Krus Ka Sandesh 05 – परमेश्वर कौन है?

पिछले दोनो सत्रों पर लगातार बातचीत करते हुए मै आपको बताउंगा कि परमेश्वर किस प्रकार का अस्तित्व है। पहला परमेश्वर सभी वस्तुओ का सृष्टीकर्ता है।
मानवजाति और सब वस्तुएं सयांगवश अस्तित्व में नहीं आ गई। उनकी रचना और रूपरेखा सृष्टिकर्ता परमेश्वर द्वारा की गई है।दूसरी बात परमेश्वर ‘‘मैं जो हूं सो हूं’’ है किसी ने परमेश्वर को जन्म नहीं दिया या उसे रचा है लेकिन वह स्वयं अनन्तकाल से पहले से मौजूद है और अनन्तकाल तक मौजूद रहेगा।
तीसरी बात, परमेश्वर सर्वज्ञानी और सर्वशक्तिमान है, परमेश्वर उन कामों को करने के योग्य है जिसे मनुष्य की योग्यता के द्वारा नहीं किया जा सकता। परमेश्वर अतीत, वर्तमान, भविष्य के बारे में सबकुछ जानता है।
पिछले दो भागों में मैने यहां तक आपको समझाया था। आज मैं परमेश्वर के चौथे पहलू के बारे में आपको बताउंगा।
जो कि है बाइबल का लेखक। मैं आशा करता हूं कि आज के संदेश के द्वारा आप अवश्य विश्वास करेंगे कि बाइबल और परमेश्वर का वचन है सत्य है।
मैं प्रभु के नाम में प्रार्थना करता हूं कि आप अपने विश्वास में परमेश्वर के वचन का पालन करेगें और अभ्यास करेगें और जिन आशीषों की प्रतिज्ञा बाइबल में हैं उस सब को प्राप्त करेंगें।
(मुख्यभाग)
मसीह में प्यारे भाईयों और बहनों, जब आप चर्च जाते हैं तो प्रत्येक को बाइबल में से कुछ न कुछ प्राप्त होता है। बाइबल में उद्धार के मार्ग के बारे में साफ-साफ लिखा है।
वह हमे बताता है कि क्यों परमेश्वर ने मानव जाति को बनाया, वह कैसे मानव इतिहास की अगुआई करता है और हमे मनुष्य जुताई के आदि और अन्त के विषय में बताता है।
वह स्वर्ग और नरक के बारें में, उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के बारे में और मनुष्यों के कर्तव्यों के बारें में भी साफ-साफ बताता है।
जब आप इन बातों में विश्वास करते और अभ्यास में लाते हैं आप जीवन और उद्धार को प्राप्त करेंगे। तब आप स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने की योग्यता प्राप्त करेगे। इस संसार में अनगिनित पुस्तकें हैं, लेकिन केवल बाइबल ही मनुष्यों को उद्धार और जीवन दे सकती है।
तो इस बाइबल को किसने लिखा? पूरी बाइबल में 66 पुस्तके हैं। 39 पुराने नियम में, और 27 नये नियम में,जाना जाता है कि कुल 34 लोगों ने बाइबल को अभिलिखित किया है। 26 लोगों ने पुराने नियम को और 8 लोगों ने नये नियम को।
उदाहरण के लिए, उत्पति की पुस्तक मूसा द्वारा अभिलिखित की गई और सभोपदेशक सूलेमान द्वारा, यशायाह को यशायाह द्वारा, नया नियम प्रेरित पौलूस, पतरस, याकूब और यहूदा द्वारा और सूसमाचार को मत्ति, मरकुस, लूका और यूहन्ना द्वारा अभिलिखित किया गया।
बाइबल को लिखने मे कुल 1600 वर्ष लगे। 1500 वर्ष पुराने नियम को लिखने में और 100 वर्ष नये नियम को लिखने में। सो बाइबल पुस्तकों का संग्रह है जिसे 34 लोगों ने 1600 वर्षों में लिखा।
लेकिन संपूर्ण बाइबल का लेखक परमेश्वर है। जैसा पहले कहा कि 34 लोग इसके लेखक थे लेकिन वे इसके रचनाकार नही थे वरन उन्होंने इसे किसी और के लिए लिखा।
आईए मैं आपको उदाहरण देता हॅू – एक मां जो अपने बड़े बेटे के साथ रह रही है। वह अपने छोटे बेटे को चिट्ठी लिखना चाहती है जो अलग रहता है। चिट्ठी में जो कुछ लिखना है मां अपने बड़े बेटे को उन बातों को लिखने को कहती है।
तो ये चिट्ठी किसकी होगी। क्या ये चिट्ठी बड़े बेटे की होगी क्योंकि उसने इसे लिखा है? नहीं कभी नहीं यद्यपि ये चिट्ठी बडे़ बेटे के द्वारा लिखी गई है लेकिन जो इसमें लिखा है वह मां की ओर से है।
ठीक इसी तरह बाइबल में जो लिखा है वह परमेश्वर का वचन है। परमेश्वर ने उन लोगों को जो उसकी नजर में उचित थे उन्हें पवित्र आत्मा की प्रेरणा के अन्तर्गत वचन लिखने के लिए प्रेरित किया। इस विषय में 2 तिमोथी 3ः16 कहता है ‘‘ हर एक पवित्राशास्त्रा परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
दूसरा पतरस 1ः21 कहता है ‘‘क्योंकि कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई, परन्तु लोग पवित्र आत्मा की प्रेरणा द्वारा परमेश्वर की ओर से बोलते थे।’’
यशायाह 34ः16 कहता है ‘‘यहोवा की पुस्तक से खोजकर पढ़ो इनमें से एक भी न छूटेगा, कोई अपने जोड़े से अलग न रहने पाएगी। क्यांकि यह आदेश उसी के मुंह से निकला और उसके आत्मा ने उनको एकत्रित किया है।
यद्यपि बाइबल को अनेकों लेखकों ने लिखा है फिर भी पूरी बाइबल में कोई भी प्रतिकुलता कभी भी नही पाइ जाती बल्कि एसी अनुकुलता पाई जाती है जैसे इसे एक ही जन ने लिखा हो। यह इसलिए है क्योंकि ये सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा पवित्र आत्मा के कार्यों से लिखी गई है।
क्योंकि बाइबल पवित्र आत्मा की प्रेरणा द्वारा लिखि गई है इसीलिए जरूरी है कि इसका अनुवाद भी पवित्र आत्मा की प्रेरणा द्वारा किया जाए। यदि आप मानवीय ज्ञान द्वारा इसका अनुवाद करेंगे तो ये गलत अनुवाद हो जाएगा।
2 पतरस 3ः16 कहता है वैसे ही उस ने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग( अर्थात वे लोग विश्वास की चटटान पर नही है।) उन के अर्थों को भी पवित्रा शास्त्र की और बातों की नाईं खींच तानकर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।
आज ऐसे बहुत से लोग है जिनका इस प्रकार से नाश हो जाता है। बाइबल जैसे है आप वैसे ही उसमे विश्वास कर सकते है। परन्तु एसे बहुत से लोग है जो इसे विपरित तरीके से सिखाते हे।
परमेश्वर हमें प्रार्थना में रोने-पुकारने के लिए कहता है। नए व पुराने नियम मे परमेश्वर के लोग प्रार्थना में रोते-पुकारते थे। यहां तक की हमारा प्रभु भी तब तक दोहाई देता रहा जब तक की उसका पसीना खून की बूंदे न बन गया लेकिन कुछ लोग कहते हैं यदि आप प्रार्थना में रोते हो या आप अन्य भाषा में बोलते हैं तो ये गलत है। वे परमेश्वर के वचन के विरूद्ध बोलते हैं इसलिए ऐसा लिखा है कि लोग उन के अर्थों को भी पवित्रा शास्त्र की और बातों की नाईं खींच तानकर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।
यदि आप बाइबल का अनुवाद पवित्रआत्मा की प्रेरणा द्वारा नहीं करते बल्कि मनुष्य की सोच के साथ करते हैं तो जैसा परमेश्वर चाहता है आप उससे अलग गलत समझ जाएंगे। आप नाश में गिर जाएंगे।यदि आप बाइबल का अनुवाद पवित्रआत्मा की प्रेरणा के साथ करते हैं तो आप ये भी एहसास कर पाऐगे कि इसके पद एक दूसरे से मेल खाते हैं।
मान लिजिए कि मैं ‘‘विश्वास’’ विषय पर प्रचार कर रहा हूं। तब पुराने और नये नियम मे एक दुसरे से मेल खाने वाली आयतें एक साथ निकल आएेंगी। मैं कितने घण्टों तक विश्वास विषय पर सन्देश दे सकता हॅू।? मैं 10 घण्टे या 50 घण्टे तक प्रचार कर सकता हूं क्यों? यदि आप बाइबल के सभी पदों को मिलाना आरम्भ करेंगे तो पूरी बात को समझाने के लिए ये पद एक दूसरे से मिलते ही चले जाएंगे।
इसलिए केवल एक विषय विश्वास पर मैं आपको विश्वास के बारें में और उद्धार के विषय में भी सब कुछ बता सकता हूं इसलिए मैं 50 घण्टों तक या 100 घण्टों तक भी प्रचार कर सकता हूं। यह पदों के एक दूसरे से जुड़े होने के कारण है।
इसलिए ऐसा कहा गया है ‘‘इनमें से एक भी न छूटेगा कोई अपने जोड़े से अलग न रहने पाएगी।’’
जैसे माला को बनाने के लिए एक-एक दाने को पिरोना पड़ता है वैसे ही प्रत्येक पद दूसरे पदों के साथ जुड़कर अनुकुल बनता है और इसके आत्मिक अर्थ को समझने के लिए इसे सिद्ध और पूरा बनाता है।
आइए मैं आपको एक आसान उदाहरण देता हूॅ। प्रेरितों के काम अध्याय 2 :21 कहता है ‘‘और ऐसा होगा कि जो कोई प्रभु का नाम लेगा वह उद्धार पाएगा’’ लेकिन केवल इस पद से हम उद्धार के लिए परमेश्वर की इच्छा को पूरी तरह नहीं समझ सकते।
सो यदि आप कहने लगे कि आप तो केवल इस पद के अनुसार प्रभु का नाम लेंगे और आप का उद्धार हो जाएगा तो आप बाइबल को गलत समझे। इस तरह तो आप में गलत सूचनाए भर जाएंगी।
और जैसा मत्ती 7ः21 में लिखा है ‘‘प्रत्येक जो मुझे हे प्रभु हे प्रभु कहता है, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा आप केवल हे प्रभु हे प्रभु कह कर स्वर्ग के राज्य में पवेश नहीं कर सकते परन्तु जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है जो स्वर्ग में हैं वह प्रवेश करेगा। हम केवल प्रभु का नाम पुकारने के द्वारा उद्धारप्राप्त करने की स्थिति को पूरा नहीं कर सकते।
इसलिए रोमियों अध्याय 10 :10 में लिखा है ‘‘ क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है ’’
यह बताता है विश्वास क्या है, हमें हृदय में विश्वास करना है। हमें केवल वचन को सुनना और एक ज्ञान की तरह रखना नहीं है । लेकिन हमें हृदय में विश्वास करना है। सो जब हम हृदय में विश्वास करते हैं तो हम धर्मी ठहरेंगे, विश्वास एक ज्ञान के रूप में, और विश्वास हृदय में, दोनों पूरी तरह से अलग अलग बातें हैं।
यदि आप हृदय में विश्वास करते हैं तो आप उसे कार्य में भी करने लगेंगे। आप ज्योति में वचन के द्वारा चलने लगेंगे आपके कार्यो द्वारा आपका विश्वास सिद्ध हो जाऐगा। आपका हृदय आत्मा के साथ विकसित होगा। आप सब प्रकार की बुराई को उतार फेंकेगे और पवित्र बन जाएंगे, परमेश्वर का सच्चा जन बन जाएंगे जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करता है। ये ही धर्मी होना है।
क्योंकि आपने सब बुराईयों को त्याग देते है और पवित्र बन जाते है तो आप धर्मी बन जाते है। इसलिए ऐसा कहा गया है ‘‘‘ क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है ’’जो लोग हृदय में इस प्रकार से विश्वास करते हैं। वे धर्मी ठहराए जाएंगे और जब वे अपने होटों से अंगीकार करते हैं ‘‘कि’’ प्रभु मैं विश्वास करता हूं आप मेरा उद्धारकर्ता है।तो वे उद्धार पाते है।
अर्थात केवल वे जो हृदय में विश्वास करके धर्मी ठहराए गए हैं वे अपने होटों से अंगीकार करने के द्वारा उद्धार पाएंगे। आप केवल अपने सिर में ज्ञान के द्वारा और ये कहने के द्वारा कि प्रभु मैं विश्वास करता हूं नहीं बच पाएंगे। तो फिर विश्वास करने का अर्थ क्या है, याकूब 2ः14 में लिखा है ‘‘हे मेरे भाईयों यदि कोई ये कहे कि मैं विश्वास करता हूं पर कर्म न करे तो इस से क्या लाभ? क्या ऐसा विश्वास उसका उद्धार कर सकता है।’’वे कहते हैं उनके पास विश्वास है। लेकिन वे परमेश्वर के वचन के अनुसार नहीं चलते। वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं करते वे ज्योति में नहीं चलते। तो क्या इस प्रकार का विश्वास उन्हें बचाएगा? हमारा प्रभु कहता है ‘नहीं‘।
जो लोग अपने हृदयों में विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहरते हैं वे अपने कामों के द्वारा प्रमाणित करते हैं। यदि आप वास्तव में विश्वास करते हैं कि आपके पापों की क्षमा करने के लिए यीशु ने अपनी जान दी तो जब आप परमेश्वर के वचन अनुसार चलेंगे तो आप कार्यों को भी करेंगे।
क्योंकि आप परमेश्वर को और प्रभु को प्रेम करते हैं जिसने अपनी जान आपके लिए दी तो आप परमेश्वर के हृदय को चोट नहीं पहुंचाना चाहेंगे फिर तो आपको स्वभाविक रूप से पापों को दूर हटाना शुरू कर देना चाहिए। और ये भी यदि आप वास्तव में प्रभु के प्रेम पर विश्वास करते है तो आप अपने भाईयों को अपने समान प्रेम करेंगे।
आप घृणा, ईर्ष्या, दोष लगाना, निन्दा नहीं करेंगे या अपना लाभ नहीं ढुढेंगे लेकिन आप सेवा, त्याग और जरूरत मन्दों की सहायता करने के द्वारा अपने कामों मे विश्वास के प्रमाण दिखाऐंगे। लेकिन कार्य केवल बाहरी दिखावे के नहीं होने चाहिए रोमियों 3ः28 कहता है ‘‘इसलिए हम इस परिणाम पर पहुंचते है कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं वरन विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराया जाता है।
चाहे कितना भी हम सत्य पर चल लें लेकिन यदि आप विश्वास के साथ नहीं करते तो केवल कामों के द्वारा धर्मी नहीं ठहराए जा सकते।
आपका हृदय पवित्र बन जाना चाहिए क्यांकि आप प्रभु में विश्वास करते हैं। और आपके कार्य आपके हृदय की पवित्रता से एक सिद्ध कार्यों की तरह प्रकट होने चाहिए। इसलिए हृदय में विश्वास करने का अर्थ है। अपने हृदय को ऐसा पवित्र बनाना जिसमें से केवल पवित्र काम ही प्रकट होते है। जिसका अर्थ है अपने हृदय का खतना करना।
इसीलिए बाइबल हमें हमारे हृदय का खतना करने के लिए कहती है अपने हृदय की खाल को उतार फेंके। जब मनुष्य इस तरीके से विश्वास करके अपने हृदय का खतना करता है और होठां से प्रभु के नाम का अंगीकार करता है तो वह उद्धार प्राप्त करेगा।
यदि आप इन आयतों के ‘‘जोड़ों’’ को या इनके पूरक को नहीं जानते है तो हो सकता है आप सत्य को गलत समझ बैठें ये सोचकर कि ‘‘मैं बच जाउंगा यदि केवल मैं यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण कर लूं’’ या मैं तब भी बच जाउंगा जब सिर्फ अपने हृदय में विश्वास कर लूं भले ही मै अपने पापों क्यों न जीवन व्यतीत करूं
हॉलाकि, यदि आप अपने हृदय में विश्वास करते हैं तो आप पापों में नहीं जीएंगे लेकिन हो सकता है लोग कहें कि वे अपने हृदय में विश्वास करते हैं। जबकि वे केवल अपनी ज्ञान में विश्वास करते हैं। क्यांकि वे सत्य को नहीं जानते यदि विश्वास कार्य मे प्रकट नहीं है तो ये हृदय में विश्वास करना नहीं कहलाएगा। ये तो केवल हमारे सिर में ज्ञान है।
इसलिए इस मामले में, तो आप लगातार पाप करते रहेंगे और उसका नतीजा आप जीवन प्राप्त नहीं कर पाएंगे लेकिन नाश की ओर चले जाएंगे। इसी प्रकार बाइबल के पदों में परमेश्वर की योजना को सही-सही जानने के लिए उससे जुड़े हुए पदों को जानना जरूरी है इस तरह आप पूरी तरह उसके आत्मिक अर्थ को जानने पाएंगे।
मसीह में प्यारे भाईयों और बहनों बाइबल परमेश्वर का वचन है और इसमें सभी शब्द सत्य हैं। इतिहास को देखने के द्वारा भी इसे सत्य साबित किया जा सकता है। पुराने नियम में आप देख सकते हैं कि इस्राएल का इतिहास, ऐतिहासिक घटनाएं और लोग, स्थान, उनके रिवाज वास्तविक हैं।
और जैसा पिछली बार भी बताया था कि बाइबल में बहुत सी भविष्यद्वाणियां हैं और उनमें से प्रत्येक पूरी हो रही हैं।
उदाहरण के लिए लूका अध्याय 19ः43- 44 पद कहता है ‘‘क्योंकि तुझ पर वे दिन आएंगे कि तेरे शत्रु तेरे सामने मोर्चा बांधेंगे और तुझे चारों ओर से घेर कर दबाएंगे तब वे तुझे और तेरे बालकों को मिट्टी में मिलाकर चौरस कर देंगे और तुझ में एक पत्थर पर दूसरा पत्थर भी न छोड़ेंगे, क्यांकि तू ने उस अवसर को जिसमें तुझ पर कृपा की गई न पहिचाना।
ये यीशु के द्वारा यरूशलेम के नष्ट किए जाने की भविष्यद्वाणी है। इस भविष्यद्वाणी के 40 वर्ष बाद यरूशलेम को 70 ।क् के आसपास रोमी साम्राज्य के जनरल टाईटस द्वारा यरूशलेम को नष्ट किया गया ठीक उसी तरह सब कुछ घटित हुआ जैसा यीशु ने भविष्यद्वाणी की थी।
रोमी सेना ने शहर की दीवार को चारों ओर से घेर लिया और नगर को जीत लेने के बाद उन्होंने निर्दयता से बच्चों को जान से मार डाला और सारे भवनों को नष्ट कर दिया एक पत्थर पर पत्थर नहीं छोड़ा।
इसके अतिरिक्त अनेकों एतिहासिक घटनाओं के बारें में भविष्यद्वाणी की गई हैं। और उनमें सबसे महत्वपूर्ण भविष्यद्वाणी यीशु के बारें में है, उद्धार के मार्ग को पूरा करने के लिए, जो कि बाइबल का मुख्य विषय है। उद्धारकर्ता को मानवजाति को जो कि सब पापी हैं, बचाने के लिए आना था।
इसलिए परमेश्वर ने पुराने नियम में कई स्थानों पर विस्तार से यीशु के जन्म, सेवा, दुःख और पुनुरूत्थान के बारें में भविष्यद्वाणियां दी हैं जिसे मसीहा बनना होगा।
और जब समय आया जैसा परमेश्वर ने वायदा किया था उसने यीशु को पृथ्वी पर भेजा। नये नियम में यीशु का पुराने नियम की भविष्यद्वाणियों को पूरा करने का विस्तार से वर्णन है। आईए उनमें से कुछ पर पुनर्विचार करें। पहली भविष्यद्वाणी यीशु के जन्म के बारें में है। उत्पत्ति अध्याय 3 पद 15 में परमेश्वर हमें बताता है कि उद्धारकर्ता इस्राएली लोगों में से आएगा।
जब उसने सांप को श्राप दिया तो कहा ‘‘और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, तथा तेरे वंश और इसके वंश के बीच में, बैर उत्पन्न करूंगा वह तेरे सिर को कुचलेगा और तू उसकी एड़ी को डसेगा।
यहां पर ‘‘स्त्री’’ आत्मिक रूप से इस्राएल को दर्शाती है। ये तो साफ सी बात है कि पुरूष स्त्री से पैदा होता है लेकिन कारण, कि क्यों परमेश्वर फिर भी ऐसा कहता है। क्योंकि इसमें आत्मिक अर्थ है इसलिए।
प््रकाशितवाक्य अध्याय 12 :5 कहता है ‘‘उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जो लोहे के दण्ड से सब जातियों पर शासन करेगा। उस स्त्री का वह बच्चा परमेश्वर और उसके सिंहासन के पास उठा लिया गया’’ ये यीशु को प्रमाणित करता है जो एक स्त्री द्वारा आया जिसका अर्थ इस्राएल के लोग।
यशायाह अध्याय 7ः14 कहता है ‘‘इसलिए, प्रभु आप ही तुम्हें एक चिहन देगा देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी, वह एक पुत्र को जन्म देगी और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी।
मीका अध्याय 5 पद 2 कहता है ‘‘हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता,(बेतलेहम यरूशलेम के नजदीक बसा है जो कि एक छोटा सा नगर है।) तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरूष निकलेगा, जो इज्राएलियों में प्रभुता करनेवाला होगा; और उसका निकलना प्राचीनकाल से, वरन अनादि काल से होता आया है। अर्थात वह परमेश्वर से जन्मा था।
जैसी भविष्यद्वाणी की गई थी ठीक वैसे ही यीशु पवित्रआत्मा द्वारा गर्भ में आए और कुंवारी मरियम से बैतलहेम की सराय की चरनी में पैदा हुए। यीशु के पैदा होने के बाद राजा हेरोदस ने यीशु को मारने की कोशिश कि और आज्ञा दी की 2-2 साल से नीचे के लड़कों को मार दिया जाए। लेकिन उस समय परमेश्वर यूसुफ को स्वपन दिखाकर यीशु को मिस्र ले गया।
राजा हेरोदेस के मर जाने के बाद परमेश्वर ने उन्हें एक और स्वपन द्वारा वापस इस्राएल बुला लिया। पुराने नियम में होशे अध्याय 11ः1 इस बारें में भविष्यद्वाणी करता है ‘‘मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया’’।
सो यदि आप मिस्र जाते हैं तो वहां वे स्थान है जहां उसने शरण ली, और बड़ा हुआ जब वह नौजवान था। वहां शरण के लिए चर्च है। यीशु कुछ समय के लिए वहां था और परमेश्वर के स्वर्गदूत के स्वपन द्वारा, वह वापस इस्राएल आ गया था। बाद में वह नासरत चला गया था और वहां बड़ा हुआ।
जब यीशु ने यरूशलेम में प्रवेश किया वह गधे पर सवार हुआ जैसा जकर्याह अध्याय 9 पद 9 में भविष्यद्वाणी की गई थी ‘‘हे सिय्योन की पुत्री, अति आनन्दित हो, हे यरूशलेम की पुत्री, जय जय कार कर देख, तेरा राजा तेरे पास आता है वह धार्मिकता और उद्धार से सम्पन्न है वह नम्र है और गधे पर अर्थात गधी के बच्चे, वरन लद्दू के बच्चे पर बैठा है।’’
और भजन संहिता 41ः9 में भी कहा गया ‘‘मेरे परममित्र ने भी जिस पर मैंने भरोसा रखा था जो मेरी रोटी खाता था उसने भी मेरे विरूद्ध लात उठाई है। यहूदा इस्करियोती जो परमेश्वर के वचन की रोटी बिल्कुल नजदीक रहकर प्राप्त करता था उसने विश्वासधात किया और यीशु को बेच दिया।
यहूदा इस्करियोती जिसके पास रूपयों की थैली रहती थी उसने यीशु को बेच दिया इसलिए बाइबल उसे ऐसा बताती है कि ‘‘मेरे परममित्र ने भी जिस पर मैने भरोसा रखा था जो मेरी रोटी खाता था’’ यहां ऐसा नहीं लिखा है ‘‘मेरा चेला’’ लेकिन ‘‘मेरा मित्र’’ इसलिए जब यहूदा इस्करियोती ने यीशु को बेचा उसने यीशु को एक चिन्ह के रूप में चुमा। उस समय यीशु ने ‘‘मेरा चेला’’ नहीं कहा बल्कि ‘‘मित्र’’ जिस काम के लिए तू आया है उसे कर’’
जैसा जकर्याह अध्याय 11ः12 में कहा गया है’’ यदि यह तुम्हे अच्छा लगे तो मेरी मजदूरी दो, और नहीं तो मत दो। अतः उन्होंने मेरी मजदूरी के लिए चांदी के तीस सिक्के तौल दिए। यहूदा इस्करियोती ने यीशु को चांदी के तीस सिक्कों में बेचा जैसा पुराने नियम में भविष्यद्वाणी की गई थी उसने यीशु को चांदी के तीस सिक्कों में बेच दिया।
इनके अलावा और भी कई स्थानों में भजनसंहिता और जकर्याह में पूरी तरह भविष्यद्वाणी की गई है की कैसे यीशु दुःख उठाएगा। किस प्रकार की कब्र में वह दफनाया जाएगा। कैसे वह जी उठेगा, मारा जाएगा और कैसे वह उपर उठाया जाएगा।
इसी प्रकार से बहुत सी भविष्यद्वाणियां यीशु के बारे में जो पुराने नियम में की गई थी नये नियम में एक-एक करके पुरी हुई।
न केवल बाइबल लेकिन इतिहास भी यीशु को प्रमाणित करता है अर्थात हम कहते ये साल ।क् 2009 है जिसका आरम्भ यीशु के जन्म के समय से हुआ था।
यदि हम सन् 2009 कहते है इसका अर्थ है 2009 साल बीत चुके हैं जब से यीशु ने हमें बचाने के लि इस पृथ्वी पर जन्म लिया था। संवत ।क्ए ।ददव क्वउपदप यीशु के जन्म लेने के समय से ही है हमारे पास है।
पहला कुरिन्थियां अध्याय 15ः6 कहता है कि 500 लोग, जी उठे प्रभु के गवाह थे ‘‘यह कहता है इसके पश्चात वह पांच सौ से अधिक भाईयों को एक साथ दिखाई दिया जिनमें से अधिकांश अब तक जीवित हैं।’’
इसका क्या अर्थ है? जब पौलूस ने बाइबल की इस किताब को लिखा 500 में से आधे से भी ज्यादा लोग यीशु के उपर उठाए जाने के गवाह थे। वे जीवित थे। और उनमें से कुछ सो गए थे। हम ‘‘सो गए’’ विश्वासियों के शरीरों के बारे में कहते हैं जो मर गए और स्वर्ग चले गए। सो उनमें से कुछ सो गए थे उदाहरण के लिए याकूब यीशु का एक चेला जो शहीद हो गया था। इस प्रकार से कुछ सो गए थे।
इन गवाहों के द्वारा, प्रभु के पुनुरूत्थान को पूरे जगत में बताया जा रहा था। आज के दिन तक ये सत्य है कि प्रभु के बारे में बाइबल में कहे गए सब शब्द सत्य है और परमेश्वर का वचन पूरे संसार में फैल रहा है।
और ये भी कि जो इन बातों को सुनते और विश्वास करते हैं वे परमेश्वर से मिल सकते हैं उसका अनुभव कर सकते हैं जो बाइबल का लेखक है। जब वे परमेश्वर द्वारा दिये गए वायदों पर विश्वास करते और अमल करते हैं जो बाइबल में हैं तब वे हमारे परमेश्वर के कार्योंं का अनुभव कर सकते हैं जो अपने वायदों को पूरा करता है और अपने वचनों को न ही टालता है।
मसीह में प्यारे भाईयों और बहनों बाइबल, प्रभु के आने से पहले, अन्तिम दिनों के दौरान संसार की स्थिति और चिन्हों के बारे में भी भविष्यद्वाणी करती है।
ये हमारे भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में भी भविष्यद्वाणी करती है जैसे महाक्लेश के सात साल, तीसरा विश्वयुद्ध, एक हजार वर्ष का समय, न्याय का दिन और स्वर्ग और नरक।
बाइबल हमें ये भी पुरी तरह से बताती है कि कैसे हम जो इतिहास के इस समय में रह रहे हैं उद्धार और आशीषें प्राप्त कर सकते हैं और कैसे हम स्वर्गीय राज्य में जा सकते हैं। लेकिन कुछ लोग यद्यपि वे परमेश्वर में अपने विश्वास का दावा करते हैं फिर भी वे विश्वास नहीं करते की बाइबल परमेश्वर का वचन है।
कुछ दूसरे और लोग हैं जो कहते हैं बाइबल परमेश्वर का वचन है लेकिन पूरी तरह से बाइबल के शब्दों पर विश्वास नहीं करते। इसलिए जब बाइबल उनके सोचों या उनके लाभ के लिए सहमत नहीं होती तो वे उसके अनुसार नहीं चलते।
बाइबल निश्चित रूप से परमेश्वर का वचन है जो कि परमेश्वर के द्वारा पूरी तरह स्थिर है। इसलिए उनके लिए जो बाइबल में विश्वास करते और अमल करते हैं परमेश्वर अपने वायदे के अनुसार उन्हें आशीषित करता है।
उदाहरण के लिए मरकुस अध्याय 9 : 23 कहता है ‘‘यदि तू कर सकता है? यीशु ने कहा विश्वास करने वाले के लिए सब कुछ सम्भव है’’ विश्वासियों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
मरकुस अध्याय 16ः 17 – 18 पद कहते हैं ‘‘और विश्वास करने वालों में ये चिन्ह दिखाई देंगे, मेरे नाम से वे दुष्टात्माओं को निकालेंगे तथा नई-नई भाषाएं बोलेंगे, वे सांपों को उठा लेंगे और यदि वे प्राणनाशक विष भी पी जाएं तो इस से उनकी हानि न होगी वे बीमारों पर हाथ रखेंगे और वे चंगे हो जाएंगे।
परमेश्वर का वचन साफ-साफ कहता है जो विश्वास करते हैं उनके लिए सब कुछ सम्भव है और ये उनमें चिन्ह होंगे, किस प्रकार के चिन्ह? वे प्रभु के नाम में दुष्टात्माओं को निकालेंगे। वे नई भाषाएं बोलेंगे वे अपने हाथों से सांपों को उठा लेंगे। इसका अर्थ है वे शैतान के समूहों को तोड़ देंगे। वे बिमारों पर अपने हाथ रखेंगे और वे चंगे हो जाएंगे।
बाइबल में आप, नये व पुराने दोनों नियमों में परमेश्वर के लोगों को पाएंगे जिनकी मृत्यु बीमारी से नहीं हुई।
बाइबल कहती हे मूसा की आंखे 120 की आयु में भी कमजोर नहीं पड़ी थी वह स्वस्थ्य था और परमेश्वर के कार्य को पुरा कर रहा था और परमेश्वर ने उसे बुलाया था।
और विश्वास करने वालों में ये चिन्ह दिखाई देंगे। हमारे विश्वासियों के पास पक्का विश्वास है इसलिए ये चिन्ह उनमें दिखाई आपके साथ होते है। जब हमारे पास्टर्स और कार्यकर्ता बिमारों पर अपने हाथ रखकर उनके लिए प्रार्थना करते हैं वे चंगे हो जाते हैं। यहां तक की समय और स्थान की दूरी को पार कर वे खतरनाक बिमारियों से चंगा हो जाते हैं
रूमाल की प्रार्थना द्वारा ये चिन्ह पूरे विश्व भर में होते है क्यों? यदि आप बाइबल में विश्वास करेंगे तो ये चिन्ह होंगे। ये चिन्ह नहीं दिखाई पड़ते हैं क्यांकि आप के विश्वास में समस्या है। यदि आप वास्तव में विश्वास करते हैं चिन्ह जरूर प्रकट होंगे जैसा कि बाइबल में लिखा है। सो आप अपनी भी बिमारियों को चंगा करोगे और दूसरे लोगों की भी।
क्या ये सच नहीं है? इसलिए इब्रानियों अध्याय 10 हमें शुद्ध हृदय और सिद्ध विश्वास रखने के लिए कहता है। यदि आप शुद्ध हृदय और सिद्ध विश्वास पाने के लिए अपने हृदय का खतना करते हैं तो इसका अर्थ है कि आप आत्मा में चले गये हैं। और फिर आप सिद्ध विश्वास प्राप्त करेंगे।
जिनके पास सिद्ध विश्वास है उनके द्वारा ये चिन्ह प्रकट होगें। ये चिन्ह जरूर होंगे जो विश्वास करेंगे और आप गवाह होंगे ये चिन्ह मनमिन के सदस्यों द्वारा होते हैं।
जैसे कहा गया है कि सब कुछ उनके लिए सम्भव है जिनके पास सिद्ध विश्वास है। यहां तक कि परमेश्वर के सामर्थ्य के चिन्ह भी प्रदर्शित हो सकते हैं।
निर्गमन 15ः26 कहता है ‘‘और उसने कहा ‘‘यदि तू अपने यहोवा परमेश्वर की वाणी ध्यानपूर्वक सुने और जो कार्य मेरी दृष्टि में ठीक है उसे करे, मेरी आज्ञाओं पर कान लगाए और मेरी सब विधियों का पालन करें तो जितने रोग मैंने मिस्रियों पर भेजे थे उनमें से एक भी तुझ पर न भेजूंगा, क्योंकि मैं यहोवा तुम्हारा चंगा करने वाला हूं।
परमेश्वर हमारा पिता है और वह चंगा करने वाला परमेश्वर है। यहां तक कि यदि हमारे पास बिमारी भी हो वह हमें चंगा करता है परन्तु क्यों वह हमें कोई बिमारी देगा? इसलिए हमें परमेश्वर को जानना है और उसमें उचित तरीके से विश्वास करना है। जैसा कहा गया की यदि तुम पापों से दूर रहोगे और उसकी आज्ञाओं को पालन करोगे कोई बीमारी तुम्हारे ऊपर नहीं आएगी।
यदि आपके पास बीमारी है तो आप कारण जानते हैं। आप जानते हैं परमेश्वर की कौनसी आज्ञा आपने तोड़ी है या कौन सा शारीरिक कार्य हमने किया है। या यदि फिर भी बिमारी है जबकि आप ने पाप नहीं किया है तो कोई तो कारण जरूर है।
मुझे दुःख महसूस होता है जब मैं कुछ नौजवान सदस्यां को देखता हूं। वे पूरे सब्त के दिन को मानते हैं, समुचित दशवांश देते हैं। शुक्रवार की पूरी रात की सभा में भाग लेते हैं, डैनियल प्रेर मीटिंग में भाग लेते हैं और परमेश्वर के राज्य के लिए वफादारी से काम करते हैं। लेकिन जब वे किसी से प्रेम करने के लिए निर्णय ले रहे होते हैं तो उनका विश्वास ठन्डा और ढीला पड़ जाता है।
वे शुक्रवार की पूरी रात की सभा में नहीं आ पाते प्रार्थना करना बन्द कर देते हैं वे एक महिना ऐसा करते हैं फिर दो महिने, 3 महीने आधा साल और फिर एक साल ऐसे ही समय बिताने लगते हैं। और फिर परमेश्वर अपना मुंह उन से फेर लेता है। वे बदल चुके होते है। उनका विश्वास ठन्डा पड़ चुका होता है। वे अपना पहले जैसा प्रेम खो चुके होते हैं और वे गुनगुने हो जाते हैं। परमेश्वर ने सचमुच ऐसा ही कहा है।
प्रकाशित वाक्य की पुस्तक में परमेश्वर ने कहा वह उन्हें उगल देगा यदि उनके पास गुन गुना विश्वास होगा। परमेश्वर उनसे अपना मुंह फेर लेगा। इसीलिए फिर वे परमेश्वर द्वारा और सुरक्षित नहीं रखे जाते। और उन्हें वे खतरनाक बिमारियां हो जाती है जो संसारिक लोगों को होती है। और केवल जब वे मजबूर और असहाय हो जाते हैं तब वे पश्चाताप करते हैं।
वे पश्चाताप करते हैं कि उनका विश्वास ठन्डा पड़ गया था। वे प्रभु के लिए वफादार नहीं रहे, उन्होंने अपने कर्तव्य को पूरा नहीं किया और शरीर के कामों को किया।तब वे प्रार्थना प्रात्प करते हैं। लेकिन यद्यपि वे प्रार्थना प्राप्त करते हैं लेकिन तब भी उन्हें अपने हृदय की गहराई से पश्चाताप करना चाहिए। उन्होंने बड़े जोश के साथ परमेश्वर को प्रेम किया था लेकिन उनका प्रेम बदलचुका और ठन्डा पड़ चुका था, कैसे उनका विश्वास और प्रेम ठन्डा पड़ गया केवल एक बॉय फ्रेण्ड या गर्ल फ्रेण्ड के कारण जो कि केवल एक प्राणी मात्र है।
उनकी आत्माओं को धनी और सफल होना है। उन्हें अपने आप को प्रभु की दुल्हन के रूप में उच्च स्वर्गीय निवास स्थानों में जाने के लिए तैयार करना चाहिए। लेकिन वे तो नरक के मार्ग की ओर जा रहे है। वे परमेश्वर को कितना अधिक क्रोधित कर रहे हैं। इसीलिए उन्हें अपने हृदयों को चीरना होगा और पूरी तरह आंसुओं के साथ पश्चाताप करना होगा। हृदय को चाकु या किसी और वस्तु से नहीं चीरना है।
लेकिन उन्हें अपने हृदयों को तोड़ना चाहिए और पूरी तरह पश्चाताप करना चाहिए। पश्चाताप करने के बाद आप प्रार्थना प्राप्त कर सकते हैं और तब प्रभु आपको तुरन्त चंगा करेगा। यदि आपने अपने हृदय की गहराई से पश्चाताप किया है तो आप केवल एक ही प्रार्थना द्वारा चंगे हो जाओगे।
लेकिन पूरी तरह पश्चाताप किये बिना यदि आप केवल लिखते या केवल होटों से पश्चाताप करतें है तो आप चंगे नहीं हो पाएंगे क्यांकि आपने पूरी तरह पश्चाताप नहीं किया। यदि आप चंगे भी हुए हैं तब भी आप पूरी तरह चंगे नहीं हुए हैं। परमेश्वर आपको उतना ही चंगा करेगा जितना आपने पश्चाताप किया है।
लेकिन यदि आप अपने विश्वास के ठन्डे पड़ जाने के लिए, पहले प्रेम के ठन्डे पड़ जाने के लिए, गुनगुने मसीह जीवन के लिए परमेश्वर के सामने वफादार न होने के लिए हृदय से पूरी तरह से पश्चाताप करें और तब प्रार्थना प्राप्त करने के लिए आए, तब आप केवल एक ही प्रार्थना द्वारा चंगे हो जाएंगे।
और यदि परमेश्वर की आज्ञाओं के अनुसार जीवन न जीने के द्वारा आपको कोई बीमारी लग गई है, आप परमेश्वर के विरूद्ध पाप की दीवार को तोड़कर चंगे हो सकते हैं। इसलिए जब आप परमेश्वर के सामर्थी जन से भी अपनी बीमारी से चंगा होने के लिए या समस्या के समाधान के लिए प्रार्थना प्राप्त करते हैं। तो पहले आपको पश्चाताप करना जरूरी है।
आप में से कुछ कहते हैं आपने निश्चित रूप से पश्चाताप किया। मन फिराया लेकिन आप एक ही प्रार्थना में चंगे नहीं हुए । ये वास्तव में सच्ची आशीष है क्यों? क्योंकि परमेश्वर आपको पूरी तरह शुद्ध करता है और चाहता है पूरी तरह पश्चाताप करें ताकि आप अपने दिल की गहराई से बुराई की जड़ से नफरत करने लगें।
परमेश्वर आपको शुद्ध होने का समय दे रहा होता है ताकि आप एक शुद्ध सोने कि भांति निकल आएं और पूर्ण पवित्र हो जाएं। सो यदि आपने हृदय से पश्चाताप किया है तो आप धन्यवादी हैं। चाहे आप तुरन्त चंगे हुए हां या नहीं।
हृदय की गहराई से पश्चाताप करने के बाद और पाप की दीवार को तोड़ने के बाद आप ऊपर से सच्चे विश्वास को प्राप्त कर सकते हैं। हमारे सदस्य हमेशा परमेश्वर के वचनों को सुनते, देखते और अनुभव करते हैं की वे सब सत्य है।
उदाहरण के लिए हमारे चर्च में निस्सी आक्रेस्ट्रा की डिकनेस जूंग ए ली की छोटी बेटी ‘‘ही ना’’ के साथ जून 2002 में, एक समस्या घटी। उस समय ‘‘ही ना’’ चार महीने की थी और तेज बुखार के कारण वह सो नहीं सकती थी उसकी टांगे कमजोर हो गई थी और हिलती थीं।
पाया गया कि उसके कुल्हे के जोड में एक गांठ थी उसमें सूजन थी और बूरी तरह से रोग-संक्रमित थी डॉक्टर ने कहा यदि रोग का प्रभाव नसों द्वारा पूरे शरीर में फैल गया तो हो सकता है खून में जहर चले जाने से एक ही सप्ताह में वह मर सकती है।
इससे भी बुरी बात और बूरा ये है कि आप्रेशन के लिए अभी वह बहुत छोटी है और यदि उसका आप्रेशन किया भी गया तो उसको अपंग हो जाने का जोखिम ज्यादा है। अपनी बेटी को कष्ट में देखकर डिकनेस का दिल ही दहल गया उसने निर्णय लिया कि वह परमेश्वर पर भरोसा करेगी और वह अस्पताल से चली गई।
अपनी बेटी के लिए प्रार्थना करते समय उसने जाना की ये उसकी गलती थी कि उसकी बेटी बीमार पड़ गई, उसने अपने पापों से पश्चाताप करना शुरू किया।
उसने अपने हृदय में, अपने विश्वास के ठन्डे पड़ जाने के लिए, प्रार्थना न करने के लिए, परमेश्वर के राज्य में विश्वासयोग्य न होने के लिए, परमेश्वर को धन्यवाद न देने के लिए और परमेश्वर के वचन अनुसार जीवन न जीने के लिए पश्चाताप किया।
तब मन की शान्ति के साथ वह मेरे पास आई और मेरी प्रार्थना को प्राप्त किया। प्रार्थना के बाद उसकी बेटी जो रोती रहती थी और सो नहीं पाती थी वह आराम से सो गई जल्दी ही अपने पावों में उसने बल प्राप्त किया और वह चलने योग्य हो गई।
एक महिने के बाद एम.आर.आई पिक्चर द्वारा डिकनेस जूंग ए ली ने देखा की उसकी बेटी पूरी तरह चंगी हो गई थी।
डॉक्टर्स ने कहा था कि आप्रेशन के बाद भी वह विकलांग हो सकती है। और बिना आप्रेशन के वह जिन्दा नहीं रह पाएगी। लेकिन आज के दिन तक वह स्वस्थबढ़ रही है। इन गवाहियों को देखकर आप जान सकते हैं कि बाइबल सच्ची है और परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा किए हुए वचनों को बाइबल में सच्चा प्रमाणित करता है।
मसीह में प्यारे भाईयों और बहनों,
अभी तक तीन भागों में मैने आपको परमेश्वर के बारे में समझाया कि परमेश्वर कौन है, परमेश्वर सब वस्तुओं का सृष्टिकर्ता है वह ‘‘मैं जो हूं सो हूं’’ है वह सर्वज्ञानी और सर्वशक्तिमान है और वह बाइबल का लेखक है।
बेशक परमेश्वर के बारे में समझाने के और भी तरीके हैं, परमेश्वर ज्योति है प्रेम है। अन्तिम न्याय के दिन का न्यायाधीश है। और वह हमारा पिता है जो आपको और मुझे प्रेम करता है।
जितना अधिक आप बाइबल को पढे़गे, मनन करेंगे, और उसके अनुसार कार्य करेंगे तो उतना ही अधिक आप परमेश्वर के बारे में जानेंगे और निश्चय ही आप परमेश्वर से जो प्रेम का पिता है भेंट करेंगे।
नीतिवचन 8ः17 कहता है जो मुझ से प्रेम रखते हैं उनसे मैं भी प्रेम रखती हूं जो मुझे यत्न से ढूंढेंगे वे मुझे पाएंगे।
कुछ लोग कहते हैं ‘‘परमेश्वर कहां हैं यदि कही परमेश्वर है ‘‘तो मुझे उससे मिलाई’’ यहां तक कि बिना ढूंढे वे परमेश्वर से मिलने की बात करतें है? वे जबकि परमेश्वर को प्रेम भी नहीं करते। परमेश्वर आपको प्रेम करेगा जब आप उसे प्रेम करेंगे। परमेश्वर आपको मिलेगा जब आप परिश्रमपूर्वक उसे ढूंढेगे। इसीलिए ऐसी बातों को परमेश्वर को ढूंढे बिना कहना मूर्खता है।
यदि हम वास्तव में किसी से प्रेम करते हैं तो हम वो करना चाहेंगे जो वह व्यक्ति हमसे चाहता है कि करें।
परमेश्वर को प्रेम करना और उसे ढुंढने का माध्यम बाइबल में विश्वास करना और उसका पालन करना है। तब परमेश्वर आपको प्रेम करेगा, वह आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर देगा और आपसे ये कहते हुए मिलेगा ‘‘मैं यहां हूं मैने तेरी बिनती को सुना है’’।
मैं आशा करता हूं कि आप निश्चय ही अपने हृदय में विश्वास करेंगे की बाइबल परमेश्वर का वचन है और उसकी आज्ञाओं पर पूरी तरह चलने की कोशिश करेंगे।
मैं प्रभु के नाम में प्रार्थना करता हूं कि जो ऐसा कर रहे हैं परमेश्वर उन्हें प्रेम, करें, मिले आशीष दें और अनन्त स्वर्ग के राज्य में ले जाए। आमीन

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