Krus Ka Sandesh-14- चंगा करने वाला प्रभु

चंगा करने वाला प्रभु।
1 पतरस 2ः24
वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर करके धार्मिकता के लिये जीवन बिताएंः उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए।

मसीह में प्यारे भाईयों और बहनां।
पिछली सत्र में, मेंने आपको यीशु मसीह के घुड़शाल में पैदा होने और चरनी में रखे जाने और गरीबी में रहने के अन्दर परमेश्वर का क्या विधान है बताया था। मैंने आपको उन आशिषों के विषय में बताया था जो उस विधान के द्वारा हमारे ऊपर आती है।
आत्मिक क्षेत्र नियम के अनुसार जो यह कहता है कि पाप की मजदूरी मृत्यु है, मनुष्य जाति उनके पापों के कारण मृत्यु के लिए नियुक्त थी। हमें बचाने के लिए यीशु को पेड़ पर लटकाया गया और उसने अपना लहू बहाया।

व्यवस्था के श्राप से हमें मुक्त कराने के लिए उसे पेड़ पर लटकाया गया और हमें मृत्यु से छुटकारा दिलाने कि लिए उसने अपना लहू बहाया जो कि उसका जीवन ही है।
परन्तु जैसे मैंने आपको पिछले सत्र में बताया था, कि जब वह घुड़शाल में पैदा हुआ और चरनी में रखा गया और जब वह अपना जीवन गरीबी में जी रहा था उसके लिए उसने कोई लहू नही बहाया। उसने अपना लहू हमें गरीबी में मुक्त कराने के लिए नही बहाया क्यांकि गरीबी अपने आप में कोई पाप नही है।
परन्तु हमें हमारे पापों से मुक्त कराने के लिए, लहू का बहाया जाना अवश्य था। और हमारी बीमारियों और दुर्बलताओं को चंगा करने के लिए भी उसे अपना लहू बहाना पड़ा क्योंकि ये विपतियां भी पाप के कारण आती है।

आज में आपको यीशु के किमती लहू का बहाया जाना इस विधान के ऊपर बताउगां। इस सदेंश के द्वारा में आशा करता हूॅ कि आप प्रभु के प्रेम को और अधिक गहराई से महसूस कर पाएंगें जिसने हमारे लिए पीड़ाऐं सही और अपना लहू बहाया, इसलिए आप अपने हृदय की गहराई से उसे धन्यावाद देने पाएंगे।

मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि आप उस कीमती लहू के द्वारा अपनी सारी बीमारीयां और कमजोरियों से आजाद हो पाएंगे और स्वास्थय की आशिषों का आनन्द ले पाएगें।

मसीह में प्यारें भाईयां और बहनों और श्रोेताओ, परमेश्वर के विधान के अंर्तगत जब कू्रस पर चढ़ाये जाने का समय आ पहुंचा, तो यहूदियों के द्वारा यीशु को बंदी बना लिया गया और उसे पिलातुस के पास सौंप दिया गया जो यहूदा का हाकिम था।
पिलातुस जानता था कि यीशु निष्पाप है परन्तु भीड़ के दबाव के कारण उसने यीशु को कोडे़ लगवाने और कू्रस पर चढ़ाने के आज्ञा दी।

सूली पर चढ़ाया जाना बहुत ही कठोर सजा होती है। परन्तु कोड़ों को खाना भी कोई हल्की सजा नही है। रोम सम्राज्य जो उस समय विश्व की शक्ति माना जाता था उसके बखूबी प्रशिक्षित सैनिकों ने यीशु को कोडे़ मारे। कोड़े यीशु के शरीर के चारां ओर डेढ गुना तक लिपट जाते थे। ये न केवल शरीर के मांस के अन्दर चुभ जाते थे वरन कोड़े का मुख्य तेज सीरा शरीर में भीतर तक छिद जाता था।

जब वे सैनिक उस चाबुक वाले कोड़े को कठोरता से हटाते थे तो उस चाबुक से मांस के टुकड़े टुकड़े फट कर निकल जाते थे। यीशु को इस प्रकार से कोड़े मारे गए। उसको इस कदर जख्मि किया गया कि उसकी हडिडयां तक दिखाई देती थी, और उसने बहुत सारा लहू बहाया।

क्यों यीशु को कोड़े मारे गए और क्यों उसने अपना लहू बहाया? क्यों परमेश्वर ने अपने केवल और इकलौते पुत्र को इस प्रकार की महान पीड़ाओ से गुजरने दिया?
यशायाह 53ः5-6 कहता है परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं। हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।।
जैसे कि कहा गया कि हमें चंगाई देने के लिए यीशु को कोड़े मारे गए और उसने अपना लहू बहाया। जैसे कि हम निर्गमन 15ः26 के दूसरे हिस्से में देखते है जो कहता है कि यदि हम परमेश्वर की आज्ञाओं को मानें और पाप न करे तो कोई बीमारीयां हम पर नही आएेंगी।
अर्थात बीमारीयां से चंगाई प्राप्त करने के लिए, सबसे पहले हमें पापों के क्षमा मिलनी चाहिए।
मती 9ः2 कहता है, और देखो, कई लोग एक झोले के मारे हुए को खाट पर रखकर उसके पास लाए; ;आज लोग व्हीलचेयर पर आते है परन्तु उस समय कोई व्हीलचेयर नही हुआ करती थी, इसलिए वह खाट पर था और अनुमानित तौर पर हर तरफ से चार लोगों ने उसे उठाया हुआ थाद्ध यीशु ने उन का विश्वास देखकर, उस झोले के मारे हुए से कहा; हे पुत्र, ढाढ़स बान्ध; तेरे पाप क्षमा हुए।

जब यीशु ने यह आज्ञा दी उसके बाद वह झोले को मारा ठीक हो गया और वह उठा और चलने लगा। बीमारी के चंगा करने से पहले यीशु ने पाप की समस्या का समाधान किया।
पाप की समस्या का समाधान करने से पहले परमेश्वर हमारे प्रांरभिक विश्वास को देखता है। हम तभी चंगाई प्राप्त कर सकते है जब हमारे पास विश्वास होता है। हम परमेश्वर के वचन के अनुसार जीवन व्यतीत कर सकते है और धार्मिक बन सकते है और परमेश्वर की संतान परमेश्वर के सदृश तभी होती है जब हम विश्वास करते है। परमेश्वर हमारे विश्वास को देखकर उसी के अनुसार कार्य करता है।
और यूहन्ना 5ः14 कहता है, इन बातों के बाद वह यीशु को मन्दिर में मिला, तब उस ने उस से कहा, देख, तू तो चंगा हो गया है; फिर से पाप मत करना, ऐसा न हो कि इस से कोई भारी विपत्ति तुझ पर आ पड़े।
क्यां इससे भी भारी विपती आ सकती है? वह इसलिए की आप फिर से पाप करते है। यदि आप फिर से पाप नही करते है, तो फिर आपको और अधिक समस्या नही होगीं। कुछ भारी विपत्ति आप पर नही आएेंगी।
इसलिए हमें बीमारीयों से मुक्त कराने के लिए लहू को बहाया जाना अवश्य था।
यीशु को कोड़े मारे गए और हमें पापों से मुक्त करने के लिए उसने अपना लहू बहाया और हमें तमाम दर्द और बीमारीयों से आजाद करने के लिए हमारे ओर से दर्द की पीड़ाओं को सहा।

मसीह में प्यारे भाईयों और बहनों मत्ती 8ः17 कहता है, ताकि जो वचन यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था वह पूरा हो, कि उस ने आप हमारी दुर्बलताओं ;दुर्बलताए जैसे असाध्य रोग और लगंड़ापन, पोलियों, अपंगता के साथ पैदा होना और इसी प्रकार के रोगद्ध को ले लिया और हमारी बीमारियों को उठा लिया।

1 पतरस 2ः24 उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए। यह ये नही कहता कि आप चंगे हो जाएंगे परन्तु तुम चंगे हुए। यहा एक पूर्ण काल के वाक्य का इस्तेमाल किया गया है।

इस प्रकार से, जो यह विश्वास करते है कि यीशु ने कोड़े खाने और लहू बहाने के द्वारा हमें बीमारीयों से छुड़ाया है उन्हें दुर्बलताओं और बीमारीयों पीड़ीत रहने की आवश्यकता नहीं है। परन्तु कुछ लोग परमेश्वर में विश्वास करने का दावा करते है और कहते है मैं कमजोर हूं इसलिए गिर जाता हूं और पाप करता हूं। परमेश्वर के वचनों के अनुसार पूर्ण रूप से जीवन व्यतीत करना मुश्किल है।
यदि आप यह सोचते है और अंगीकार करते है कि आप कमजोर है तो आप कुछ नही कर सकते है वरन कमजोर हो जाते है। यदि आप यह अंगीकार करते है कि पाप को निकाल फेंकना मुश्किल है तो आपका जीवन मसीह में कठिन ही होगा। नीतिवचन 18ः21 कहता है, जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं, और जो उसे काम में लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा।
यदि आप अंगीकार करते है कि, परमेश्वर के अनुग्रह से मैं स्वस्थ हूं और मैं हर परिस्थिति में भला चंगा रहता हूं तो जिस प्रकार से आपने अंगीकार किया है उसी प्रकार से परमेश्वर का अनुग्रह और ताकत आप के ऊपर आती है। इसलिए आप थकान पर काबू पा पाऐगें और कोई असम्भव बात सम्भव हो जाएगी।
जब आप चंगाईयों के लिए प्रार्थना करते है आप को यह अंगीकार नही करना चहिए कि मैं विश्वास करता हूं कि मैं चंगा हो जांऊगा क्योंकि मैंने प्रार्थना ग्रहण की है। आप को यह अंगीकार करना चाहिए कि मैं चंगां हो चुका हूं, तब परमेश्वर आपके विश्वास के अनुसार कार्य करेगा।

यदि आप कहते है कि में विश्वास करता हॅू और तो भी आपको दर्द हो रहा है तो यह विश्वास नही है। कुछ तो यहां तक कहते है कि मैं कैसे कह सकता हूं कि मैं चंगा हो गया हूं क्या यह झूठ नही है। मुझे तो अभी भी दर्द है? परन्तु यदि आप आत्मिक विश्वास को समझते है तो आप ऐसा नही कहेगें।
मरकुस 11ः24 कहता है, इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगों तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया, और तुम्हारे लिये हो जाएगा। यहां पर इस प्रकार से नही लिखा है कि आप को मिल जाएगा परन्तु विश्वास कर लो कि तुम्हें मिल गया है और तुम्हारे लिये हो जाएगा। इब्रानियों 11ः1-2 इस प्रकार से कहता है, अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है। क्योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्छी गवाही दी गईं।

विश्वास उस बात का अंगीकार नही होता तो पहले ही पुरा हो चुका है। जब हम किसी अनदेखी वस्तु के लिए विश्वास के साथ आशा रखते है तो वह वास्तविकता में बदल जाएगी। जब हम किसी चीज को विश्वास के साथ देखते है तो कुछ नही में से कुछ जाएगा।़
परन्तु इसका मतलब यह नही कि केवल होठों के द्वारा अंगीकार करने से वह पूरा हो जाएगा जबकि अपके पास आपके हृदय में विश्वास तक नही है। जब आप अपने हृदय की गहराईयों से विश्वास करके अपने होंठों से अंगीकार करते है तो वह आपके विश्वास के अनुसार आप के लिए हो जाएगा।
इसलिए, इस प्रकार का अंगीकार कि आप पहले ही चंगे हो चुके है और आप पहले ही उसे प्राप्त कर चुके है वह किसी प्रकार का झूठ नही है परन्तु आपके आत्मिक विश्वास का अंगीकार है। यह सच बोलना है। मैं आपको एक उदारण देता हूं। यदि आप किसी पेड़ से एक फूल को उसकी शाखा के साथ काट दो और उसे फूलदान में रख दो तो क्या फूल जीवत रहेगा या मर जाएगा? क्या वे फूल जीवित है या मर गए है? क्या उनमें जड़े है या नही?
ऐसा लगता है कि वे जीवित है परन्तु क्योंकि उन्हे जड़ों से काट दिया गया है इसलिए उन्हांने अपना जीवन पहले ही खो दिया है।
इसलिए यदि इस सत्य को जानते है तो आप कहेंगें कि वे मर चुके है क्यांकि उन्हें उनकी जड़ों से काट दिया गया था, हालांकि वे अभी मर रहे है। परन्तु कुछ दिनों बाद वे सूख जाएगें। इसी तरह उनके विषय में जिन्हांने ने प्रभु को ग्रहण नही किया है बाइबल कहती है वे मरे हुए है।
निसन्देह वे खाते पीते और सासं लेते है परन्तु यह कहती है कि वे मरे हुए है। क्योंकि उनके पास अनन्त जीवन नही है और वे नर्क में गिर जाएगें। बाइबल कहती है कि वे मरे हुए है। यह इसलिए क्योंकि उनके पास अनन्त जीवन नही है। कुछ क्षणों के लिए ऐसा लगता है जीवित है परन्तु अन्त में वे नर्क में जाकर नाश हो जाएगें। इसलिए उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि वे मरे हुए है।
बीमारीयों से चंगाई पाने के लिए भी ऐसा ही है यदि आप विश्वास की नजरों से देखते है तो यदि आप विश्वास करते है और फिर अंगीकार करते है कि विषाणु या कैंसर पहले ही परमेश्वर की सामर्थ से जल चुका है तो प्रभु आपके विश्वास के अनुसार कार्य करेंगे।
यह इसलिए क्योकि हमें हमारी बीमारीयां से और दुर्बलताओं से छुड़ाने के लिए यीशु ने पहले ही कोड़े खा लिए है और अपना लहू बहा लिया है।
क्योंकि जब से मैंने प्रभु को ग्रहण किया, मैंने बाइबल के सभी वचनो का पालन किया, और मैं परमेश्वर के वचन का पालन कर पाया और इसलिए मैं अब तक कभी भी न तो बीमार हुआ हूं या फिर न ही किसी अस्पताल गया हूं। मैं कभी भी अस्पताल नही गया हूं और न ही मैंने कोई दवाएं ली है। मेरे परिवार के सभी लोगां के साथ भी ऐसा ही है परमेश्वर इस तरह से आपके विश्वास के अनुसार कार्य करते है
परन्तु यदि आप न तो विश्वास करते है और न ही विश्वास के साथ अंगीकार करते है तो आप बीमारीयां से ठीक नही हो पाओंगे। चाहे आप कितनी ही बार प्रार्थनाआें को ग्रहण कर लो, क्यांकि आपके हृदय में, तौभी ऐसा ही रहेगा कि आप अभी भी बीमार है, मैं अभी ठीक नही हुआ हूं। इसलिए वास्तविकता में आप बीमार ही रहते है।
जब तक आप इन नाकारात्मक विचारों को नही तोड़ते है आप परमेश्वर के कार्यां का अनुभव नही ले सकते है। यदि आप कहते है कि मैं विश्वास करता हूं तो यहा तक कि लकवे से ग्रसित शरीर भी कार्यवाही हो जाएगा, वह उठेगा और तुरन्त चलने लगेगा।
जब मैं चौथी कक्षा में था, मेरी एक पसली में चोट लग गई थी तब से जब कभी मेरा शरीर कमजोर हो जाता था या गर्मीयों के दिनो में दर्द बहुत बुरा हो जाता था और उस दर्द के कारण मुझे सास लेने में कठिनाई होती थी।
परन्तु जब मैंने प्रभु का ग्रहण किया, सारी दूसरी बीमारीयां के साथ ये भी ठीक हो गया। बीमारीयों से चंगाई प्राप्त करने के लगभग दो साल बाद फिर से मेरी पसली में दर्द होना शुरू हो गया। जब कभी में कुछ भारी उठाने के द्वारा उसे ठेस पहुचाता था तो वह इतना दर्दनाक होता था कि मैं सही से चल भी नही पाता था।
फिर मैंने अपने आप में सोचा कि हमारा परमेश्वर सर्वशक्तिमान परमेश्वर है और उसने मेरी सारी बीमारीयां ठीक की। तो मुझे इस छोटी सी चीज से क्यों दर्द में रहना है?
इसलिए मैंने अपना हाथ उस अंग पर रखा और आग्रहपूर्वक प्रार्थना की। मैंने विश्वास किया कि इस प्रार्थना के तुरन्त बाद यह ठीक हो जाएगा और मैं अब बिना दर्द के चला करूगां। और तब जो नाकारात्मक विचार गायब हो गए और मुझे विश्वास प्राप्त हुआ कि परमेश्वर मेरे विश्वास के अनुसार कार्य करेगे। उसी समय प्रार्थना के बाद में खड़ा हुआ और दौड़ा और आष्चर्यजनकता से दर्द गायब हो गया। मैंने लगभग यह संदेह किया कि क्या सचमुच में बहुत समय एक बड़ी दर्दभरी पीड़ा में था।
सृष्टिकर्ता परमेश्वर की सामर्थ न केवल बीमारीयों को चंगा करता है परन्तु यह आप ही सिष्ट के कार्य का भी प्रदर्शन करती है।
बाइबल में हम देख सकते है कि यहां तक कि जब परमेश्वर ने सुखी हडियों को आज्ञा दी तो पेशीयां जुड़ गई, और मांस बन गया और चमड़ी ने इसे ढक दिया और परमेश्वर की श्वास उन में डाली गई और वे एक बड़ी सेना बन गई।
इस चर्च के शुरूआत से ही, बहुसख्यं सदस्यों ने परमेश्वर के चंगाई के कार्यों को अनुभव किया है। खासतौर पर जागृति सभाओं के दौरान या फिर विदेशी धर्मसभाओं में, अनगिनत लोग एक ही बार चंगे हो गए और वे मंच पर गवाही देने आए।
यीशु मसीह को ग्रहण करने के बाद और अपने पापों का पूर्णता पश्चाताप करने के बाद वे यहां तक कि गंभीर बीमारीयों से भी चंगे हो गए।
केवल उपदेश मंच से ही प्रार्थना ग्रहण करने के द्वारा यहा तक कि अंतिम चरण का कैंसर, एडस, और बहुत सी दूसरी असाध्य बीमारीयां ठीक हो गई। यहां तक कि निर्बलताऐं जैसे कि, अंधापन, गूगापन, बहरापन और लगड़ापन भी सामान्य स्थिति में लौट गए।
कभी कबार मेरी बीमारों के लिए प्रार्थना करने से पहले ही और यहां तक कि स्तुति या सदेंश के दौरान भी पश्चाताप के आसुओं के साथ चंगाई उन पर आ उतरी। मैं आप को एक जन का परिचय दे दूं जिसने चंगाई के प्रभु से इस तरह से मुलाकात की। मासान में डीकनेस यंगमी यू को लगा कि पिछली जनवरी से उनकी नजरें बड़ी तेजी के साथ कमजोर हो रही है।
उनकी दृष्टि पीली हो गई। उन्हें चीजें टेडी और उबड़ सी दिखाई देती थी। उन्हें चक्कर भी आते थे और उल्टी भी होती थी। उन्हें बताया गया था कि उन्हें हरदा की बीमारी है जो कि बहुत दुर्लब आंख की बीमारी होती है।
आखों के अन्दर छाले बन गए थे, इसलिए उनकी दृष्टि खराब हो गई थी। बीमारी का कारण अभी पता नही चला है। यहां तक कि उपचार के बाद भी, इसमें सामान्य दृष्टि को प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है। और यदि छाले बडे़ हो जाते है तो वह आखों की नसों को ढक सकता था और वह अपनी आखों की दृष्टि को खो सकती थी। यहां तक कि ऐसे रोग की पहचान होने के बाद भी, न ही तो वह निराश हुई और न ही निरूत्साह बल्कि बजाए इसके उसने परमेश्वर को धन्यवाद दिया और आनंदित हुई। जबकि वह अन्धी हो सकती थी और उसका कोई इलाज नही था तो भी वह आंनदित और धन्यवादी थी।

उसने प्रभु पर विश्वास किया जिसने कोड़े खाने के द्वारा हमें बीमारियां और दुर्बलताओ से छुड़ाया। और उसने बहुत से परमेश्वर के कार्या को देखा है जो इस चर्च में प्रकट हुए है, उसने सोचा की यह समय विश्वास के द्वारा चंगाई प्राप्त करने का और परमेश्वर को महीमा देने का है। सबसे पहले उसने अपने जीवन को पीछे मुड़कर देखा और अपनी गलतियों का एक एक करके पश्चाताप करना शुरू किया।
यहां तक कि उसे पहले, उसने अपने बेटे पर परमेश्वर की चंगाई अनुभव किया था। परन्तु बाद में उसका बेटा बीमार हो गया, वह अस्पताल गई परमेश्वर पर भरोसा करने के बजाए। और जब वह चर्च में अपने काम को करती थी उसके अन्दर शान्ति नही होती थी। वह विश्वासी भाईयों का न्याय और निन्दा करती थी। जब उसने इन सब बातों को याद किया, उसने अपने हृदय की गहराई से पश्चाताप किया।
उसके बाद, आनंद और आत्मविश्वास के साथ वह सिओल आई और मेरी प्रार्थनाओं को ग्रहण किया। मेरी प्रार्थनाआें की ग्रहण करने के बाद शीघ्र ही उसने पाया कि उसकी दृष्टि सामान्य हो गई है।
जब वह फिर से रोग की जॉच करने के लिए अस्पताल गई, जॉच में दिखाया गया कि उसके सारे के सारे छाले जा चुके थे। इसके अतिरिक्त उसकी दृश्टि जो पहले 0.8 और 0.25 हुआ करती थी वह दोनो तरफ 1.2 हो गई। 1.2 सबसे सबसे साधारण नजर होती है। परमेश्वर ने उसे उसके विश्वास के अनुसार चंगा किया और उसकी नजर पहले से भी बेहतर बना दी।

यह सच्चा विश्वास है। उसने चिंता नही कि बल्कि बजाए उसके वह आनंदित हुई और धन्यवाद दिया। उसने सोचा की उसके पास परमेश्वर को महीमा देने मौका है। फिर उसने अपने पिछले पापों का पश्चताप किया और फिर प्रार्थनाऐं ग्रहण करने आई। इसलिए परमेश्वर ने तुरन्त कार्य किया। परमेवर ने उसे उसके विश्वास के अनुसार चंगा किया। और परमेश्वर ने बोनस भी दिया कि उसकी आखें पहले से बेहतर हो गई। मसीह में प्यारे भाईयों और बहनां, कोड़े खाने के द्वारा यीशु ने हमें बीमारीयां से मुक्त किया है। परन्तु जो कहते है कि वे इस सत्य पर विश्वास करते है उन में से कुछ ऐसे भी लोग है जो तो भी बीमारी से ग्रसित रहते है।
इसका कारण क्या हैं? इसका कारण यह है कि उन्हांने परमेश्वर की धार्मिकता का अनुसरण नही किया। निर्गमन 15ः26 कहता है कि, कि यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी सब विधियों को माने, ;यहां लिखा है उसकी सब विधियां। ऐसा नही है कि आप बड़ी विधियों को मानो और छोटी को छोड़ दो बल्कि यदि आप उसकी सब विधियों को मानोद्ध तो जितने रोग मैंने मिस्रियों पर भेजा है उन में से एक भी तुझ पर न भेजूंगा; क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करनेवाला यहोवा हूं।।
यहां पर मिस्र का आत्मिक तौर पर ससांर को दर्शाता है और दस विपतियां जो निर्गमन के दौरान मिस्रियों पर पड़ी वह इस पृथ्वी के सभी बीमारीयों को दर्शाती है।
यदि हम परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते है तो हमें कोई बीमारी नही लगेगी। यहां तक कि यदि हम बीमार भी हो जाएं, यदि हम केवल पश्चताप करे और वापस फिर जाए, जिस प्रकार परमेश्वर ने कहा कि मैं तुम्हारा चंगा करनेवाला यहोवा हूं।। सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमें चंगाई देगा।
इसलिए कृप्या जांचे कि क्या आपके पास विश्वास है या नही। यदि आप वास्तविकता में विश्वास करते है कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान है और यह भी कि परमेश्वर आपका पिता है और परमेश्वर चंगाई देने वाला है, तो फिर जो आप बीमार होते है तो आपको क्या करना चाहिए? आपको सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर पूरी तरह से भरोसा रखना चाहिए। आपको दो तीन बार प्रार्थना ग्रहण करने के बाद संसार पर भरोसा नही करना चाहिए, यदि प्रार्थना आपके लिए कार्य नही करती है। पूरी तरह से परमेश्वर पर ही भरोसा करना सच्चा विश्वास है।
यह हमें उन कार्य को करने के लिए हमें नही कहता है जो हमारी अपनी दृष्टि या मनुष्य की दृष्टि में सही है। परन्तु जो परमेश्वर की दृष्टि में सही है। अलग अलग व्यक्यिं के अनुसार जो सही है वह अलग अलग होता है।
यदि दस लोग है तो उन सब की धार्मिकता अलग अलग होगी। उनके विचार अलग अलग होते है। उनके हृदय और धार्मिकता की चौड़ाई अलग अलग होती है। क्यों लोगों में विवाद होते है? यह इसलिए क्योंकि हरकोई इस बात पर जोर देता है कि वह सही है। उनके विवाद इसलिए होते है क्योंकि उनमें से प्रत्येक कहता है कि वह सही है।
यह इसलिए होता है कि, जन्म के बाद से जब वह परिपक्व होते है, वे अलग अलग चीजो को सुनते, देखते और सिखते है। उनकी परिस्थितियां और उनका महत्व सब अलग अलग होता है।
कोई चीज जिसके विषय में एक जन सोचता है कि यह सही है परन्तु एक दूसरा जन यह सोच सकता है कि यह सही नही है। इसलिए हमें केवल परमेश्वर के वचन को ही मापदण्ड ठहराना चाहिए जो कि अपने आप में सत्य है। परमेश्वर की दृष्टि में जो सही है वास्तविकता में केवल वही सही है।
कुछ माता पिता अपने बच्चों को डांटते है जो कही से मार खाकर आते है और कहते है तुम हमेशा एक मूर्ख के समान क्यों मार खाते हो। तुम भी वापस क्यों नही मारते। कभी कबार तो माता पिता कहते है कि यदि तुम्हें कोई एक बार मारता है तो तुम उसे दो या तीन बार वापस मारो।
जबकि सत्य क्या कहता है? यदि कोई तेरे दाहिने गाल पर मारे तो उसे बायां भी फेर दे। शान्ति का अनुसरण करो। यहां तक कि अपने शत्रुओं से भी प्रेम करो। ये है परमेश्वर की दृष्टि में धार्मिकता है।
यदि काई जन परमेश्वर की धार्मिकता में पला बढ़ा और सिखाया गया हो, वह बहुत से लोगों को समझ पाएगा और गले लगा पाएगा। वह एक बड़ा अगुआ बनने के योग्य होगा।

यह इसलिए क्यांकि, हांलाकि ऐसा लगाता है कि परमेश्वर की धार्मिकता का अनुसरण करने से कुछ हानि हो रही है। लेकिन अन्त में परमेश्वर उसे पहचानता है और उसे उपर उठाता है।
जब वे सुनते है कि उन्हे परमेश्वर कि सारी आज्ञाओं का पालन करना चाहिए, वे सोचते है कि ये मुश्किल है। मैं कैसे इतनी सारी आज्ञाओं का पालन कर पाऊंगा? परन्तु परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना कोई मुश्किल काम नही है।
यदि आप विश्वास करते है कि आप इनका पालन कर सकते है क्यांकि यह परमेश्वर की आज्ञाऐं है और यह भी कि यह आप नही जो यह काम करेगें परन्तु पवित्र आत्मा जो आपकी मदद कर रहा है और परमेश्वर आप को अनुग्रह और ताकत दे रहा है इसलिए आप इसे कर सकते है तो परमेश्वर के वचन का पालन करना आसान होगा।
ज्यादातर हालांकि ऐसा लगता है कि आज्ञाएं बहुत सारी है। आज्ञाओं का दस आज्ञाओं के रूप में सारांश निकाला जा सकता है। और यदि आप केलव पवि़त्र आत्मा के नौ फलों को पा लेते है और प्रेम का फल और धन्यता के फल को पा लेते है, तो जो परमेश्वर की दृष्टि में उचित है आप कर सकते है। यदि आप केवल इस चीज को पा लेते है, तो आप दूसरी चीजों को भी प्राकृतिक तौर पर प्राप्त कर पाऐगें।
जहां तक मेरी बात है, मैं एक नया विश्वासी था, जब बाइबल पढ़ते समय मुझे परमेश्वर की कोई आज्ञा दिखाई दी मैंने तुरन्त उसका पालन किया। यदि मैं उसका पालन तुरन्त नही कर पाता था तो मैं उसको लिख लेता था और उस विषय को लेकर प्रार्थना करता था। जल्दी ही मैं उसे दूर कर पाया। आप आज्ञा पालन नही कर सकते क्यांकि आप आज्ञा पालन की कोशिश नही करते है और क्योंकि आप परमेश्वर से ज्यादा संसार से प्रेम रखते है।

हो सकता है कि आप के परिवार में आपके कोई नियम सहिता हो। आप जब उन नियमां का पालन करते है तब आप में शान्ति बनी रहती है। आपके स्कूल में नियम होते है आपको उनका पालन करना चाहिए। आपकी कंपनी में वहां भी अवश्य ही नियम होगें जिनका आपको पालन करना होता है और देश के भी कानून होते है। इन सब कानूनों का पालन करने के द्वारा हम एक अनुक्रम में जीवन व्यतीत कर रहें है। क्या ये मुश्किल है?
चालक यातायात के नियमों का पालन करते है। उन्हें यातायात संकेतों का पालन करना चाहिए। उनके अन्दर ये धीरज होना चाहिए कि उनके आगे खड़ी कार के चलने का वे इन्तजार कर सके यदि यातायात जाम है तो उन्हें इन्तजार करना चाहिए। इससे और भी अधिक भीड़ भाड़ हो जाती है जब लोग एक तरफ चले जाते है और हर जगह को घेर देते है।

कोई भी हो, हम इन सब नियमां का पालन कर सकते है। यदि आप उनका पालन करते है तो आपके समाज में, आपकी कंपनी में, आपके स्कूल में, और आपके परिवार में शान्ति बनी रहेगी। परन्तु क्या इन नियमों का पालन करना मुश्किल है। यदि आप एक अच्छी आदत बना देते है तो यह बिलकुल भी मुश्किल नही होगा।
यदि आप वास्तविकता में परमेश्वर से प्रेम करते है और स्वर्ग की आशा रखते है यदि आप स्वर्ग की महीमा और प्रतिफलों की लालसा रखते है तो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना बिलकुल भी मुश्किल नही होगा और आपका आज्ञा पालन न करने का ऐसा कोई कारण है ही नही।

परमेश्वर के नियमों का पालन न करना मुश्किल है। मेरे लिए परमेश्वर के वचनों का पालन करना आसान था और मैं खुश था। यह परमेश्वर का हृदय, इच्छा और वचन है कि वह हमसे प्रेम करता है और हमें बचाता है उसने हमारे लिए अपना एकलौता पुत्र दिया है। और स्वर्ग का इतना सुन्दर स्थान हमारे लिए तैयार किया हुआ है। इसलिए ऐसे वचनों का पालन करने में मैं बहुत खुश था। और आज्ञा पालन करना एक आशिष है।

जब मैं एक नया विश्वासी था, मैं तो साफ तौर पर स्वर्ग राज्य के बारे में भी नही जानता था। मैं परमेश्वर का मुझे चंगा करने के लिए बहुत धन्यवादी था और क्योंकि मैं उसे बहुत ज्यादा प्रेम करता था इसलिए मैंने उसके वचनों का पालन करना शुरू किया।
मेंरी स्थिति से तुलना करते हुए, आप ने तो स्वर्ग राज्य के विषय में इतनी साफ तौर पर सुना और सीख लिया है इसलिए आप के लिए तो पालन करना बहुत आसान होना चाहिए। यहां तक कि यदि आप यह भी सोचो कि मेरे पास बहुत सी चीजें है जो मुझे दूर करनी है, कब में इन सब को दूर कर पाऊंगा? आप को चितां करने की आवश्यकता नही है।

चाहे यह कोई गुस्सा हो, बैर हो, या व्यभिचारी मन हो, यदि आप अपना मन प्रार्थना और उपवासों के साथ उन चीजों को दूर करने पर लगाते हो जिन्हें दूर करना आपको सबसे मुश्किल लगता है तो फिर दूसरी बची हुई चीजों को भी आसानी से दूर कर पांएगे। ये बिलकुल उस प्रकार से है जब पेड़ की मुख्य जड़ को उखाड़ दिया जाता है तो बची हुई दूसरी जड़ों को उखाड़ना भी बहुत आसान हो जाता है।
मसीह में प्यारे भाईयों और बहनों, 2 इतिहास 16 अध्याय में यहूदा के दक्षिण राज्य के राजा आसा के विषय में हमें एक अभिलेख मिलता है। वास्तविकता में राजा आसा ने अच्छी तरह से परमेश्वर की सेवा की। परन्तु जब इज्राइल के उत्तर राज्य के राजा यहूदा पर चढ़ाई करने के लिए आए, उसका विश्वास जिसके साथ वह परमेश्वर पर निर्भर रहा करता था, बदल गया।
उसने एक अन्यजाति देश को रिश्वत देकर उन्हें इज्राइल के उत्तर राज्य के साथ युद्व करने को कहा। इस पर एक भविष्द्वक्ता आया और उसने राजा को डाटां भी।
उसने राजा को यह भी बताया कि जब एक शक्तिशाली अन्यजाति की सेना ने उन पर आक्रमण किया था, उस समय जब राजा परमेश्वर के ऊपर निर्भर रहा तो परमेश्वर ने उन शत्रुओं को निकाल दिया था परन्तु अब राजा ने अन्यजाति की सेना पर भरोसा किया इसलिए परमेश्वर ने अपना मुख राजा से फेर दिया।
जब उसने केवल परमेश्वर पर भरोसा किया, परमेश्वर ने उसे सुरक्षा दी। परन्तु जब उस ने परमेश्वर पर भरोसा नही किया वरन संसार और दूसरे लोगों पर, तो परमेश्वर ने अपना मुख फेर दिया।

2 इतिहास 16ः9 कहता है, देख, यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है ;परमेश्वर पूरी धरती और पूरे ब्रहाण्ड को जांचता हैद्ध कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए ;इसका अर्थ यह है कि परमेश्वर अपनी सामर्थ उन पर प्रकट करता है जो अपना पूरा हृदय, मन और प्राण और ताकत उसे को चढ़ाते हैद्ध तूने यह काम मूर्खता से किया है, इसलिये अब से तू लड़ाइयों में फंसा रहेगा।
यहां तक कि इस डांट के बाद भी, राजा आसा ने पश्चताप नही किया, राजा ने उस भविष्यवक्ता पर सताव किया और परमेश्वर के सामने और अधिक पाप की दीवार बना दी। अन्त में उसके राज्य के उंतालीसवे वर्ष में उसे एक गंभीर बीमारी लग गई।

जिसके पास एक बड़ा पात्र होता है वह डांट को सुन सकता है। राजा शाऊल ने नही सुना जब परमेश्वर के जन शमूएल ने उस डाटां। इसलिए अन्त में वह मृत्यु की राह पर चल दिया। इसके विपरीत, जब परमेश्वर के प्रिय सेवक दाऊद ने कुछ गलती की, परमेश्वर का एक जन उसके पास आया और उसकी गलती को दर्शाया। तब दाऊद ने तुरन्त ही लगातार पश्चाताप किया।

उस गलत कार्य पर शैतान ने दोष लगाया इसलिए उस के कारण उसे परीक्षाओं में रहना पड़ा। परन्तु उसने आनन्द के साथ उन परीक्षाओं का सामना किया। यह है एक प्रकार का बड़ा पात्र। परमेश्वर ने कुछ और नही परन्तु दाऊद से प्रेम किया और उसे महानता के साथ इस्तेमाल किया। दाऊद ने विश्वास का एक सबसे बेहतर उदारण प्रदर्शित किया।
इसलिए राजा आसा को उसके राज्य के उंतालीसवे वर्ष में एक बीमारी लग गई।
तब उसे क्या करना चाहिए था? उसे लगातार पश्चताप करना चाहिए था और परमेश्वर पर निर्भर रहना चाहिए था परन्तु राजा आसा ने तो भी परमेश्वर पर नही परन्तु डाक्टरों पर भरोसा किया।
उसे क्या करना चाहिए था? आप इस परिस्थिति में क्या करोंगे? उसे पश्चताप करना चाहिए था और परमेश्वर पर भरोसा रखना चाहिए था। परन्तु तौभी उसने चिकित्सकों पर भरोसा किया परमेश्वर पर नही। क्यांकि वह एक राजा था, वह सब से अच्छे डाक्टरों को जानता था। वह पहले किसी एक के पास गया और यदि उसे काई फर्क नही पड़ा तो वह दूसरे के पास गया। इसलिए यहां पर चिकित्सकों बहुवचन का प्रयोग किया गया है।
2 इतिहास 16ः13 कहता है, निदान आसा अपने राज्य के एकतालीसवें वर्ष में मरके अपने पुरखाओं के साथ सो गया।
अन्त में वह उस बीमारी से मर गया। यदि वह परमेश्वर पर भरोसा रखता, परमेश्वर उसे आनन्दित होते और उसे चंगा कर चुके होते जिसे कि वह और अधिक जीवीत रहता। परन्तु क्यांकि उसने संसार पर भरोसा किया और लोगों पर। वह परमेश्वर के किसी कार्य को नही देख पाया परन्तु बीमारी से मर गया।
परमेश्वर उसके कामों से बहुत नाखुश हुआ और इसलिए परमेश्वर ने इस घटना का बाइबल में अभिलिखित होने दिया। इसे अभिलिखित करने के द्वारा परमेश्वर हमें एक पाठ पढ़ा रहें है कि वास्तव में विश्वास क्या है और सच्चाई से परमेश्वर पर विश्वास करना और प्रेम करना क्या है। आज भी ऐसा ही है।
बहुत से लोग कहते है, में सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करता हूॅ। मैं परमेश्वर पर विश्वास करता हूं जो जीवन, मृत्यु, भाग्य और अभाग्य पर नियत्रण रखता है। लेकिन यदि कुछ उन्हें यदि वास्तविकता में हो जाता है तो वे क्या करते है। वे परमेश्वर पर भरोसा नही रखते परन्तु संसार पर भरोसा रखते है। वे परमेश्वर से प्रार्थनाओं के साथ नही मागते परन्तु अस्पतालों और दवाओं पर निर्भर रहते है।

ज्यादातर एसे मामले उन के साथ होते है जो मेरी प्रार्थनाओं को ग्रहण करने आते है। वे अस्पताल जा चुके होते है और बहुत से पैसे खर्च कर चुके होते है और बहुत सी चीजें कर चुके होते है। लेकिन कुछ फायदा नही हुआ। अस्पताल से उन्हें बता दिया जाता है कि अब मृत्यु ही होगी। और तब वे प्रार्थनाओं को ग्रहण करने के लिए आते हैं इसलिए वास्तव में यह सच्चा विश्वास नही है।
अब वे प्रार्थनाओं को ग्रहण करने इसलिए आते है क्यांकि अब उन्हें संसार पर भरोसा नही रहा। परन्तु तो भी धन्यवाद की हमारे परमेश्वर उन में से बहुतों को चंगा करते है। परन्तु यदि जिस समय उन्हांने उपदेशक को सुना था यदि वे उसी समय आ जाते बिना संसार के उपर भरोसा किए तो वह बिना ज्यादा दर्द के और इतना ज्यादा पैसा खर्च किए बिना वे बहुत तेजी से ठीक हो चुके होते। वे महानता से परमेश्वर को महीमा दे सकते थे।

चाहे वे कितना ही परमेश्वर के वचनो को सुनते है क्यांकि वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नही करते है और क्यांकि वे अपने हृदय की गहराई से परमेश्वर से प्रेम नही करते है, वे आत्मिक विश्वास को प्राप्त नही कर पाते जिसके द्वारा वे चंगाई का प्राप्त कर सकते है।
आप ने पवित्र आत्मा को पा लेने के द्वारा परमेश्वर की सतांन होने का अधिकार प्राप्त कर लिया हैं और अब यदि आप अंधकार से बहार आ जाते है और ज्योति और धार्मिकता में जीवन व्यतीत करते है तो परमेश्वर और आप के बीच में जो पाप की दीवार है वो टूट जाएगी।
जिस हद तक यह दीवार टूटती है आप उतना भरोसा प्राप्त करते है जिसके द्वारा आप सच्चा विश्वास कर सकते है और जिस हद तक इस प्रकार का भरोसा आप प्राप्त करते है, आप परमेश्वर के कार्यां को अपने जीवन के हर पहलुओं में अनुभव कर पाएगें।
आपको कोई बीमारीयां नही लगेगी और यदि एक पल के लिए लग भी जाएं तो यदि आप विश्वास करते है कि वह चंगी हो चुकी है तो वह चंगी हो जाएगी।

निष्कर्ष।
मैं आपको इस संदेश का निष्कर्ष दे दूं। मसीह में प्यारे भाईयों और बहनो और देख रह दर्शकों, इस संसार में एक गभीर बीमारी को ठीक करने के लिए कितनी पीड़ाओं को आप को सहना होता है?
इसकी किमत आपका भाग्य होगा और आपको ंउपचार की प्रक्रिया में महान दर्द से गुजरना पड़ता है।

और पूरी चंगाई का भी कोई निश्चय नही होता है। यदि आप आप्रेशन से ठीक हो भी जाएं तो भी कभी कबार आपका परेशानी रहती है। परन्तु यदि आप पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर रहते है और अपना विश्वास प्रदर्शित करते है तो आप बिना किसी दर्द और बाद के प्रभाव के, पूर्ण रूप से चंगे हो जांएगें।
और चंगाई के अनुभव के द्वारा आपका विश्वास भी बहुत ही बढ़ जाएगा और आप परमेश्वर को महीमा देगें ताकि आप बहुत आत्माओं को बचा सकें। और इसका प्रभाव दोगुना, तीगुना, चौगुना और इसे अधिक भी हो सकता है।
हॉलांकि हमारे चर्च की शुरूआत से ही, मैंने कभी भी किसी को नही सिखाया है कि आप दवाएं न लों या फिर अस्पताल मत जाओ।
यह इसलिए कि, जब स्वयं ही मरीज के पास विश्वास नही है तो यदि उसे दूसरे लोग भी ऐसा करने को कहें तो भी वह प्रार्थनाओं के द्वारा ठीक नही हो सकता। मैं केवल सच्चाई सामने रखता हॅू और उसे उसके विश्वास के अनुसार चुनाव करने देता हूं।
प्यारे भाईयों और बहनों, क्या मैंने आपको कभी सिखाया है कि आपको दवाएं नही लेनी चाहिए या फिर अस्पताल नही जाना चाहिए या आप्रेशन नही कराना चाहिए? मैं केवल आपको सच्चाई कहता हूं और आप अपने विश्वास के अनुसार चुनते है।

मैं उसे यह जानकारी देता हूं कि यीशु ने हमारी सारी निर्बलताओं और बीमारीयां को लिया और कोडे़ खाने के द्वारा हमें चंगाई दी है इसलिए हमें परमेश्वर पर निर्भर रहना चाहिए। परन्तु वह चंगाई के कार्यों का अनुभव तभी ले सकता है जब वह संयम से विश्वास प्रदर्शित करता है और उस विश्वास के अनुसार कार्य करता है।
क्योंकि बहुत से मानमिन विश्वासी इन चंगाई के कार्यों का अनुभव हमेशा करते है, अब आप में से बहुत से स्वस्थ है। आपके बच्चे और आपके परिवार के सदस्य भी बिना किसी अस्पताल के ही स्वस्थ है। ये कितनी बड़ी आशिष है।
क्योंकि आप केवल परमेश्वर पर निर्भर रहते है और परमेश्वर के द्वारा ही चंगाई पाते है और आपका विश्वास प्रत्येक दिन बढ़ता जाता है। आपकी आत्मा समृद्व होती है और आपका विश्वास बढ़ता है इसलिए न कोई बीमारी और न ही कोई जीवाणु आपको संक्रमित करता है। और आप विश्वास के द्वारा अपनी समस्याओं का समाधान करते है।
ज्यादातर आप और आपके परिवार के सदस्य, 1 साल या 10-15 यहां तक कि 20 सालों तक भी अस्पताल नही जाते है।
मैं आशा करता हूं कि आप पूर्ण रूप से प्रभु के प्रेम पर विश्वास करेंगे, जिसने कोड़े खाने और अपना लहू बहाने के द्वारा हमें हमारी सारी बीमारीयों और निर्बलताओं से छुटकारा दिलाया है। कृप्या इस प्रकार से कुछ नाकारात्मक अंगीकार न करे कि मैं अभी भी कमजोर हूं, मुझे अभी भी दर्द है। परन्तु यीशु के किमती लहू पर निर्भर रहते हुए एक साकारात्मक अंगीकार करें कि आप स्वस्थ है।
यदि आप यह कहते है कि मैं थका हुआ हूं, मैंने पूरे दिन काम किया और सम्पूर्ण रात्रि सभा में बिना सोए हुए उपस्थित था इसलिए मैं थका हुआ हूं तो फिर आप थके हुए ही रहेगें यहा तक कि एक साल बाद भी। यदि आप यह अंगीकार, विश्वास और यह कहते हुए करते है कि मैं अच्छा महसूस कर रहा हूं जबकि मैं रात्रि सभा में उपस्थित था और मैंने परमेश्वर की स्तुति की और उससे प्रार्थना की। मैं और भी बेहतर महसूस कर रहा हूं और थकान मुझे छोड़ देगी और मैं एक स्वस्थ व्यक्ति बन जाउंगा, तो आप स्वस्थ रहेगें और कोई थकान नही होगी जब आप कुछ महीनां बाद अंगीकार करते है।
मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूॅ कि आप परिश्रम से परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करेंगे और उस पर हर बात में पूरी रीति से निर्भर रहांगे ताकि आप परमेश्वर के कार्यो के द्वारा हमेशा परमेश्वर को महीमा दे पाये, जो कि सब कुछ करने के योग्य है।

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