परमेश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी की सृष्टि की है। और ये भी कि चिन्ह, चमत्कार और सामर्थी कार्य भी वास्तव में हुए हैं।
ये कार्य केवल सृष्टिकर्ता परमेश्वर के द्वारा ही किये जा सकते है किन्तु लोग बाईबल को नकारने कि कोशिश करते हैं, क्योंकि अपने सीमित ज्ञान और विचारों के द्वारा न ही वे उसे समझ पाते हैं और न ही उस पर विश्वास कर पाते हैं लेकिन चिन्ह और चमत्कार जो बाईबल में हैं वे सब सत्य है। यूहन्ना 4ः48 कहता हैं ‘‘यीशु ने इस पर उस से कहा ‘‘जब तक तुम चिन्ह और चमत्कार न देखोगे तब तक विश्वास नहीं करोगे।
जब मनुष्य उन चिन्हों और चमत्कारों को देखता है जो कि मनुष्य की सोचने की सीमा से बाहर होतें है तभी उनकी सोच का बुनियादी ढांचा, और उनके विचार टूट जाते हैं।
और ऐसे ही आप के साथ भी हुआ। आपका ज्ञान, विचार धारा या सोचने का ढंग सब परमेश्वर के चिन्हों चमत्कारों और सामर्थी कार्यों को देखने के बाद ही टूटे।
जब लोग परमेश्वर के कार्य द्वारा कुछ ऐसा अनुभव करते हैं जो उनकी समझ में बिल्कुल असम्भव होता है तब ही वे मानते हैं कि परमेश्वर का वचन सत्य है। हालॉकि उनके अपने विचार इस से मेल नहीं खाते ।इसलिए बाईबल मे परमेश्वर ने हमे अपने सामर्थ्य के अनेको कार्यों ओर चमत्कारों द्वारा दिखाया है कि वह जीवित परमेश्वर है।
मिस्र में फिरौन और उनके अधिकारियों के सामने मूसा ने दस विपतियों के द्वारा जीवते परमेश्वर को सिद्ध प्रकट किया। एलियाह ने भी स्वर्ग से अग्नि प्रकट की और साढ़े तीन साल सूखे के बाद वर्षा की।
यीशु ने चिन्हों और चमत्कारों द्वारा सिद्ध किया है कि वह परमेश्वर का पुत्र है।
प्रेरित पौलूस ने बीमारियों और दुर्बलताओं को चंगा किया। यीशु के नाम में दुष्टात्माओं को निकाला और मृतकों को जीवित कर दिया। जब लोगों ने इन चीजों को देखा जो केवल सृष्टिकर्ता परमेश्वर के द्वारा किए जा सकते थे तब यहां तक की अविश्वासियों ने भी सृष्टीकर्ता परमेश्वर को स्वीकारा और उन्होंने सुसमाचार और उद्धारकर्ता यीशु मसीह को ग्रहण किया।
आज भी जिस समय में हम रह रहे हैं परमेश्वर के ये सामर्थी कार्य जरूरी है। जब मैं दुनिया के अनेकों स्थानों में प्रचार करता हूं तो बहुत से लोग मसीहत मे बदल जाते है। और परमेश्वर के सामर्थी कार्यों, चिन्हों और चमत्कारों को देखने के बाद वे यीशु को ग्रहण करते हैं। और वह लोग भी जिनका विश्वास कमजोर था और सन्देह में थे वे भी मज़बूत विश्वास प्राप्त करत पाये है।
एक अविश्वासी का सृष्टिकर्ता जीवित परमेश्वर में विश्वास करने के लिए परमेश्वर के सामर्थ्य का, चिन्हों और चमत्कारों द्वारा प्रकट होना सबसे अधिक ठोस प्रमाण है।
इस कलीसिया में जब से ये आरम्भ हुई है अनगिनित चिन्ह और चमत्कार हो रहे हैं और जैसे जैसे समय बीत रहा है और भी शक्तिशाली कार्य यहां हो रहे है।
उदाहरण के लिए ला-इलाज बिमारियाँ जैसे कैन्सर, एड्स, दुर्बलताएं और शारीरिक अयोग्यताएं सब परमेश्वर के सामर्थ्य द्वारा चंगी हो रही है।
इन चंगाई के कार्या को कई देशों में मेडिकल चिकित्सको द्वारा जांच कर प्रमाणित किये जा चुके है जैसे कि फिलिपिन्स, हॉन्डूरस, भारत, रशिया, जर्मनी, और पेरू, इन प्रमाणों के द्वारा संसार भर में अनेकों लोगों ने परमेश्वर को ग्रहण किया और अपने हृदय में उस पर विश्वास किया।
और यहां तक की जीवते परमेश्वर के कार्यों को देखकर वे जो ज्ञानवान थे और वे जो मूर्तियों की आराधना कर रहे थे उन्होंने भी सृष्टिकर्ता परमेश्वर को ग्रहण किया ओर उसमें विश्वास किया।
परमेश्वर के सामर्थ्य के ऐसे बहुत से उदाहरण है लेकिन यहां मैं कुछ का परिचय आप को देता हूॅ।
मानमिन सेट्रल चर्च की सीनियर डीकनैस अन डक किम का लगभग पूरा शरीर खौलते पानी के गिरने से बुरी तरह जल चुका था।
शरीर के कुछ हिस्सों को छोड़कर जिसमें मुँह और हाथ शामिल थे अधिकतर उसका शरीर बुरी तरह जल चुका था।
जैसा कि आप सक्रीन पर देख सकते है। इतना गम्भीर रूप से वह जली थी कि वह मर गई होती। यहां तक की यदि वह अस्पताल भी जाती तब भी मर गई होती।
जैसा अभी आप सक्रिन पर देख रहे हैं यह उनके जलने की आरभं की तसवीरें नही है। और जल जाने के बाद वह गिर गई थी और उनके दिमाग पर चोट आ गई थी। वह अपने होश में नही थी और कुछ भी खा नहीं सकती थी। जो आप यहां देख रहे हैं ये उस समय की तसवीरें है जब परमेश्वर ने उन्हे चंगा कर दिया था।
पहले वहां बहुत से बडे़-बडे़ फ़फोले थे और उसके बाद मोटे मोटे खुरंड थे जो चीड़ के पेड़ की छाल जैसे थे। ये तस्वीरें तब ली गई है जब उनके खुरंड गिर चुके थे।
ये 20 साल पहले हुआ था और उस समय हमारे पास विडियो कैमरा नहीं था लेकिन क्योंकि वह स्त्री है, इसलिए केवल शरीर का निचला भाग यहां दिखाया गया है। अब वह 80 साल से ऊपर है और ये उस समय की घटना है जब वह 60 साल के आसपास थी। वह उस दशा में थी जब वह शत-प्रतिशत मर सकती थी यदि वह अस्पताल जाती तौ भी।
लेकिन जब मैंने यीशु मसीह के नाम से उसके लिए प्रार्थना की तो शरीर से तपन दूर हो गई और सारा दर्द जाता रहा। उसके बाद नसें, स्नायु और त्वचा जो उबल चुकी थीं फिर से उनका बनना होना शुरू हो गया। फिर मैं उन्हें (जो-छि-वौन) ले गया जहां मैं प्रार्थना करता था।
और जिस दशा में वह थी यदि अस्पताल भी ले जाया जाता तो भी मर सकती थी लेकिन मैं उन्हें अपने प्रार्थना के स्थान पर ले गया, और क्योंकि शुक्रवार को मुझे चर्च आना होता था इसलिए चार दिन सोम, मंगल, बुध ओर वीरवार को मैं उनके लिए प्रार्थना करने लगा और देखा कि परमेश्वर कैसे अद्भुत रीति से उन्हें चंगा कर रहा था।
वो गर्मीयों का समय था, माँस में से बहुत गन्दी बदबू आ रही थी, मेरा आस-पड़ोस जहां में रह रहा था, वहां धान के खेत और मैदान थे। वहां पर पानी की नहर होने के कारण मक्खियां और किड़े मकौड़े भी थे। इस बहन का मांस तो पहले ही उबल चुका था जो की बिल्कुल बेकार हो चुका था।
उसकी खाल पूरी तरह उबल चुकी थी, यहां तक की नसें, स्नायु, कोशिकाएं, मांसपेशियां सब उबल चुकी थी बेकार हो चुकी थी लेकिन परमेश्वर ने अपने कार्य के द्वारा उसके बेकार भागों को हटा दिया। लेकिन क्या उसे कोई दर्द हुआ? जब तक वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो गई उन्हें कुछ भी दर्द नहीं हुआ।
परमेश्वर ने अपनी विधि के अनुसार उन बेकार हिस्से को हटा दिया। फिर उसने उन हिस्सों को नये मांस से भर दिया। परमेश्वर ने नई चमड़ी, मांस-पेशियां, नसों और मांस को बनाया, मेरी आंखों के ठीक सामने ये सब हुआ। परमेश्वर सर्वशक्तिमान है।
क्योंकि कोशिकाएं तो जल जाने के कारण पहले ही मर चुकी थीं इसलिए किसी भी इन्सानी तरीके द्वारा उनका फिर से निर्माण नहीं हो सकता था। लेकिन सृष्टिकर्ता परमेश्वर जिसने मनुष्य की रचना की है उसने पूरी तरह उस जले हुए हिस्से को फिर से बना कर बिल्कुल नया कर दिया।
कोई दवाई भी उसने नहीं ली और न ही अस्पताल गई। लेकिन उसका शरीर पूरी तरह चंगा हो गया एक बच्चे के शरीर जैसा। उसका पेट, दोनों हाथ और ज्यादा हिस्सा जल चुका था। ज्यादातार इस स्थिति में अस्पताल में इलाज के बाद भी लोगों के शरीर पर बुरे दाग या निशान रह जाते हैं।
लेकिन मेरी प्रार्थनाएं प्राप्त कर लेने के बाद कोई भी दाग वहां नही रह गया हॉलाकि उनकी जलन बहुत ही गंभीर थी और जब परमेश्वर उन्हे चगां कर रहा था उन्हे कोई भी दर्द नही हो रहा था। और वो भी मुफत में और वह बहुत जल्दी चंगी भी हो गई।
यदि वह अस्पताल जाती और बच भी जाती तो उसे चंगा होने में सालों साल लग जाते। साथ ही उन्हे शरीर के उन हिस्सों से मास निकाल कर उन जले हुए हिस्सों मे भरना पड़ता। और सबसे पहले उन्हे सारा बेकार मांस और हिस्सों को हटाना पड़ता। सेचिए ये कितना दर्दनाक होता। शायद वह पागल ही हो जाती। साथ ही आप दाग देख नहीं सकते है। यहां तक की परिवार के सदस्य भी उसके साथ रहना पसंद नही करते यदि वह बच जाती तो।
लेकिन आज वह स्वस्थ्य और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही है और परमेश्वर के राज्य की सेवा भी कर रही है।
मापनमिन चर्च के और भी बहुत से लोग गम्भीर रूप से जले थे लेकिन विश्वास द्वारा प्रार्थना ग्रहण करने के बाद सब के सब चंगे हो गए वे बिना दवाई लिए बहुत जल्दी चंगे हो गयें। कोई दाग या निशान तक उनके शरीर पर नहीं छुटा।
जलने में और अन्य बिमारियों में अन्तर होता है आप इन्हें एक या दो दिन में अच्छा नहीं कर सकते। अन्य बिमारियों की स्थिति में आप पवित्र आत्मा द्वारा बीमारी को या रोगाणु को जला सकते हैं और उसी समय आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन जल जाने की स्थिति में ऐसा नहीं होता। पहले आप को जले हुए भाग को हटाना पड़ता है।
उसे आप इन्सानी तरीके से नहीं हटाते परन्तु परमेश्वर की विधि के द्वारा। और आप को उस जगह को नयें मास से भरना होता है। परमेश्वर को इसे इस प्रकार बराबरी से भरना पड़ता है कि कोई दाग न छूट जाएं। इसलिए इसमें समय लगता है।
मैंने देखा कि परमेश्वर ने तीन बार उस बेकार मांस को हटाया। पहली बार उसने उसे हटाया और नया मांस आने दिया। फिर एक और बार हटाया और नये मांस को आने दिया। फिर उसने तीसरी बार ऐसा किया। ताकि वहां कोई भी अनियमितता या दाग न रह जाऐं।
मैं देख सकता था जब मांसपेशियों और नसों का निर्माण हो रहा था। लाल मांसपेषियों और नसों को मैं अपनी आंखों से देख रहा था।
ठीक उस बहन के पास बैठकर मैने परमेश्वर की चंगा करने की इस विधि को देखा था। इस बारे में मैं बहुत धन्यवादी महसूस करता हूं। इस प्रकार वे सब बिना किसी दवाओं के इस्तेमाल के ठीक हो गये वो भी बिना कीसी दाग के।
और जुलाई 2002 में जब हम होन्डूरस क्रूसेड कर रहें थे उसमें लाखों लोगों ने युनाईटेड क्रूसेड में भाग लिया और परमेश्वर के असंख्य विचित्र कार्य वहां प्रकट हुए।
आईए उन में से एक घटना मैं आपको बताता हूँ मारिया डोमिंग जो कि अब 12 साल की है। जब वह दो साल की थी अपनी दाहिनी आंख की रौशनी खो चुकी थी उस समय उसका कॉरनिया ट्रांसप्लांट हुआ था।
लेकिन सर्जरी ठीक से न होने के कारण वह 10 साल से कोई भी रौशनी देख नहीं सकती थी। लेकिन जब उसने होन्डूरस क्रूसेड में भाग लिया और प्रार्थना प्राप्त की, वह देखने लगी।
सृष्टिकर्ता परमेश्वर के सामर्थ्य द्वारा जिसने स्वयं मनुष्य की आंखों को बनाया है। मारिया की मरी हुई नसें फिर से जिन्दा हो उठी।
इस आश्चर्यकर्मों के साथ साथ और भी बहुत से कार्य सृष्टिकर्ता परमेश्वर हमारी कलीसिया में कर रहा है। आप खुद भी इन कार्यो को हमारे चर्च की वेब साइट या मानमिन टी.वी या और अन्य जुडी हुई संस्थाओं के होमपेजेस पर इन्हें देख सकते हैं।
सो इन प्रमाणों से हम देख सकते हैं कि परमेश्वर जीवित है सृष्टिकर्ता है। जिसने स्वर्ग, पृथ्वी और जो कुछ इनमें है सबको बनाया है।
संसार भर के अस्पतालों के रिकार्ड हमारे पास है उन लोगों के जो लोग मेरी प्रार्थना द्वारा चंगे हुए हैं।
आइये संदेश के निष्कर्ष को देखें। प्यारे भाईयों और बहनों भजन संहिता 53ः1 में लिखा है ‘‘ मूढ़ ने अपने मन में कहा है, कि कोई परमेश्वर है ही नहीं। वे बिगड़ गए, उन्हों ने कुटिलता के घिनौने काम किए हैं; कोई सुकर्मी नहीं।।
सो यदि ऐसे लोग हैं, जो कहते हें कि कोई सर्वशक्तिमान परमेश्वर नहीं है। तो वे इन सामर्थी कार्यो के बारे में जो मेरी प्रार्थनाओं द्वारा हुए हैं क्या कहेंगे? मरी हुई नसें जीवित हो गई, जन्म के अन्धे देखने लगे, बहरों ने सुनना, गुंगों ने बोलना और लंगड़ों ने जिन्हें लकवा और पोलियो हो गया था चलना शुरू कर दिया। और भी अन्य बहुत सी बीमारियां जैसे कैन्सर की अन्तिम अवस्था, लुकिमिया और एड्स जैसे रोग चंगे हो गए। कैसे वे इसे समझाएंगे?
और वे भी जो गर्भवती नहीं हो सकती थी और बच्चा नही पैदा कर सकती थी उन्होने भी बच्चों की आशीष प्राप्त की। और यही नही, जब लोगों ने अपनी फोटो मेरे पास भेजीं और मैंने प्रार्थना कि तो उन्होंने अपने बिमारियों से चंगाई प्राप्त की। कैसे वे लोग इसे समझाएंगे।
तो फिर मैं इन कामों को करने वाला कौन हूं यदि कोई सर्वशक्तिमान परमेश्वर नही है?
अतः केवल मूर्ख और दुष्ट लोग परमेश्वर का इन्कार करने की कोशिष करते हैं क्यांकि वे उसे देख नहीं सकते।
लेकिन जैसा आज ससंदेश में प्रमाणित किया गया, परमेश्वर वास्तव में जीवित है। सृष्टिकर्ता परमेश्वर के प्रमाण स्पष्ट रूप से प्रकृति में और उसके सामर्थी कार्यों में देखे जा सकते हैं।
सभोपदेशक अध्याय 12ः13 में लिखा है ‘‘ सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है।
मनुष्य का मूल कर्तव्य परमेश्वर के सदृश होना है क्योंकि हमारी रचना उसके स्वरूप मे की गई है। नीतिवचन में परमेश्वर कहता है, परमेश्वर का भय मान, उसका अर्थ है सब प्रकार की बुराइयों से छुटकारा प्राप्त करना है।
सो यदि आप वास्तव में परमेश्वर का भय मानते हैं तो क्यों आपको आशीषें प्रात्प नहीं कर पाते है।? क्यों आपको चंगाईंयां और समस्याओं का समाधान प्राप्त नहीं हो पाता है।?
इसमे लिखा है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर। यह मनुष्य का कर्तव्य है कि जो कुछ परमेश्वर हमे करने को कहता है हमे वह करना है। और जिसे करने को वह नही कहता है। उसे नही करना है। जिसे वह रखने को कहता है उसे रखना है और जिसे वह निकाल फैकने को कहता है उसे निकाल फैकना है।
मुझे आशा है कि आप अवश्य ही परमेश्वर में विश्वास करेंगे उसका भय मानेंगे ओर उसकी आज्ञाओं का पालन करेंगे।
जब आप इस तरीके से मनुष्य के कर्तव्य को पूरा करेंगे तो सृष्टिकर्ता परमेश्वर स्वर्ग के राज्य की ओर आप की अगुवाई करेगा और आपकी प्रार्थनाओं और हृदय की इच्छाओं का उत्तर देगा।
वह अपने सामर्थ्य द्वारा उन समस्याओं का समाधान भी निकाल देगा जिसे मनुष्य ठीक नहीं कर सकता है।
और इस तरीके से जब आपको आशीषें और उत्तर मिलेंगे, तो और भी साहस के साथ अविश्वासियों को आप सुसमाचार का प्रचार ये कहते हुए कर सकते है।
‘‘कि इस तरीके से मैं पमरेश्वर से मिला हूँ और उसका का अनुभव प्राप्त किया है’’
मैं प्रभु के नाम में प्रार्थना करता हूं कि आप अपने प्रतिदिन के जीवन में परमेश्वर के कार्यां का अनुभव करें और सारी महिमा केवल परमेश्वर को दें। आमीन