Krus Ka Sandesh-12 – युगो से पहले छुपा हुआ रहस्य

युगो से पहले छुपा हुआ रहस्य

1 कुंरन्थियों 2ः6-9

फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैंः परन्तु इस संसार का और इस संसार के
नाश होनेवाले हाकिमों का ज्ञान नहीं। परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर
बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। जिसे इस संसार के
हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।
परन्तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य
के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।

मसीही में प्यारे भाईयों और बहनों

आपके और मेरे लिए उद्वार प्राप्त करने और स्वर्गीय राज्य में जाने का रास्ता हमारा उद्वारकर्ता यीशु मसीही है। बहुत से मसीही यह सुसमाचार का प्रचार करते है कि यदि आप यीशु मसीह पर विश्वास करेंगे तो आपका उद्वार होगा। परन्तु वे वास्तव में उद्वार के विधान को साफ तौर पर नही बता पाते।

वे स्पष्ट रूप से नही बता पाते है कि क्यों हम यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा बचाए जा सकते है?
यह कू्रस के संदेश का नोवां सत्र है। और मैं आपको उद्वार के विधान के विषय में बताउगां कि क्यां हम बचाए जा सकते है। जब हम यीशु मसीह पर विश्वास करते है।
शुरूआत से पहले ही परमेश्वर ने मनुष्य जाति जो कि शत्रु ,दुष्ट, और शैतान के दास बन जाएेंगे, को बचाने के लिए योजना बना दी थी कि वह उन्हें मृत्यु और व्यवस्था से आज़ाद करेगा।

परन्तु जब तक समय नही आ गया अर्थात जब तक यीशु क्रूस पर नही चढ़ाया गया और पुर्नजीवित नही हुआ, परमेश्वर ने उद्वार के इस मार्ग को गुप्त रखा।

1 कुरिन्थियों 2ः7 यह कहता है कि, परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया।

तो ये गुप्त भेद क्या है? मुझे आशा है कि आप स्पष्ट रूप से परमेश्वर की बुद्वि को समझ पाऐंगे जो समय के शुरू होने से पहले से छुपी हुई है। मै प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि आप परमेश्वर की बुद्वि और प्रेम के लिए हमेशा धन्यवाद देंगे और प्रशंषा करेंगे।

मसीही में प्यारे भाईयों और बहनों। आदम और हवा का भले और बुरे के बृक्ष से खाने का सबसे पहला कारण यह था कि शैतान के उकसाए जाने पर सांप ने हवा को परीक्षा में डाला।

जब आदम और हवा उनके पापों के कारण शा्रपित किए गए, परमेश्वर ने मनुष्यजाति के उद्वारकर्ता की भविष्यवाणी की।

उत्पत्ति 3ः15 कहता है। और मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में ;अर्थात परमेश्वर स्त्री और सांप के बीच बैर उत्पन्न करेगाद्ध, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करुंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एडी को डसेगा।

यहां पर स्त्री शारीरिक अर्थ से नहीं है। परन्तु आत्मिक अर्थ में इज़राइल से सम्बंध रखती है। स्त्री का वंश यीशु मसीह को संकेत देता है। जो इज़राइल के लोगां में से आएगा।

प्रकाशितवाक्य 12ः5 का पहला हिस्सा यहां पर एक वचन इस्तेमाल किया गया है। एक स्त्री एक बच्चा जनी। परमेश्वर ने कहा स्त्री का वंश अर्थात यीशु, सापं के सिर को कुचलेगा। यदि सांप अपने सिर पर चोटिल होता है। तो वह उसके लिए एक घातक चोट है।

यीशु का सांप के सिर को कुचलना एक उस घटना की भविष्यवाणी है कि वह दुष्ट, शत्रु और शैतान के अधिकार को कुचल डालेगा जिसने सांप को उकसाया था। और परमेश्वर ने कहा तू अर्थात् ;शैतान उसकी अर्थात् यीशु की एड़ी को डसेगा। यदि किसी की एड़ी मे चोट हो, वह चल नही सकता वह गिर जाएगा। यह एक भविष्यवाणी है कि यीशु हाथ और पैरों पर छिदवाये हुए क्रूस पर लटकाया जाऐगा।

इसी तरह से परमेश्वर ने पहले ही इसका वर्णन किया है। कि यीशु मसीह जो दुष्ट, शत्रु और शैतान के अधिकार को तोड़ देगा और मनुष्यजाति को बचाएगा। वह इज़्राइली लोगां में से उत्पन्न होगा। और यह भी कि वह शत्रु, दुष्ट और शैतान की योजना के द्वारा कू्रस पर चढ़ाया जाएगा।

हालांकि शत्रु, दुष्ट और शैतान जानता था कि उद्वारकर्ता इज़्राइल में से आएगा और उस अधिकार को ले लेगा। इसलिए उन्होंने भी कोशिश की, कि वह अपने अधिकार को न खोए। दुष्ट और शैतान ने सोचा कि केवल यदि वे उद्वारकर्ता को मार देंगे जो आने वाला था। वो हमेशा के लिए ससांर पर शासन कर पाऐंगे।

वो स्त्री के बेटे के उन्पन्न होने का इन्तजार कर रहे थे। जब कभी भी परमेश्वर का जन उत्पन्न हुआ, उन्होंने उसे यह सोचकर की मारने की कोशिश की, कि कहीं यही तो उद्वारकर्ता नही होगा। इसी कारण से उन्होंने भविष्यद्वाकताओं, चेलों और प्रेरितों को मारने की कोशिश की जिन्होंने चिन्हों और चमत्कारों को दिखाया।

अन्त में 2000 वर्ष पहले यीशु इज्राइल के बेतलेहम में पैदा हुआ। शत्रु, दुष्ट और शैतान ने राजा हेरोदेस को उकसा कर यीशु को मारने की कोशिश की, जो उस समय इज्राइल की धरती पर शासन कर रहा था। शैतान ने राजा हेरोदेस को इस कारण से चितां मे डलवा दिया कि यीशु के द्वारा उसका सिहांसन खतरे में आ जाऐगा, जो कि इज्राइलियों का राजा बन कर आया था।

इसलिए, उसने यह आदेश जारी किया कि बेतलेहम और उसके आसपास के सभी लड़के जो दो साल से कम उम्र के थे उन्हें मार डाला जाए। परन्तु यीशु वहां नही था क्योकि युसूफ के पास जो कि वाशिंक तौर पर यीशु का पिता था, परमेश्वर का एक स्वर्गदूत उसके स्वपन में प्रकट हुआ उस ने उसे मिस्त्र को भाग जाने का कहा।

हालांकि उसके बाद भी शत्र, दुष्ट और शैतान ने बुरे लोगो के द्वारा यीशु को मारने के कोशिश की। वो जो बुरे थे उन्हें बुराई के औज़ार के समान इस्तेमाल किया गया क्योंकि उनके बुरे हृदय और विचारों को शैतान ने बहका दिया था।

उसकी सेवकाई में यीशु ने केवल भले काम किये जैसे कि बीमार लोगों को चगांई देना और स्वर्ग राज्य के सुसमाचार का प्रचार करना। उस समय में भी बुरे मनुष्य जैसे कि फरीसी और याजक यीशु से जलते थे। वे उससे नफरत करते थे और अलग अलग प्रकार की योजनाऐ बना कर उन्होंने उसे मारने की कोशिश की।
परन्तु क्योंकि परमेश्वर ने यीशु को सुरक्षित रखा, कोई भी उसे हानि नही पहुचां सका चाहे उन्होंने कितनी ही कोशिश क्यों न की।
और, यीशु जोखिमभरी परिस्थियां से अपनी महान बुद्वि से भाग बच निकला। लेकिन जब परमेश्वर के प्रावधान में, समय आ पहुंचा, यीशु को बुरे लोगों द्वारा बंधी बना लिया गया और कू्रस पर चढ़ाए जाने वाली निन्दनीय दषा को उठाया। यीशु का बचाया जाना और उसका बंदी बनाया जाना परमेश्वर के विधान के अर्न्तगत था।

मसीही में प्यारे भाईयों और बहनों, शत्रु दुष्ट और शैतान ने सोचा कि सब कुछ अच्छी तरह से ठीक हो रहा है। तब उन्होंने स्त्री के बेटे को क्रूस पर चढ़ा दिया जो सापं के सिर को कुचलेगा। उन्होंने सोचा कि अब उनके पास अधिकार हमेशा के लिए रह जाएगा। परन्तु परमेश्वर की बुद्वि यहां पर पाई जाती है।

यीशु मसीह को मारने के द्वारा हम यह कह सकते है कि शत्रु दुष्ट और शैतान अपनी ही साजिश में फस गए। वे परमेश्वर के विधान को पूरा करने का एक औजार बन गए।
इसका मतलब क्या है? शत्रु दुष्ट और शैतान ने यीशु को अपनी उत्सुक इच्छा और उद्वारकर्ता से मुक्ति पाने की आवश्यकता जानकर मार दिया।
परन्तु आत्मिक क्षेत्र के नियम के अनुसार रोमियो 6ः23 मे यह आदेश देता हैं कि पाप की मजदूरी मृत्यु है। मृत्यु की सजा केवल पापियों पर लागू होती है। दूसरे शब्दों मे मृत्यु की सज़ा उस मनुष्य को नही दी जा सकती जो पापरहित है।

यीशु के पास न ही तो मूल पाप था न ही स्वयं का किया गया कोई पाप, इसलिए उसका मारे जाने का काई भी कारण नही था। उसके पास न ही तो मूल पाप था क्योकि वह आदम का वंशज नही था। वह पवित्र आत्मा के द्वारा पैदा हुआ था। और उसने कभी भी कोई पाप नही किया था। परन्तु तौभी शत्रु दुष्ट और शैतान पापरहित यीशु को मार दिया और परिणामस्वरूप, जो दुष्ट था उसने आत्मिक क्षेत्र के नियम का उल्लंघन कर दिया।
आत्मिक क्षेत्र के नियम का उल्लंघन करने का परिणाम यह हुआ कि शत्रु दुष्ट को अब मनुष्य के ऊपर और मृत्यु के ऊपर अधिकार को छोड़ना पड़ा। यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया परन्तु क्यांकि उसमें कोई पाप नही था। इसलिए वह मृत्यु के अधिकार को तोड़ सका और फिर से जी उठ सका।

यह भी कि, वे जो हृदय मे विश्वास करने के द्वारा प्रभु के साथ एक हो जाते है, अब वे दुष्ट शत्रु के मृत्यु के अधिकार से स्वतन्त्र हो सकते है, और स्वर्गीय राज्य मे प्रवेश कर सकते है। वो जो यीशु मसीह पर विश्वास करने के बाद कब्रों में है। और आप जो प्रभु के साथ एक है। प्रभु के आने पर पुर्नजीवित शरीर प्राप्त करेंगे और हवा मे 7 साल के विवाह भोज में जाएेंगे। फिर हम अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।

परमेश्वर की भविष्यवाणी कि मनुष्य का पुत्र सांप के सिर को कुचलेगा वह ठीक ठीक पूरी हो गई।

इसके विषय में रोमियों 5ः18-19 कहता है। इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दंड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसे ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित्त धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ। क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे।

एक मनुष्य अर्थात यीशु के आज्ञा मानने के द्वारा, सभी नही, बहुत लोग, यीशु को अपना उद्वारकर्ता ग्रहण करेंगे और वचन के अनुसार जीएगें। बहुत धर्मी बना दिए जाऐंगे।

मसीह में प्यारे भाईयों और बहनो, उद्वार का यह प्रावधान कितना बुद्विमान और गहरा है। सबसे पहले आदम के अनाज्ञाकारिता के पाप करने के परिणाम स्वरूप, उसे आत्मिक क्षेत्र के कानून के अनुसार मृत्यु की सज़ा को लेना पड़ा। मैंने आप को पहले ही बता दिया है। कि क्यों परमेश्वर ने भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष को बनाया, कि आदम इस में से खाएगा।

परन्तु 4000 वर्ष के पश्चात, दुष्ट शत्रु शैतान ने आत्मिक क्षेत्र के कानून का उल्लंघन किया, इसलिए उसने मृत्यु के उपर अपने अधिकार को खो दिया। उसी आत्मिक क्षेत्र के नियम के अनुसार पाप की मज़दूरी मृत्यु है। एक बार तो मनुष्य मृत्यु में गिर गया और दूसरी बार मृत्यु का अधिकार तोड़ दिया गया और अब विश्वास के द्वारा बचाए जा सकते है।

शत्रु दुष्ट ने अपने अधिकार को अपनी पूरी बुद्वि के साथ अन्त तक बचाए रखने के कोशिश की परन्तु परमेश्वर ने इस योजना में से देखकर के उद्वार के प्रावधान को शुरूआत से ही तैयार किया हुआ था। यदि दुष्ट शत्रु क्रूस के इस प्रावधान को जानता तो वह यीशु को नही मारता।

आज का बाइबल पद 1 कुंरन्थियों 2ः8-9 में कहता है। जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। परन्तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं।

यह एक भेद है जो कि समय के शुरू होने से पहले से छिपा है। यदि दुष्ट शत्रु इस भेद को जानता तो वह यीशु को कू्रस पर नही चढ़ाता। तो फिर उद्वार को मार्ग नही खुलता। इसलिए इसे भेद कहा जाता हैं जो समय के शुरू होने से पहले से छुपा है।

इसलिए कही ऐसा न हो कि शत्रु दुष्ट को इसका पता चल जाता। परमेश्वर ने अपने प्रावधान को भेद बना कर रखा जबतक कि कू्रस पर यह सम्पूर्णता से पूरा नही हो गया। क्योकि यीशु जो परमेश्वर के साथ एक है। इस प्रवधान को जानता था, उसने मृत्यु के क्षण तक उसका पालन किया और उद्वार के प्रावधान को पूरा कर दिया।

इफिसियों 2ः8 कहता हैं कि क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है।

यह परमेश्वर का उपहार है कि हम बचाए जा सकते है। इसलिए नही कि हम भले है या चतुर या फिर बुद्विमान है। यह परमेश्वर का हमारे लिए मुफ्त उपहार है।

रोमियों 10ः10 इस प्रकार से कहता है। कि क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है।

अर्थात आप के पास विश्वास केवल ज्ञान के तौर पर नही होना चाहिए, परन्तु आपको हृदय में विश्वास करना है। इसलिए जो हृदय में विश्वास करते है। वह वचन के अनुसार जीऐंगे। परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करेंगे और ज्योति में रहेंगे। इस प्रकार से उनका न्याय होता है। वे उन चीज़ों को निकाल फेंकते है। जिन्हें परमेश्वर निकाल फेंकने को कहते है। जैसे कि बुराई को निकाल फेंकना। वे उसे नही करते जिसे परमेश्वर करने से इन्कार करता है।

वे उसे ही रखते हैं जिसे परमेश्वर हमे रखने को कहता हैं और वही करते हैं जिसे परमेश्वर हमे करने को कहता है। इस प्रकार से उनका न्याय होता है। और जब वे उस विश्वास का होठों से अंगीकार करते है। उनका उद्वार होता है। जब परमेश्वर के ये पुत्र और पुत्री अंगीकार करते है कि वे विश्वास करते है। तो यह अंगीकार सच्चा होता है। विश्वास के इस सच्चे अंगीकार से उनका उद्वार होता है।

अब, केवल तभी जब हम प्रभु पर विश्वास करने के द्वारा एक हो जाते है। परमेश्वर के अनुग्रह से उद्वार को प्राप्त कर सकते है। यदि आप परमेश्वर की इस अदभुत योजना को महसूस करते है। आप चुप नही परन्तु चिल्लाकर कहते है। कि हां यह विश्वास के द्वारा उद्वार प्राप्त करने का प्रावधान है।

मसीह में प्यारे भाईयों और बहनो, इसका मतलब क्या है। प्रभु के साथ एक होना और उस पर विश्वास करना? हम ये नही कह सकते कि हमारे पास सच्चा विश्वास हैं जब हम केवल होठां से अंगीकार करते है कि प्रभु में विश्वास करता हूं। हमें अपने हृदय मे विश्वास करना है। और अपने विश्वास का प्रमाण अपने कामों मे दिखाना होता है।

यदि आप सचमुच जानते है कि परमेश्वर प्रेम हैं वह हमारा पिता है। और यह कि यीशु हमारा उद्वारकर्ता है। आप परमेश्वर के वचन के अनुसार और ज्योति में जीवन जीऐंगे। ये आपके विश्वास का प्रमाण है। परमेश्वर विश्वास के इस प्रमाण को देखेगा और कहेगा कि आपके पास विश्वास हैं और आपको बचाएगा।

यीशु ने यूहन्ना 6ः56 मे कहा, जो मेरा मांस खाता और मेरा लोहू पीता है, वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में।

और यूहन्ना 17ः21 कहता है। जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ही ने मुझे भेजा।

मनुष्य के पुत्र के मास को खाना और लहू को पीना, प्रभु के वचन को अपने हृदय मे रखना हैं और उसका अभ्यास करना है। यदि हम प्रभु के वचन का पालन करते है और उसका अभ्यास करते है। तो हम प्रभु में निवास करते है और प्रभु हममें निवास करता है। हालांकि परन्तु जिस क्षण हम प्रभु को ग्रहण करते है। उसी समय से सत्य के सभी वचनां का पालन करना और अभ्यास करना आसान नही है।

कुछ ही ऐसे है। जो प्रभु को ग्रहण करने के तुरन्तु बाद ही परमेश्वर के वचनों पर चलते है। और उनका पालन करते है। परन्तु यदि हम सचमुच परमेश्वर के वचनों का पालन करने के कोशिश करें जो परमेश्वर उसे विश्वास के तौर पर आंकता है।

क्योंकि आप परमेश्वर को जानते है। और भली भांती उस पर विश्वास करते हैं। और क्यांकि आप जानते है। कि यीशु मसीह हमारा उद्वारकर्ता है। और यह भी जानते है। कि कू्रस का संदेश क्या है। तो आप जब परमेश्वर के वचन को सुनते है। तो आप उसे अपने हृदय मे रखने के कोशिश करते है। है कि नही? वही आपके विश्वास का प्रमाण है।

प्रभु के साथ एकजुट होना और एक हो जाने का तरीका यह है। कि अपने आप को बदले और इस प्रकार से प्रभु के सदृश हो जाएें। यदि आप सच्चाई से प्रभु पर विश्वास करते है। आप निश्चित तौर पर विश्वास, आज्ञापालन और उसके वचनों का पालन करेंगे।

आप इस प्रकार की आज्ञाओं का पालन करने की कोशिश करेंगे जैसे कि, पवित्र बनो, पाप और बुराई से मुक्ति पाओ, अधार्मिकता से समझौता न करो, ईमानदार बनो, सत्यवादी रहो, एक दूसरे से प्रेम करो और सेवा करो, सबसे पहले दूसरां के हित को खोजो इत्यादि।

यदि सांसारिक लोग इन वचनों को सुनते है। वे सोच सकते है। कि यह मूर्खता है।

परन्तु 1 कुंरन्थियों 1ः18 क्योंकि क्रूस की कथा नाश होनेवालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पानेवालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।

अविश्वासी लोग रविवार को पिकनिक, गोल्फ खेलने, मच्छली पकड़ने या पहाड़ां पर चढ़ाई करने का चले जाते है। परन्तु विश्वासी अपनी छुटी के दिन चर्च आते है। और परमेश्वर की आराधना करते है।

इसलिए अविश्वासियों की नज़रो मे, यह कितनी मूर्खता जान पड़ती है। परन्तु यह उद्वार का रास्ता है। और विश्वास का प्रमाण है।

यदि आप प्रभु पर विश्वास करते है। आप आनन्द के साथ परमेश्वर के वचन का पालन कर सकते है। चाहे आपको पीड़ाओ से क्यों न गुज़ना पडे़। आप धन्यवाद के साथ सकरे रास्ते पर चल सकते है। क्यांकि आप विश्वास करते हैं कि आप ज्योति में रहने के द्वारा बचाए गए है। और क्योंकि आपके पास सुन्दर स्वर्गीय राज्य में प्रवेश करने की आशा है।

1 यूहन्ना 1ः7 कहता है। पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु मसीह का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।

केवल जब आप परमेश्वर के वचन पर चलते है। जो कि ज्योति है। यीशु मसीह का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।

केवल मुंह से अंगीकार करने से कि मैं प्रभु में विश्वास करता हूं प्रभु का लहू हमें साफ नही करेगा। परन्तु जब हम ज्योति में चलते है। अर्थात परमेश्वर के वचन में तभी यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है। केवल जब आप परमेश्वर के वचन के अनुसार जो कि ज्योति है उसमें चलते है। यीशु का कीमती लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करेगा।

इब्रानियों 10ः17 (फिर वह यह कहता है, कि) मैं उन के पापों को, और उन के अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा।

भजन संहिता 103ः12 उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उस ने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है।

इसी तरह से जो पश्चाताप करते है। और ज्योति में निवास करते है। उनके पाप माफ किये जाएंगे। वो जो उन्होंने बीते समय मे किये और प्रभु के पुर्नउत्थान में वे भागी हो सकते है। और अनन्त स्वर्ग के राज्य में खुशी का आनन्द लेगें।

मसीह में प्यारे भाईयों और बहनों, अब मैं समझता हूं कि आप इस सिद्धान्त को समझ चुके होंगे कि किस प्रकार से आप बचाए जा सकते है। जब आप यीशु मसीह पर विश्वास करते है। परन्तु यहां पर एक ओर महत्वपूर्ण बात जो आपको याद रखनी चाहिए वो यह हैं कि यीशु, यीशु मसीह और प्रभु यीशु नाम में बहुत बड़ा अन्तर है।

क्यांकि बहुत से पास्टर जो परमेश्वर के वचन को सिखाते है वे इस अन्तर को नही जानते है। वे केवल यही कहते है। यीशु मे नाम में मैं प्रार्थना करता हूं आमीन। परन्तु आपको ऐसा नही करना चाहिए।

मत्ती 1ः21 कहता है। वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्वार करेगा। जैसे कि कही गया है। यीशु के नाम का अर्थ है, वह जो अपने लोगों का उन के पापों से उद्वार करेगा।

यह कहता है कि वह उद्धार करेगा।

यह कहता है वह हमारे उद्वार के लिए कू्रस को उठाएगा और अपना लहू बहाएगा। परन्तु मसीह का मतलब होता है अभिष्कित किया गया। और उस का जिक्र करता है। जिसने उद्वारकर्ता की योग्यताआें को प्राप्त कर लिया है। ग्रीक में मसीही कहा जाता है। और इब्रानियों मे मेसीयाह और हिन्दी में प्रभु और उ़द्वारकर्ता या प्रभु कहा जाता है।

इसलिए हम कहते है। प्रभु यीशु या फिर यीशु मसीह। जिसका अर्थ यह है कि उसने पहले ही अपने लोगों को उनके पापों से उद्वार दे दिया है।

तो फिर कब यीशु उद्वारकर्ता बना? कू्रस पर चढ़ाए जाने के बाद जब वह मृतकों में से तीसरे दिन जी उठा और मृत्यु के अधिकार को उसने तोड़ दिया। अतः यीशु नाम उस समय इस्तेमाल किया गया जब तक उसने कू्रस नही उठाया था। और मृतकों में से जी उठने के समय का जिक्र करने के लिए हमें यीशु मसीह कहना होता है।
या हम बाइबल में यह कहते हुए सुन सकते है। प्रभु यीशु मसीह या फिर यीशु मसीह। इसी कारण से चेलों ने और प्रेरितों ने प्रभु के जी उठने के बाद जब प्रार्थनाएं या सुसमाचार का प्रचार किया, उन्होंने केवल यीशु नही कहा परन्तु साथ में उन्होंने प्रभु या फिर मसीह जोड़ा।
उदारण के लिए, प्रेरितों के काम 3ः6 में, जब पतरस और यूहन्ना ने एक लगड़ें को सुन्दर द्वार पर चंगा किया, उन्होंने कहा, यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर। उन्होंने ऐसा नही कहा यीशु के नाम से चल फिर परन्तु यीशु मसीह के नाम से।

इफिसियों 5ः20 और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते रहो।

यहां पर भी कहा गया, प्रभु यीशु मसीह के नाम से, यीशु के नाम से नही।

यहां पर वह केवल यीशु मसीह कह सकता था परन्तु प्रेरित पौलुस ने लगातार प्रभु जोड़ा और उसने कहा प्रभु यीशु मसीह। जैसे कि हम कह सकते हैं पिता परन्तु ज़ोर देकर कहते है। अब्बा पिता। प्रभु का मतलब यीशु मसीह परन्तु और ज़ोर देकर हम कह सकते है। प्रभु यीशु मसीह।

इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण आत्मिक अर्थ पाया जाता है।

मैं आप को एक उदारण देता हूं। मान लिजिए एक पुलिसवाला एक चोर के सम्पर्क में आया परन्तु वह पुलिसवाला नही जानता कि वह व्यक्ति चोर है। यदि वह चोर जान जाता है। कि वह पुलिसवाला उसे नही पहचानता है तो वह न ही तो डरेगा और न ही भागेगा।

क्यांकि वह पुलिसवाला नही जानता है। कि वह व्यक्ति चोर है। या फिर वह व्यक्ति एक डाकू है। या फिर एक खूनी, पुलिसवाला उस व्यक्ति को नही पकड़ेगा।

इसलिए वह व्यक्ति पुलिसवाले से नही डरेगा। परन्तु यदि पुलिसवाला उसकी पहचान जानता हो। तो वह चोर क्या करेगा? वह तेजी से दौड़ अपने आप को छुपा लेगा, इस डर से कि कही वह उसे गिरफतार न कर लें। दुष्ट शत्रु के साथ भी उसी प्रकार से है।

केवल यीशु के नाम में प्रार्थना करने के बजाए। यदि आप उद्वार के विधान को सही सही जानते हुए यीशु मसीह के नाम से प्रार्थना करते है। तो आपकी प्रार्थना की सामर्थ बिलकुल अलग होगी। यहां तक कि उन कामों के लिए भी जो आपके लिए असभंव है। यदि आप उस विश्वास के साथ अंगीकार और प्रार्थना करते है कि यह उद्वारकर्ता यीशु मसीह मे सभ्ांव है। तो आपकी प्रार्थना अधिक प्रभावशाली होगी।

जब आप दुष्ट आत्माओं को निकालते हो, आप विजयी प्रभु के नाम से आज्ञा देते हो यह जानते हुए कि यीशु मसीह ने मृत्यु के ऊपर शत्रु दुष्ट और शैतान के अधिकार को तोड़ दिया है। तो दुष्ट आत्माऐं कांपते हुए निकल जाती है। मुझे आशा हैं कि आप इस तथ्य को याद रखेंगे और यीशु मसीह या प्रभु यीशु मसीह के नाम से प्रार्थना करोगे, केवल यीशु के नाम से नही।

कुछ लोग यीशु मसीह नासरी के नाम से भी प्रार्थना करते है। एक पास्टर ने मुझे बताया कि वह हमेशा यीशु मसीह नासरी के नाम से प्रार्थना करता है। और मैं उसके सपने में प्रकट होकर कहा, तुम नासरी क्यो जोड़ते हो? आप सिर्फ यीशु मसीह के नाम से प्रार्थना कर सकते हो।

अर्थात वे इज्राइल में नासरी कहा करते थे क्योंकि यीशु नासरत मे पला बड़ा। लेकिन दूसरे देशों में हमें इस वाक्य नासरी को जोड़ने की आवश्कता नही है। हम केवल यीशु मसीह या प्रभु यीशु मसीह के नाम से प्रार्थना कर सकते है।

प्रकाशितवाक्य 3ः20 कहता है कि देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं; आत्मिक तौर पर द्वार विचारों से संबन्ध रखता है। इसलिए परमेश्वर हमारे हृदय पर हमारे विचारों को बहार से खटखटा रहा है। यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।

अर्थात यदि आप अपने विचारों का द्वार खोलते है। आप प्रभु को ग्रहण करेंगे, और तब प्रभु और पवित्र आत्मा आपके हृदय में आएगें ओर आपके साथ भोजन करेगें। आप एक हो जाऐगें जिसका मतलब है, आप प्रभु का वचन खाएंगे, प्रभु की देह मांस और विश्वास का साथ कार्य करेंगें। इसलिए यह कहता है। कि मैं अन्दर आउगां और उसके साथ भोजन करूगां और वह मेरे साथ।

प्रभु ने हम से वादा किया है। कि जो कोई उसकी आवाज सुनता है। और द्वार खोलता है। वह उसके साथ रहेगा।

यदि आप में से अभी किसी ने प्रभु को ग्रहण नही किया है। कृप्या इस क्षण अपना हृदय खोलें, प्रभु यीशु को ग्रहण करें और अपने पापों की क्षमा प्राप्त करें। आपको अपने हृदय के द्वार को खोलने के लिए पहले अपने विचारों के दरवाजें को खोलना चाहिए। जब आप परमेश्वर के वचन को सुनते है। तो आपको अपने विचारां और ज्ञान को बढ़ावा नही देना चाहिए। परन्तु मान लेना और परमेश्वर का वचन ग्रहण करना लेना चाहिए।

मुझे आशा है कि आप यह सोचकर संदेह नही करेगें कि कैसे मैं परमेश्वर पर विश्वास करूं जिसे मैं देख नही सकता। मैं समझ नही सकता कि एक कुंवारी यीशु को पैदा करती है। या एक मरा हुआ जी उठता है। परन्तु केवल परमेश्वर की सामर्थ को जाने जो कि मनुष्य के ज्ञान और विचारों से परे है।

साथ ही साथ हमारे चर्च के सदस्य अनगिनत चिन्हों, चमत्कारों और अचंम्भित कार्यों की गवाही दे रहे है। और स्वयं अनुभव कर रहे है। और मृतक जी उठ रहें है। जैसे कि बाइबल में अभिलिखित है। आप ने देखा कि अन्धे देख रहे है, बहरे सुन रहें है, लगड़े चल रहें है और समय और दूरी को लांघते हुए बीमारियां ठीक हो रही है।

केवल इस ब्राहांड में सभी चीज़ों को दखने के द्वारा भी जीवित परमेश्वर के बहुत से प्रमाण मिलते है। केवल उन सब सामर्थी कामों को देखने के द्वारा भी जो इस चर्च में हो रहे है, हम आसानी से पा सकते है कि जो मनुष्य के द्वारा असम्भव है वह परमेश्वर की सामर्थ के द्वारा सभंव है। चाहे एक मनुष्य कितना ही बुद्विमान और योग्य क्यों न हो परन्तु वह परमेश्वर की सामर्थ और बुद्वि की तुलना में बहुत ही छोटा प्राणी है।

अतः हमें एक दीन मन से अपने विचारो को तोड़ देना चाहिए और इस तथ्य को पहचानना चहिए कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता है और उसका वचन सत्य है। यदि आप इस तथ्य को पहचानते है और अपना हृदय खोलते है तब परमेश्वर आपको पवित्र आत्मा आपके साथ रहने के लिए देगा। प्रेरितों के काम 2ः38 कहता है पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्रा आत्मा का दान पाओगे।

और यूहन्ना 1ः12 कहता है। परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात् उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। यदि आप अपना हृदय खोलते है और पवित्र आत्मा पाते है। आप पवित्र आत्मा के द्वारा सच्चा विश्वास पाओगे। आप अपना जीवन परमेश्वर के वचनों के अनुसार जीने के लिए भी ताकत पाओगे।

पिछले कल कुछ ऐसा ही हुआ, हमारे पास इस सभा में तीन महमान है। और जब वे लां स्। से आ रहे थे हमने सुना कि वे अपने निश्चित समय से दो घंटे पहले निकल चुके थे। उनके पहले समय के अनुसार वे यहां पर शाम 7ः30 बजे पहुचते इसलिए हमारी स्वागत टीम योजना बनाई कि वे चर्च में 5ः30 बजे इकटठे होगें और चले जाएगे। परन्तु शनिवार को मेरे घर पर जब मैं लोगों से मिल रहा था मैं अपने मेरा हृदय प्रेरित हुआ और मैंने महसूस किया कि वे अपेक्षित समय से पहले आ रहे थे । इसलिए मैंने अपनी स्वागत टीम को बताया कि वे जल्दी चले जाएं।

मैंने एक संदेश भेजा क्योंकि ऐसी बहुत सी समस्याऐं रहती है इसलिए बेहतर ये होगा कि वे जल्दी तैयार हो जाएं और हवाई अडडे पर जल्दी चले जाएं। इसलिए वे स्ंवय से जल्दी तैयारी कर रहे थे। परन्तु जब मैं एक और चर्च सदस्यों के समूह से मिल रहा था परमेश्वर ने मेरा हृदय दोबारा प्रेरित किया कि भला ये है कि हम और भी जल्दी जाएं।

इसलिए मैंने कुछ लोगों को कहा कि उन्हें और भी जल्दी जाने को कहे। और बाद में हमे हमारे महमानों से यह समाचार मिला कि वे स्। ला से अपने सुनिश्चित समय से 2 घंटे पहले निकल रहे थे।

और दोबारा उन्होंने एक दूसरी उड़ान भरी और एक घंटा और भी जल्दी आ गए और अन्त में वे इंचोन हवाई अडडे पर 4ः30 पर पहुचें। और हमारी स्वागत टीम ने योजना बनाई थी कि वे 5ः30 बजे निकलेंगे और 7ः30 बजे महमानां को लेने के लिए पहुंचेगे परन्तु वे भी हवाई अडडे पर 4ः30 बजे पहुंच गए।

पवित्र आत्मा की अगुवाई के द्वारा मैंने उन्हें ऐसा करने का कहा और वे हवाई अडडा तीन घंण्टे पहले पहुच गए। और वे महमानों का समय पर स्वागत का पांऐ। क्यांकि परमेश्वर सब कुछ जानता है। हम देखते है कि वह सब कुछ ऐसे विस्तार से नियंत्रित करता है।

यह हैं पानी और पवित्र आत्मा से नये सिरे से जन्म लेना और वे जो नये सिरे से जन्में है। वे परमेश्वर की संतान है। परमेश्वर उन्हें मेरा बेटा, मेरी बेटी पुकारता है और हम परमेश्वर को पिता कह सकते है। और परमेश्वर के सतांन के नाम जीवन की पुस्तक में स्वर्ग मे अभिलिखित हो जाते है। और वे स्वर्ग राज्य की नागरिकता को प्राप्त करते है।

जैसे हम इस संसार के नियमों का पालन करते है। वैसे ही स्वर्गीय नागरिकों को स्वर्गराज्य के नियमों का पालन करना होता है। अर्थात हमें परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना है जो कि सृष्टिकर्ता और पिता है। हालॉकि हम प्रभु में अपने विश्वास का अगींकार करते है और पवित्र आत्मा प्राप्त कर चुके है यदि हम प्रभु के वचनां पर न चलते हुए पाप करते रहते हैं, शत्रु दुष्ट हम पर दोष लगाता है और परीक्षाऐं लाता है।

हालॉकि परिक्षाएं और क्लेशों के सताव के बावजूद भी अगर हम पाप करते रहें तो हमारे नाम मिटा दिये जायेगे। हम स्वर्गीय राज्य मे प्रवेश नही कर सकते है। केवल जब आप स्वर्ग राज्य के नियमों का पालन करते है, आप शत्रु दुष्ट और शैतान के द्वारा दोषी नही ठहरते है परन्तु परमेश्वर की सुरक्षा और आशीषों के तले रहते है जब तक कि आप स्वर्ग राज्य न पहुंच जाओ।

मैं आपको संदेश का निष्कर्ष देता हूं।

मसीह में प्यारे भाईयों और बहनों, देखने वाले श्रोताओ, प्रेरितों के काम 16ः31 कहता है। उन्होंने कहा, प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा। परमेश्वर हमारे लिए उद्वार देने की सभी प्रक्रियाओें को न्याय के कड़े नियमो के अनुसार हमारे विश्वास के द्वारा पूरा करते है।

उद्वार का विधान परमेश्वर के अनुग्रह और प्रभु के प्रेम के द्वारा बिना कीसी की जानकारी के भेद की रीति पर पुरा हुआ। इस भेद को जाने बगैर यीशु को मारने के बाद, जब शत्रु दुष्ट और शैतान को पता चला कि उसने मृत्यु पर अपने अधिकार को खो दिया है तो वह कितना अपमानित हुआ होगा।

परन्तु इसका मतलव यह नही कि शत्रु दुष्ट ने उसी वक्त छोड़ दिया हो और मनुष्य को उद्वार प्राप्त करने दें। अब उन्होंने अपनी चाल को बदल दिया है कि वे लोगों में संदेह उत्पन्न करे ताकि वे उद्वारकर्ता को ग्रहण न करें और उन्हें परीक्षाओं में डाले ताकि वें अच्छा विश्वासी जीवन न जी सकें। यह उन्हें अपने साथ नाश की ओर ले जाना है। अविश्वासीयों के लिए, वे उनके विचारों में कार्य करते है और उन्हें संदेह में डालते है। जैसे कि सृष्टि विज्ञान संबंधी नही है। मैं इस पर विश्वास नही कर सकता कि कैसे मर कर मनुष्य जीवित हो सकता है। हम कैसे केवल यीशु मसीह पर विश्वास के द्वारा उद्वार पा सकते है जिसे क्रूस पर लटकाया गया था।

वे उन्हें भी जाल में फसाते है जिन्होंने पहले ही प्रभु को ग्रहण कर दिया हैं ताकि आप फिर से पाप करने की इच्छा करो। वे आपको इस प्रकार के प्रभोलन में डालते है जैसे कि, चाहे आप संसारिक लोगों के समान पाप करते क्यों न रहो तोभी आप केवल यीशु नाम के द्वारा बचाए जाओगे।

1 कुरिन्थियों 1ः21 कहता है। क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रकार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करनेवालों को उद्धार दे।

क्या परमेश्वर आप सब को नही बचा सकते है? वो बचा सकते हैं। यदि वह जली हुई आग से आसमान मे लिखें कि प्रभु यीशु पर विश्वास करो अन्यथा तुम बचाए नही जाओगें। स्वर्ग और नर्क है। परमेश्वर सृष्टिकर्ता जीवित है। और यदि तुम उस पर विश्वास नही करोगे तो तुम नर्क में डाल दिये जाओगे, क्योंकि न्याय होना है। मैं तुम्हे लेने फिर वापस आउंगा।

जरा कल्पना किजिए कि परमेश्वर ने ऐसा जलती हुई आग से आसमान पर लिखा। तो हर कोई डर के कारण यीशु को ग्रहण करेगा। परन्तु परमेश्वर की इच्छा यह नही है। वह ऐसा परमेश्वर नही है कि वह दबाव में डालकर उद्वार प्राप्त करने के लिए मज़बूर करे।

परमेश्वर उनकी खोज कर रहें हैं जो भलाई के साथ अपने हृदय को खोलें और ष्यीशु को अपना उद्वारकर्ता ग्रहण करे और अपनी इच्छा से परमेश्वर से प्रेम करें। वह सच्ची सतांन प्राप्त करना चाहता है।
वह यह नही चाहता कि लोग दबाव में आकर उसपर विश्वास करें। वह सच्ची संतान चाहता है। इसलिए वह अपने अधिकार से लोगों को यीशु पर विश्वास करने के लिए मजबूर नही करते है। हालॉकि यह मूर्खता जान पड़ती है। वह हमें वचनों का प्रचार करने देता है। ताकि लोग अपने हृदय को खोलें, प्रभु को ग्रहण करें और एक सच्चा मसीही जीवन जीयें। वह इस प्रकार की सच्ची सतांन चाहता है।

भले ही शत्रु दुष्ट और शैतान कितनी ही बाधा डालने और लोगों को प्रभोलन में डालने की कोशिश क्यों न करें, परमेश्वर भले लोगों को ढूंढता है। और उन्हें सुसमाचार सुनाता है। इसलिए असंख्य आत्माओं ने अबतक विश्वास के साथ उद्वार प्राप्त किया है। मुझे आशा हैं कि आप जो इस संदेश को सुन रहें है, यीशु मसीह पर विश्वास करेगें जिसने हमें अपने अदभुत प्रेम से बचाया है। और अपना व्यक्तिगत उद्वारकर्ता ग्रहण करेगें। मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि आप पुर्नजीवित प्रभु के साथ पुर्नउत्थान की महीमा मे भागी बनोगे ताकि आप स्वर्ग के अनन्त राज्य में खुशियों का आनन्द लोगे।

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