति में कभी नहीं बदलेगा।

फिर, जैसा कि कहा गया है, “जो विश्वास करता है उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है,“ परमेश्वर के वायदे आपके जीवन में साकार होंगे और आप ऐसे अद्भुत कार्यों का अनुभव करेंगे जो बाइबल में दर्ज हैं।

आप विश्वास के साथ किसी भी प्रकार की कठिनाई को दूर करने में सक्षम होंगे, अपनी प्रार्थनाओं का उत्तर प्राप्त करेंगे, और विश्वास न करने वाले सांसारिक लोगों को जीवित परमेश्वर का प्रमाण दिखाएंगे।

मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूँ कि आप शीघ्र ही आत्मिक विश्वास को प्राप्त करें, परमेश्वर को प्रसन्न करें, और प्रतिदिन परमेश्वर के कार्यों का अनुभव करें।

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