Krus Ka Sandesh-13 – क्यों यीशु को चरनी में रखा गया?

क्यों यीशु को चरनी में रखा गया?
बाइबल पद
लूका 2ः1-7
उन दिनों में औगूस्तुस कैसर की ओर से आज्ञा निकली, कि सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं। यह पहिली नाम लिखाई उस समय हुई, जब क्विरिनियुस सूरिया का हाकिम था। और सब लोग नाम लिखवाने के लिये अपने अपने नगर को गए। सो यूसुफ भी इसलिये कि वह दाऊद के घराने और वंश का था, गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया। कि अपनी मंगेतर मरियम के साथ जो गर्भवती थी नाम लिखवाए। उस के वहां रहते हुए उसके जनने के दिन पूरे हुए। और वह अपना पहिलौठा पुत्रा जनी और उसे कपड़े में लपेटकर चरनी में रखाः क्योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी। श्

परिचय
मसीह मे प्यारे भाईयों और बहनो और प्यारे श्रोंताओं।
मै आपको उस कारण को बताऊँगा कि क्यों यीशु को चरनी मे रखा गया।
प्रभु पापियों को उनके पापों से मुक्त कराने के लिए मरा और मृत्यु के अधिकार को तोड़ा और तीसरे दिन जी उठ कर हमारे लिए उद्वार को मार्ग खोला ।

वह हमे अधंकार से ज्योति मे लाया। दुष्ट के अधिकार से अलग कर परमेश्वर की ओर कर दिया और नर्क से स्वर्ग की ओर हमारी अगुवाई की। जब तक कि यीशु ने उद्धार को पूरा न कर दिया, उसका पूरा जीवन आत्मिक क्षेत्र के कड़े नियम के अनुसार परमेश्वर के प्रावधान से परिपूर्ण था।

वह पापियों के लिए मारा गया और पापियों को श्राप से मुक्त कराने के लिए पेड़ पर लटकाया गया। और उसने अपना लहू बहाया क्योंकि केवल लहू बहाने के द्वारा ही पापों की क्षमा है।
इसके अलावा, यीशु का पृथ्वी पर आने से लेकर कू्रस पर चढ़ाये जाने तक प्रत्येक प्रक्रिया मे परमेश्वर का प्रावधान पाया जाता है।
यीशु ने जानवरो की गोशाला मे जन्म लिया, चरनी मे रखा गया और एक गरीबी का जीवन जीया। जब वह कू्रस पर चढ़ाया गया, उसके पूरे शरीर पर कोड़े मारे गए थे, और कांटो का ताज़ उसके सिर पर पहनाया गया और उसके हाथों पैरों में कीले छेदी गई।
वह नंगा क्रूस पर लटकाया गया। जो कपड़े वह पहने हुए था। उन्हे रोम के सैनिको ने चार टुकड़ो मे फाड़ दिया और उसका अंगरखे को चिठियां डालकर एक सैनिक ने ले लिया।
और उसकी एक तरफ रोमी सैनिक द्वारा छेदे जाने से उसने अपना सारा पानी और लहू बहा दिया। इन प्रत्येक प्रक्रियाओं मे परमेश्वर का प्रावधान पाया जाता है। और परमेश्वर का अनुग्रह और कृपा हैं और प्रावधान है हमे आशीषे देने के लिए है।
जब हम आशीषों को विश्वास से ग्रहण करते है। जो कि उसके प्रावधान मे है। तो हम उन आशीषों का अपने जीवन मे आन्नद ले सकते है। आज से मैं उन आशीषों के विषय मे बताऊँग, जो परमेश्वर ने यीशु के द्वारा दी है।

मुझे आशा हैं कि आप, पिता परमेश्वर की इच्छा को साफ तौर पर समझ पाएंगें जिसने अपना इकलौता पुत्र दिया हैं और प्रभु के प्रेम को जिसने अपना सब कुछ पापियों के लिए बलिदान कर दिया।

मुख्य

मसीह मे प्यारे भाईयों और बहनो, और दर्शको, आज का लेख यीशु के जन्म के विषय मे बताता है। कुवांरी मरियम जिसने यीशु को पवित्र आत्मा की सामर्थ से जन्म दिया वह अपने पति के साथ बेतलेहम को चली गई।
उस समय, बेतलेहम मे सभी स्थान लोगों से भरे हुए थे और वहां पर कोई और स्थान नही था। इसलिए मरियम ने गोशाला की एक सराय मे जन्म दिया।
क्योंकि वहां पर यीशु को रखने का कोई स्थान नही था जिसे कपडें़ मे लपेटा हुआ था। उसे एक चरनी मे रखा गया। जो कि एक पात्र होता है। जिसमे जानवरों को खाना खिलाया जाता है।
आम तौर पर, बच्चें एक आरामदायक कमरे मे पैदा होते है। और एक सुखदायी बिस्तर पर लेटे रहते है।
बहुत समय पहले जब हमारे पास कोई बिस्तर नही थे, हम मोटे कम्बल को बिछा देते थे और नये जन्मे बच्चों को उस पर रख देते थे।
परन्तु यीशु, सामर्थी परमेश्वर का एकलौता पुत्र एक गोशाला मे क्यों पैदा हुआ और क्यों चरनी मे रखा गया। यह भी परमेश्वर का प्रावधान है हमे आशिष देने के लिए है।
सभोपदेशक 3ः18 इस प्रकार से कहता है। मैं ने मन में कहा कि यह इसलिये होता है कि परमेश्वर मनुष्यों को जांचे और कि वे देख सकें कि वे पशु-समान हैं। जब परमेश्वर ने मनुष्य को जॉचा वे पशुओं से कोई अलग नही थे।
यह सुनने पर, कुछ को आश्चर्य हो सकता है। क्यों ऐसा है कि मनुष्य जानवरों के समान है।
परन्तु यदि आप मनुष्य की बुराई के बारे मे सोचो, तो वह अकसर जानवरों से भी बदतर होती है।
और, यहां तक कि जानवरों मे भी, कुछ ऐसे है जो अपने साथी को जीवन भर नही बदलते और अपने आप को अपने से छोटों के लिए बलिदान कर देते है। आपके घरों मे कुते अपने मालिक के लिए वफादार होते है। और वे भी कभी कबार अपने मालिकों के लिए अपना जीवन बलिदान करते है। मैने मुश्किल ही सुना होगा किसी कुते को अपने मालिक को दोखा देते हुए। परन्तु हम मनुष्य सभी प्राणियों के प्रभु दूसरों को बहुत बार धोखा देते है।
मनुष्य के विषय मे आप क्या कहते है। जो सभी प्राणियों के प्रभु है। वे अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए लड़ाईयों मे भिड़ जाते है। विवेकहीनता से स्त्रियों, बच्चों या बीमारों को मार देते है। यहां तक कि परिवारों और पड़ोसियों मे भी सच्चा प्रेम ढूढं पाना मुश्किल है।
तलाक दर लगातार बढ़ता जा रहा है, और वे लड़ते है, मुकदमा चलाते है या यहां तक कि माता पिता, बच्चों और भाईयों व बहनों के बीच भी हत्या कर देते है।
यदि यह उनके लाभ का नही होता है। तो वे अपने माता पिता, अध्यापकों, यहां तक कि अपने पुराने दोस्तों को भी धोखा दे देते है। अकसर हम ऐसे लोगो को पाते हैं जो भलाई के बदले बुराई करते है।
लोग दूसरे लोगों को खरीदते और बेचते है। और कभी कबार वे अपने बच्चों को भी बेच देते है।
यहां तक कि छोटे बच्चें भी गिरोह बना देते है। और ऐसे काम करते है। जिन्हे हम बता भी नही पाते है। समाचार मे हर दिन हम ऐसे बहुत सी तकलीफ़दायी चीजों के सुनते है। जिनकी कल्पना भी नही की जाती है।
इन सब कामों को देखकर हम यह नही कह सकते है। कि मनुष्य जानवरों से बेहतर है। आरंभ से परमेश्वर ने मनुष्य को अपने भले और पवि़त्र स्वरूप मे रचा।
परन्तु आदम के गिरने के बाद, मनुष्य पापी बन गया। और उन्होने परमेश्वर के भले स्वरूप को खो दिया। उनकी आत्मा मर गई और वे केवल देह और प्राण में ही जीवित रह गए। इसलिए वे जानवरों के समान हों गए जिनके पास केवल देह और प्राण है।
जैसे जैसे उनके हृदय और अधिक पास से कलंकित होते गए, उनकी इच्छाओं और वासनाओं के चलते, उन्होने बहुत से प्रकार के पाप किए।
कैसे इस तरह का मनुष्य, जो एक जानवर से समान बन गया, पवित्र स्वर्ग के राज्य मे प्रवेश कर सकता है।

वे केवल तभी स्वर्ग के राज्य मे जा सकते है। जब वे मनुष्य के कर्तव्यों को वापस प्राप्त कर सके और परमेश्वर की संतान बन सके। इसलिए यीशु इस घरती पर आया और एक चरनी मे रखा गया ताकि मनुष्यजाति को छुड़ाऐं और बचाएं जो जानवरों से कोई अलग नही थे।
यूहन्ना 6ः51 जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा मांस है।
मनुष्य रोटी को खाता है जो स्वर्ग से उतरी है उसका अर्थ हैं परमेश्वर के वचनो को अपने हृदय मे रखना।
वचन इस धरती पर देह मे आया। जिस प्रकार हमारी देह केवल भोजन से जीवित रहती है। उसी प्रकार हमारी आत्मा भी केवल आत्मिक भोजन से ही जीवित रहती है। जितनी अच्छी तरह से आप आत्मिक भोजन को पचाते है। और पूरा करते हैं उसी के अनुसार अपने प्राणो को समृद्ध बनाने के लिए आप आत्मा और सम्पूर्ण आत्मा मे जा सकते है। जैसे जैसे आपका प्राण समृद्ध होता है। सबकुछ आपके साथ भला चंगा होगा। और आप स्वस्थ रहेंगे। यीशु वचन है जो इस धरती पर देह मे होकर आया।
यीशु जो वचन है इस धरती पर देह मे होकर आया और मनुष्यजाति के लिए भोजन बन गया जो जानवरों के समान है।
अब मनुष्य अपने कर्तव्यों को वापस प्राप्त कर सकता है। और परमेश्वर के खोए हुए स्वरूप को भी प्राप्त कर सकता है। इस सच्चाई को हमे महसूस कराने के लिए यीशु को चरनी मे रखा गया।
मसीह मे प्यारे भाईयों और बहनों तो फिर, कैसे हम जानवर जैसे जीवन से अलग हो सकते हैं और सच्चा जीवन प्राप्त कर सकते है। हमारे कर्तव्यों को करने का और मनुष्य के समान जीवन यापन का क्या मार्ग है?
सभोपदेशक 12ः13 सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है।
जैसे की पढ़ा गया कि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य परमेश्वर का भय मानना और उसकी आज्ञाओं का पालन करना है। नीतिवचन 8ः13 कहता है। यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है।
परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना, बाइबल मे पाई जाने वाली आज्ञाओं का पालन करना है। जोकि परमेश्वर का वचन है।
ऐसी बहुत सी आज्ञाऐं है। जैसे कि हमेशा आन्नदित रहो, लगातार प्रार्थना करते रहों, हर परिस्थिति मे धन्यावाद दो और बैर न करना, शराब न पीना, सब्त को पवित्र मानना, वाचाओं का पूरा करना, हर बुराई से बचे रहना, विवाद से दूर रहना ।
हमे वह काम नही करना चाहिए जिसे बाइबल हमे नही करने को कहती है। वह करना चाहिए जिसे बाइबल करने को कहती है। जिसे रखने को कहती है। उसे रखना चाहिए और जिसे निकाल फेंकने को कहती है उसे निकाल फेंकना चाहिए।
इस तरह से बाइबल की आज्ञाओं का पालन करना परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना है। परन्तु ऐसे बहुत से लोग है। जो होठों से तो अगींकार करते हैं कि मै विश्वास करता हूॅ, परमेश्वर का भय मानता हूॅ परन्तु वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नही करते।
ऐसे भी लोग हैं जो परमेश्वर के वचनो को सिखाते है परन्तु स्वयं परमेश्वर के वचनों का पालन नही करते।
कुछ ऐसे भी लोग है जो कहते है, कि हम इतनी सारी आज्ञाओं का पालन कैसे कर सकते है। मसीह जीवन जीना बहुत मुश्किल है। जब वे बाइबल के वचनो को सुनते है उन्हे उनका अभ्यास करना चाहिए। परन्तु परमेश्वर हमे उन आज्ञाओं को हमे कठिनाई मे डालने के लिए नही दी।
आप ऐसा सोच सकते है कि यह मुश्किल है । परन्तु जब आप नये विश्वासी होते है यह मुश्किल हो सकता है। परन्तु जैसे ही आप आत्मा मे आते है। तो यह मुश्किल नही है और वो जो आत्मा मे आ चुके है उन्हे यह बिलकुल भी मुश्किल नही लगता । परन्तु बजाय इसके वे खुश होते है। यदि आप बुराई को निकाल फेंकते है और भलाई मे आ जाते है तो फिर सारी आज्ञाओं का पालन करना बहुत आसान है।

यहां तक कि इस ससांर मे माता पिता भी अपने बच्चों से बहुत सी बातें कहते है। अच्छी पढा़ई करो। सतुंलित खाना खाओ। शांत रहो। क्या ये बाते बच्चों को कठिनाई मे डालने के लिए कही जाती है?

बिलकुल नही। मातापिता ये बातें अपने बच्चों कि भलाई के लिए कहते है।

सिर्फ इसलिए क्योकि आप अपने बच्चों से प्रेम करते है। आप उन्हे ऐसा नही सिखा सकते है कि पढ़ाई करना मुश्किल है। इसलिए आप बस इधर उधर खेलते रहिए। घर की सफाई करना एक बोझ है इसलिए गन्दगी मे ही रहो। आप उनकी सुविधा के लिए ऐसा नही कह सकते है कि आप हर दिन मत नहाओ, कुछ दिनो मे एक बार नहाया करो। आप एक दिन मे अपने हाथ और पैर एक बार धो सकते है। क्योंकि आप अपने बच्चे से प्यार करते है। इसलिए आप कहते है गाड़ियाँ देख कर के चलना। अपने दाएं और बाएं देखना और यातायात के नियमो का पालन करना। क्या ये माता पिता का प्रेम नही है? यदि आप अपने बच्चो से वास्तव मे प्रेम रखते है। तो आप उन्हे मनुष्य के कर्तव्यों को करना सिखाएंगें।
हमारे पिता परमेश्वर हमे वही कामों को करने की आज्ञा देते है। जो हमे मनुष्य होने के नाते करने चाहिए। जिसे परमेश्वर हमे नही करने को कहता है। वो हमारे लिए जरूरी है कि हम क्लेशों और दुखों मे और नर्क मे न गिर जाए।

जो कुछ वह हमे करने को कहते है वो हमारे लिए आशीषो और उत्तर को प्राप्त करने के लिए जरूरी है और अन्त मे स्वर्ग के राज्य मे जाने के लिए है। वह हमे कुछ कामो को न करने को और निकाल फेंकने को कहता है। ताकि हम नर्क मे न गिर जाए। वह हमे कुछ कामो को करने को और आज्ञाओं का पालन करने को कहता है ताकि हम स्वर्ग राज्य मे प्रवेश कर सकें। वह हमे पिता के खोए हुए स्वरूप को प्राप्त करने को कह रहा है। इस तरीके से, हम आशीषो या संपति और स्वस्थय और दूसरी आशीषो को प्राप्त कर सकते है। यहां तक कि आपके बच्चे भी यदि वे आप से प्रेम करते है और आप पर भरोसा रखते है तो वे आप के शब्दों का पालन करेगें।

उसी तरह से, यदि आप परमेश्वर से प्रेम करते है जिसने हमे इतना महान प्रेम दिया है, और प्रभु से जो हमारे लिए कू्रस पर चड़ा तो फिर परमेश्वर के वचनो का पालन करना कोई मुश्किल नही है।
मुझे आशा है कि आप परमेश्वर के पुत्र का टूटी फूटी गोशाला मे, चरनी मे जन्म लेने के प्रावधान को महसूस करेंगे। इस तरह से मुझे आशा है कि आप परमेश्वर का भय अपने हृदय की गहराई से मानेंगे और परमेश्वर के खोऐ हुए स्वरूप को पुरी तरह से पुनः प्राप्त कर पाऐंगें।
मसीह मे प्यारे भाईयों और बहनो, यीशु राजाओं का राजा हैं और प्रभुओं का प्रभु, और वह सृष्टीकर्ता परमेश्वर के साथ एक है। यूहन्ना 1ः3 कहता है। सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई। युहन्ना 3ः35 कहता है, पिता पुत्र से प्रेम रखता है, और उस ने सब वस्तुएं उसके हाथ में दे दी हैं।
इसी तरह से जो सभी चीजों का स्वामी है, स्वर्ग की सारी महीमा को छोड़ते हुए, इस निकमी धरती पर आया और एक जानवर की नीच चरनी मे जन्म लिया

न केवल तब जब उसने जन्म लिया, परन्तु अपने पूरे जीवन मे, उसने गरीबी मे जीवन जीया। हमारे पास तो कुछ किराये के या दूसरे घर है, परन्तु उसके पास तो किराये का भी घर न था।

मत्ती 8ः20 मे उसने कहा, लोमड़ियों के भट और आकाश के पक्षियों के बसेरे होते हैं; परन्तु मनुष्य के पुत्र के लिये सिर धरने की भी जगह नहीं है। वह बिना किसी स्थायी घर के सुसमाचार का प्रचार करने के लिए और बीमारों को चगां करने के लिए इधर उधर फिरता रहा।
कभी कभी वह प्यासा, भूखा और थका हुआ था परन्तु उसने बिना आराम किए वचन का प्रचार किया। ऐसा नही है कि उसके पास अमीर जीवन जीने के लिए योग्यता नही थी। यीशु ने पानी मे से दाखरस बनाया और पॉच रोटी और दो मच्छलियों से पॉच हजार लोगों को खाना खिलाने का चमत्कार दिखाया और फिर 12 टोकरियां उस खाने की उठाई जो बच गया था।

यह भी, जैसे ही उसने आज्ञा दी, जब पतरस ने मच्छली को पकड़ा, तो उस मच्छली के मुह मे एक सिक्का था। यदि वह अपनी सामर्थ अपने लिए इस्तेमाल करता, तो वह एक अमीर से भी अच्छा जीवन जी सकता था। परन्तु क्या कारण है कि उसने एक गरीब जीवन जीया।
2 कुरिन्थियों 8ः9 कहता है तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह जानते हो, कि वह धनी होकर भी तुम्हारे लिये कंगाल बन गया ताकि उसके कंगाल हो जाने से तुम धनी हो जाओ।

अमीर यीशु हमे अमीरी की आशीषो ें को देने के लिए गरीबी से गुजरा। मनुष्य शुरू से ही गरीब नही था। जब वह अदन की वाटिका मे था, वहां सबकुछ बहुतायत से था और भूमी बहुमूल्य फल उगाती थी ताकि वे केवल पेड़ो से खा सके।

परन्तु आदम के गिर जाने के बाद, मनुष्य के साथ साथ सब कुछ श्रापित हो गया और यह धरती उंट और कटारे उगाना लगी ताकि मनुष्य अपने माथे के पसीने के परिश्रम से भोजन खा सकें। मनुष्यजाति का इस प्रकार से गरीबी मे रहने का कारण वह श्र्राप था जो आदम के पाप के कारण उन पर आ गया।

हालॉकि गरीब होना अपने आप मे कोई पाप नही है। परन्तु तो भी यह उस श्राप का हिस्सा है जो हमारे उपर आदम के पाप के कारण आया।
क्योकि श्राप पाप नही है, हमारे प्रभु को हमे इससे मुक्ति देने के लिए लहु नही बहाना पड़ा बल्कि हमारा प्रभु गरीबी मे जन्मा और गरीबी का जीवन जीया कि हमे गरीबी से मुक्त करें।

परन्तु यदि यह पाप होता तो अवश्य ही उसके लिए लहू बहाना पड़ता। पाप की मजदूरी मृत्यु है और केवल लहू के द्वारा ही पाप माफ किये जा सकते हैं। इसी कारण से हमारा प्रभु जिसके अन्दर न तो मूल पाप था और न ही स्वयं का कोई पाप था उसने अपना कीमती लहू बहाया। उसने काटों का ताज़ पहना हमारे विचारो के द्वारा किये गए पापों को माफ करने के लिए। उसके हाथों और पैरो को छेदा गया। और वह नंगा था और पूरे शरीर पर कोड़े मारे गये। और उसके एक तरफ भाले से मारे जाने के द्वारा उसने अपना सारा पानी और लहू बहा दिया, हमे हमारे सारे पापों से माफ करने के लिए।

मसीह मे प्यारे भाईयों और बहनों, कुछ लोग कहते है कि भौतिक आशीषो ें के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करना यह उचित नही है। परन्तु बाइबल मे ऐसे बहुत से वादे है कि परमेश्वर हमे अमीर बनाऐगा।

और वो जिन्होने परमेश्वर का भय माना और उसके वचनो का पालन किया जैसे कि अब्राहम, विश्वास का कुलपिता, इसहाक, याकूब, यूसुफ, और दानियेल ने बहुतायत और आशीषित जीवन जीया। हमे भी प्रभु के अनुग्रह से अमीरी की आशीषों का आनन्द लेना चाहिए जिसने हमे गरीबी से छुड़ाया है।

जब हम पर्याप्त धनवान होते है हम परमेश्वर को महिमा दे सकते है। यदि गरीब होकर आप कहते है कि यीशु मसीह पर विश्वास करो तो आप आशीषे पाओंगें तो फिर सुनने वाला क्या कहेगा? वह यही कहेगा कि पहले आप आशीष प्राप्त करों। यदि आप बीमार होकर कहते है कि आप चगें हो जाऐंगे यदि आप प्रभु को ग्रहण करेंगे, तो वे कहेगें पहले आप चंगे हो जाओ। तो फिर आप परमेश्वर को महीमा नही दे सकते।

हालॉकि हमे अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए नही मांगना चाहिए परन्तु केवल परमेश्वर की महिमा के लिए।
याकूब 4ः2 तुम लालसा रखते हो, और तुम्हें मिलता नहीं; तुम हत्या और डाह करते हो, और कुछ प्राप्त नहीं कर सकते; तुम झगड़ते और लड़ते हो; तुम्हें इसलिये नहीं मिलता, कि मांगते नहीं। तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिये कि बुरी इच्छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो।

परन्तु आप मे से कुछ गलत मनसा और अपनी ही खुशी के लिऐ मागंते है, इसलिए परमेश्वर आपको आपके उत्तर नही दे सकते है। वह इसलिए क्योंकि जब अभिलाषा गर्भवती होती है तो यह पाप को जन्म देती है, और जब पाप पूरा हो जाता है, तो यह मृत्यु को लाता है। सक्षिप्त में, परमेश्वर उत्तर नही देता है जब आप कुछ ऐसी चीजों के लिए प्रार्थना करते है जो आपके भोग विलास के लिए होती है क्यांकि यह मृत्यु का मार्ग होता है।

इसलिए मैने आप को हमेशा ही बताया है कि हर प्रकार की बुराई से मुक्ति पाओ और जल्दी से आत्मा मे आ जाओ। यदि आपकी आत्मा उन्नति करती है तो जो कुछ आप करोगे वह सबकुछ अच्छा होगा और आप अच्छे स्वस्थ का आन्नद लेगे।

क्या मेरा मतलब यह है कि जब तक आप आत्मा के स्तर पर नही पहुॅच जाते तब तक आप आशीषे प्राप्त नही कर सकते है। बिलकुल नही! यहॉ तक कि यदि आप तीसरे विश्वास के स्तर पर भी है, यदि आप आत्मा की लालसा रखते है और आत्मा के स्तर पर आने कि बेहतर कोशिश करते है, तो परमेश्वर आप को आशीष देगा।

आशीषो के द्वारा, वह आपसे विनती करता है और तेजी से आत्मा मे आने मे आपको ताकत देता है। आपके आत्मा मे आ जाने के बाद, आप महान आशीषों को तेजी से प्राप्त कर सकते है। और जब आप सम्पूर्ण आत्मा मे प्रवेश कर चुके होते है तो और भी तेजी से और महान आशीषें आप के उपर आयेंगी।

यदि आपके पास विश्वास है, आर्थिक आशीषों को प्राप्त करने के बाद आप अपना पैसा कैसे खर्च करोगे।

आप किसी भोग विलास मे लिप्त नही होगें परन्तु आप अनाथों और विद्वाओं की सहायता करेगें मिशनरी कार्य करेगे, और चर्च भवनो को बनायेंगे। आप इसका इस्तेमाल आत्माओं को बचाने के लिए करेगें। आप परमेश्वर को आशीषो का प्राप्त करने के द्वारा महीमा दे सकते है। और आप परमेश्वर मे प्राप्त की हुई आशीषो को वापस चुका सकते है। इसलिए आप और अधिक स्वर्ग मे राज्य मे प्रतिफलों को इकट्ठा कर सकते है।

मसीह मे प्यारे भाईयों और बहनो, मत्ती 7ः7-11 मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा। 8 क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है? और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा। 9 तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उस से रोटी मांगे, तो वह उसे पत्थर दे? 10 व मछली मांगे, तो उसे सांप दे? 11 सो जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा?

परमेश्वर ने पुराने और नये नियम की आयतों मे आप से आशीषों के बहुत से वादे कियें है। क्या आप ने आशीषो के उन वादों को अपने दिमाग मे रखा हैं? जब आप समझ पाते है कि कैसे इन आयतां से आशीषे प्राप्त कर सकते है, तो आप अभ्यास कर सकते है और आशीषे प्राप्त कर सकते हैं। क्या परमेश्वर के वो वचन आप के हृदय मे है।

क्या आप को परमेश्वर के वादे याद है जो मती रचित सुसमाचार 7ः7 मे अभिलित है, जो इस प्रकार से कहता है, मागां तो तुम्हे दे दिया जाएगा, ढूंढो तो तुम पाओगें। खटखटाओ तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा। तो फिर आप को क्या मांगना और ढूंढना है? आप को परमेश्वर के इस वचन को आत्मिक अर्थ से समझना है।

परमेश्वर वादा करता है कि जब आप खटखटाते है तो आप के लिए खोल दिया जाएगा। तो फिर आप को क्या खटखटाना हैं। किस तरह का द्वार आप को खटखटना है? और आप के लिए क्या खोल दिया जाएगा। आप को इस वचन का आत्मिक अर्थ समझना है।

हमारे पिता परमेश्वर ने आप को बहुत से आशीषो के वचन दिये है। परन्तु यदि आप वचनो के अर्थ को नही समझते है। तो आप उचित तौर से अभ्यास नही कर सकते। जब मै आप से कुछ वचनो के सही आत्मिक अर्थां को पूछता हूॅ तो आप मे कितने मुझे उतर दे सकेगे। आप मे से बहुतो को खेद होगा। आप ने अकसर इन आशीषो के वचनों को सुना है, परन्तु आप मे से बहुत से मुझे सही उतर देने मे असफल होते है।

परमेश्वर के हर वचन का अर्थ आपके लिए आशीषें है। उसके वचन से, परमेश्वर आपकी आत्मा को सम्पन्न बनाता है और नए यरूश्लेम की ओर अगवाई करता है। परन्तु परमेश्वर के कितने वचन आप ने अन्देखे किये और भूल गए है।

आप को रात दिन परमेश्वर के वचनो पर उसी प्रकार से मन लगाना है जैसे बाइबल मे लिखा हुआ हैं। और आप रविवार को सदेंश सुनने के बाद, आप को सदेंश को अपने हृदय मे रखना है और सदेंश के हर हिस्से को, जैसे कि परिचय, सरंचना और निष्कर्ष और सदेंश की मुख्य बात पर भी ध्यान देना हैं। यदि आप परमेश्वर के वचनो को इस प्रकार से आत्मिक भोजन बनाते है। तो आप आत्मिक क्षेत्र को समझ सकते है और आत्मा मे जा सकते है।

और आप जान सकते है कि आत्मिक क्षेत्र क्या है, और तेजी से आत्मा के स्तरों मे कैसे प्रवेश कर सकते है? बाइबल हमे साफ तौर पर बहुत सी पीड़ाओ के बारे मे विस्तृत विवरण देती है उदारण के लिए, क्यों आप को बीमारियों ने घेरा है और क्यों आप आशीषों को प्राप्त करने मे असफल होते है।

आत्मिक क्षेत्र का नियम कहता है कि आप अच्छी स्वस्थय की और आर्थिक तौर पर और जो कुछ भी आप करते है सबकुछ मे आशीषे प्राप्त कर सकते है यदि आप परमेश्वर के वचन का अभ्यास करते है।
इसका नियम बाइबल मे है। इसलिए, हमारा प्रभु जो स्वयं ही वचन है कहता है, सो जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा?
यह कहने कि जरूरत नही है कि माता पिता अपने बच्चों को जो कुछ वो चाहते है उन्हे देते है।

हमारा पिता परमेश्वर जो प्रेम से भरा है वह भी अपने बच्चों को जो कुछ भी वे विश्वास से मांगते है देना चाहता है। परन्तु हम परमेश्वर से आशीषें केवल मागने से प्राप्त नही कर सकते है कि पिता मुझे आशीष दो। उसकी एक शर्त है।

उदारण के लिए 3 यूहन्ना 1ः2 इस प्रकार से कहता है कि, हे प्रिय, मेरी यह प्रार्थना है; कि जैसे तू आत्मिक उन्नति कर रहा है, वैसे ही तू सब बातों मे उन्नति करे, और भला चंगा रहे। हम देख सकते है कि हम उन्नति करे और स्वस्थ रहे उसके लिए हमारी आत्मा की उन्नति होनी चाहिए।
आप मे से बहुत से परमेश्वर के इस वचन को जानते है और सुना है? और आप मे से कुछ लोगों ने तो इस वचन को याद भी किया है और यह भी जानते है कि यह बाइबल की किस किताब मे अभिलिखित है।

तो फिर आप को परमेश्वर की आशीषो को अनुभव करने के लिए, सबकुछ मे सफलता पाने के लिए और अच्छा स्वस्थय पाने के लिए क्या करना है?

सही जवाब है कि आपकी आत्मा की उन्नति होना। आपको परमेश्वर के इस वचन का अनुभव करने के लिए आपकों अपनी आत्मा की उन्नति का अर्थ समझना है।

3 यूहन्ना 1ः2 के ऊपर मै बहुत बार संदेश दे चुका हूॅ इसलिए यदि आप इस बाइबल पद के उपर उन सदेंशो के आडियो टेप को सुने, तो आप इसका अर्थ समझ सकते है। यदि मै आपको इसके विषय पर फिर से बताने की कोशिश करूं तो मुझे कई सत्रों मे इस सदेंश को देना पड़ सकता है।

वैसे भी यदि आप, आपकी आत्मिक उन्नति का अर्थ समझ जाते है तो आप वचन का अभ्यास कर सकते है और फिर आप जो कुछ भी करेगें आप सफल होगें और अच्छे स्वस्थय का आनन्द उठाएगें।

यहां पर आत्मिक उन्नति का अर्थ है परमेश्वर के वचन के अनुसार जीवन यापन करने के द्वारा परमेश्वर के खोए हुए स्वरूप को वापस प्राप्त करना।
और व्यवस्थाविवरण 28ः2 कहता है कि, फिर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने के कारण ये सब आर्शीवाद तुझ पर पूरे होंगे।
वो जो परमेश्वर के वचन का इस तरह से पालन करते है वे चाहे अन्दर आते है या बहार जाते है आशिषे पाऐंगें। वे उधार देगे और किसी से नही लेगें। वे सिर बनेगें, पूंछ नही, वे हमेशा उपर रहेगें कभी भी नीचे नही रहेगें।
गलतियों 6ः7 कहता है धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।
यदि आप बिना बोये काटने की कोशिश करते है, तो आप परमेश्वर के नियम का उल्लंगन करते है और परमेश्वर का ठटठा उड़ा रहे है। जब किसान खेती करते है, यदि वे फलींया बोते है, वे फलियां ही काटते है। यदि वे चावल बोते है वे चावल ही काटते है।
और 2 कुरिन्थियों 9ः6-7 कहता है परन्तु बात तो यह है, कि जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी; और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा। 7 हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे; न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है।
यहां तक कि यदि एक किसान के पास 100 एकड़ जमीन भी क्यों न हो, यदि वह केवल 10 एकड़ मे ही बोऐंगा तो वह उसे अधिक नही काट सकता। भले ही आपके पास बड़ा विश्वास क्यों न हो, आप केवल बहुत बोने के द्वारा ही बहुत काटेगें। यदि आप थोड़ा बोते है तो आप थोड़ा ही काट सकते है।

परमेश्वर हमे न केवल उतना देते है जितना हम बोते है। वह दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ हमे देता है। और जैसे जैसे हमारी आत्मिक उन्नति होती है, तीस, साठ या सौ गुना अधिक हमे देता है।

और, यदि वह हमे लम्बे समय के बाद कटनी देता है तो वह हमे जिस नाप से बोया है उसे कही अधिक देता है वह भी उससे ज्यादा जो वह हमे वह पहले ही चुका होता।

यह उस फली से समान है जो अकुंरित होती है और तेजी से बढ़ती है परन्तु एक कीमती फल या जेनशन के लिए लम्बे समय का इन्जार करना पड़ता है जब तक कि उसकी कटनी न हो सकें।

मसीह मे प्यारे भाईयों और बहनो, कुछ लोग दुखी महसूस करते है कि उनके पास परमेश्वर के सामने कुछ भी बोने के लिए नही होता यहां तक कि वे देना चाहतें है।
परन्तु यह नियम कि, जो बहुत बोता है वह बहुत काटेगा, यह किसी धनराशि या भेंटो की मात्रा के विषय मे नही है। यह पैसा नही है जिसे परमेश्वर ग्रहण करता है परन्तु यह हमारे हृदय की सुगन्ध है।
परमेश्वर ठीक ठीक जानता है कि किस प्रकार के हृदय से हम उसे देते है, कितने प्रेम और विश्वास से। मरकुस 12 उस विधवा के विषय मे बताता है जिसने दो दमड़िया भेंट मे दी।
यीशु उन लोगों को देख रहा था जो अपनी भेंटो को खजाने मे डाल रहे थें, और जब उस ने एक विधवा को देखा जिसने दो दमड़िया दी, उसने उसकी प्रशंसा की, कि उसने दूसरों से ज्यादा दिया है।

उसने कहा, क्योंकि सब ने अपने धन की बढ़ती में से डाला है, परन्तु इस ने अपनी घटी में से जो कुछ उसका था, अर्थात् अपनी सारी जीविका डाल दी है। इसलिए हम देख सकते है कि जब परमेश्वर ने इस विधवा के हृदय को देखा तो इस ने सब से ज्यादा दिया था। सारपत की विधवा के साथ भी ऐसा ही हुआ था।

उसने थोडे़ से तेल और आटे और रोटीयां बनाई और उसे एलियाह को खिला दिया। शारीरक नजरों से यह एक छोटी सी बात जान पड़ती है, परन्तु यह उसके जीवन के जितना कीमती था। क्यांकि वह एक गम्भीर लम्बे समय से सूखे की अवस्था से झूझ रही थी।

वह इस खाने को सोने के बदले भी नही देती। परमेश्वर ने इस भेंट को खुशी से ग्रहण किया और उसे और उसके बेटे को आशिष दी कि जब तक बह सूखा समाप्त नही हो गया उसका भोजन तब तक खत्म नही हुआ।

यदि आप याद रखो कि परमेश्वर भेंटों की मात्रा को ग्रहण नही करता परन्तु उसमे जो सुगन्ध पाई जाती है उसे ग्रहण करता है। आप ऐसा नही कह सकते है कि आप बहुत गरीब है इसलिए आपके पास बोने के लिए कुछ नही है।
हमारे ऐसे बहुत से सदस्य की गवाहियाँ है जिन्होने परमेश्वर को अपने सम्पूर्ण हृदय से भेंट देने के बाद आशीषों को प्राप्त किया। उनके से कुछ को चर्च द्वारा दान पर निर्भर रहना पड़ता था, परन्तु बाद मे उन्होने इतनी अधिक आशीषें प्राप्त करी कि वे अब लाखों रूपयों का दसवांश देते है।

मै कुछ लोगों को जानता हूॅ जिन्होने आर्थिक तौर पर अदभुत आशिषें प्राप्त की है। उनमे से एक को तो दान सहायता पर एक साल तक निर्भर रहना पड़ा परन्तु अब परमेश्वर ने उसके लिए आशीषो के द्वार खोल दिये है और अब वह परमेश्वर को कई सेंकड़ों डॉलर दसवांश दे पा रहा है। एक और व्यक्ति इतनी ज्यादा गरीबी मे था कि बहुत बार उसके पास सार्वजनिक बस मे जाने के लिए भी पैसे नही होते थे। परन्तु अब उसने परमेश्वर से आशीषा को प्राप्त किया है और अब वह दूसरों की मदद कर सकता है।
जब उन्होने यहां तक कि परिस्थितियों मे भी अपने पूरे विश्वास और ताकत से बोया, परमेश्वर ने अचंभित तरह से उनके लिए आशीषो के मार्ग खोले।
मेरे साथ भी एसा ही हुआ था। प्रभु को ग्रहण करने से पहले मे बहुत गरीब था। मै और मेरी पत्नी ने हर तरीके से जितना ज्यादा पैसा हो सके कमायें। परन्तु हमारी आमदनी की यह राशि हमारे कर्ज के ब्याज को चुकाने के लिए भी पर्याप्त नही होती थी। और हम मूलधन को चुकाने का तो सोच भी नही सकते थे।
भले ही मैने अपनी बीमारीयों से चगांई प्राप्त कर ली थी और जीविका के लिए काम करना शुरू कर दिया था, परन्तु मेरा शरीर पूरी तरह से ठीक नही हुआ था। इसलिए वही चमत्कार, उस काले कौवे का एलियाह नबी के लिए भोजन और पानी लाना, मेरे साथ भी हुआ। मेरी पत्नी की बड़ी बहन कभी कबार हमारे घर आती थी और साथ मे कुछ खाना और कुछ पैसे लाती थी। क्योंकि हम उसे बहुत ही दुखी दिखते थे।
जब तक मै कमजोरी की हालात मे था परमेश्वर ने मुझे खिलाया इस प्रकार से मै अभी तक कभी भूखा नही रहा हूॅ। और परमेश्वर ने मेरी पत्नी की बहन को हमारे लिए बोने के लिए आशीषित किया है। उनके सुसमाचार प्रचार के द्वारा परमेश्वर ने उनके पूरे परिवार को उद्धार के मार्ग पर लाया है और अब वह चर्च मे महिला आयोग की मुखिया के तौर पर सेवा करती है।
कुछ लोग गवाही देते है कि उन्होने अपनी महीने की आमदनी भक्ति सेवा की भेंट करके दे दी और अगले महीने उन्होने उस राशि की दुगनी आमदनी को प्राप्त किया। कुछ ऐसे भी लोग है जिन्होने अपनी जमीन को जो कि बहुत लम्बे समय से बिक नही रही थी बाजार से भी अच्छी कीमतो पर बेच दी ।

हालॉकि वह हमे भौतिक आशिषें केवल इसलिय नही देता क्योंकि आपने पैसे के तौर पर बोया है। भले ही वह हमे भौतिक आशीषें भी न दे, सच्ची आशीष आपकी आत्मा की आशीष है, क्यांकि यदि आपकी आत्मा भली चंगी है तो सबकुछ आपके साथ भला चंगा रहेगा और आप स्वस्थ रहोगे।
कुरनेलियुस, जो परमेश्वर का भय मानता था, और अन्यजाति होने के बावजूद भी उसने गरीबो की मदद की और प्रेरित पतरस के द्वारा अपने परिवार के उद्धार की आशीष पाई।

दोरकास नाम एक महिला जो बहुतेरे भले भले काम और दान किया करती थी मर गई परन्तु प्रार्थना के द्वारा उस ने फिर से जीवन प्राप्त किया।
दोनो ही आत्मिक और भौतिक आशीषें यीशु मसीह के द्वारा न केवल इस प्रकार के लोगों को दी जाती है बल्कि हर किसी को जो विश्वास के साथ बोता है।
मै आपको इस सदेंश का निष्कर्ष दूगां। मसीह मे प्यारे भाईयां और बहनो,
आज मैने अपको यीशु के चरनी मे रखे जाने और गरीबी से गुजरने के प्रावधान के विषय मे बताया।
किस कारण से यीशु, र्स्वशक्तिमान परमेश्वर का पुत्र एक गोशाला मे पैदा हुआ और चरनी मे रखा गया जो जानवरों के लिए होती है, वह इसलिए कि, वह मनुष्यजाति के लिए जो जानवरों से कोई अलग नही थी जीवन का भोजन बन गया।

यीशु के इस अनुग्रह के द्वारा, हम परमेश्वर का भय मान सकते है और उसकी आज्ञाओं का पालन कर सकते है ताकि हम एक मनुष्य के समान जीवन जी सकें
मै कितना धन्यावादी और आनन्दित है कि प्रभु को ग्रहण करने के बाद मैने सत्य को जाना है और मनुष्य के कर्तव्य को दिखाया है जो कि प्रभु के सुसमाचार के योग्य है।
यदि मैने प्रभु को ग्रहण नही किया होता या फिर यदि मैने सत्य को नही जाना होता, तो मै भी संसारिक लोगों के समान ही जीवन जी रहा होता। मै एक गर्म स्वभाव का, दूसरों के प्रति दुर्भावना रखने वाला और हृदय के अन्दर सभी प्रकार की गन्दी और अशुद्व इच्छाओं का आनन्द करने वाला बन जाता।
लेकिन वास्तविकता मे परमेश्वर ने मुझे इन सब चीजो निकाला, अपने बच्चे के समान जीवन और सत्य के वचन से नये सिरे से जन्म दिया और आज के इस दिन तक लगातार आत्मा मे बदलता रहा है।

यदि आप हमेशा प्रभु के प्रेम और हृदय के बारे मे सोचते है तो आप कभी भी बोझ या कष्ट महसूस नही करेंगे। हमारा प्रभु आपको हमेशा,आनन्दित रहने की, लगातार प्रार्थना करने और हर परिस्थिति मे धन्यावाद देने की आज्ञा देता है। यदि आप आत्मा के स्तर पर पहुॅच गए है तो आप परमेश्वर के वचनों का अभ्यास करेगें और आनन्दित रहेगे और हर परिस्थिति मे धन्यावाद देगे।

मेरे सचिव और कार्यकर्ता अच्छी तरह से जानते है कि मै कितने दर्द और दबाव मे था जब कभी मै विदेश यात्रा मे कू्रसेड करने के लिये गया। कभी कबार मुझे अपने जीवन को देने जैसे दृढ़ संकल्प के साथ जाना पड़ता था। क्योंकि हमारे परमेश्वर ने मुझे उन देशों मे जाने की आज्ञा दी, मैने पालन किया और वहा गया चाहे स्थिति कितनी ही असम्भव क्यों न जान पड़ती थी। मैने कभी भी श्कियत नही की है।

कभी कबार मै आपको कू्रसेडो के विषय मे विस्तार से नही बता पाया क्योंकि परमेश्वर के उन कू्रसेडों के लिए गहरे भेद थे। यदि मै उन भेदों को आप मे से बहुतो को बता देता तो इसे शत्रु दुष्ट और शैतान हम पर कष्ट और दुख ला चुका होता। हालॉकि दुष्ट ने अन्तिम क्षण मे हमारे कू्रसेड मे विध्न डालने की कोशिश की परन्तु दुष्ट परमेश्वर के गहरे भेद को नही समझ पाया। दुष्ट दुष्कर्मी के हृदय को प्रभावित करता है और उनसे बुराईयां भड़काता है।

और किस कारण से ,यीशु जो कि सब चीजों का स्वामी है, उसने इस धरती पर गरीबी का जीवन जिया, ताकि हम अमीर बन सके।

मुझे आशा है कि आप इस प्रावधान को महसूस करेंगें और मनुष्य के कर्तव्यों को पुनः प्राप्त करेगे और प्रभु के अनुग्रह मे बने रहेगें जिसने हमे गरीबी से छुड़ाया है।

मै प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हॅू कि आप दोनो आत्मिक और भौतिक आशीषो को प्राप्त करें और महानता से परमेश्वर को महीमा दे।

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