Krus Ka Sandesh-16 – यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना

पवित्र शास्त्र
(यूहन्ना 19ः23-24)
जब सिपाही यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके, तो उसके कपड़े लेकर चार भाग किए, हर सिपाही के लिये एक भाग और कुरता भी लिया, परन्तु कुरता बिन सीअन ऊपर से नीचे तक बुना हुआ थाः इसलिये उन्होंने आपस में कहा, हम इस को न फाडें, परन्तु इस पर चिट्ठी डालें कि वह किस का होगा।24 यह इसलिये हुआ, कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कि उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बांट लिये और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डालीः सो सिपाहियों ने ऐसा ही किया।
(यशायाह 53ः5-6)
परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।6 हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया॥
(परिचय)
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों,
और मैं आपको यीशु के बाहरी वस्त्र और कुरते में छिपे हुए प्रावधान के विषय में बताऊँगा।
यीशु बड़े कष्टों से गुज़रा और पापियों को उनके पापों से छुड़ाने के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया। जब उसने क्रूस की पीड़ा उठाई, तो उसने कांटों का ताज पहना, उसे कोड़े मारे गए, उसके हाथों और पैरों में कीलें ठोकी गईं, और उसकी पसली को भेदा गया।
ये सब बातें इत्तेफाक के तौर पर नहीं हुईं। इनमें से प्रत्येक कार्य परमेश्वर के प्रावधान द्वारा किया गया था। यीशु को मानवजाति को जीवन का भोजन देने के लिए चरनी में रखा गया था जो जानवरों से अलग नहीं हैं। उसने हमें समृद्धि देने के लिए गरीबी में जीवन व्यतीत किया।
हमें बीमारियों से छुड़ाने के लिए उसको कोड़े मारे गए और हमारे पापों को क्षमा करने के लिए जो हम अपने विचारों से करते हैं उसने कांटों का ताज पहना। इसी तरह, यीशु के कष्टों की प्रक्रिया हमें आदम की अनाज्ञाकारिता के श्राप से मुक्त करने और हमें हमारे पापों से छुड़ाने के लिए आवश्यक थी।
इस सत्र में, मैं यीशु के कपड़ों में छिपे प्रावधान और यीशु के हाथों और पैरों में कीलों के ठोके जाने के बारे में बताऊँगा। मुझे आशा है कि आप प्रभु के प्रेम को और अधिक गहराई से महसूस करेंगे जिसने आनंद के साथ हमारे लिए सभी कष्ट सहे।
मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि आप प्रभु की सुंदर दुल्हन बने जो प्रभु के लिए अपना जीवन दे सकें।
(मुख्य)
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, यीशु को कोड़े मारे गए थे और उसने कांटों का ताज पहना था, इसलिए उसका चेहरा और शरीर लहु से लथपथ था, और अब, उसे भारी कू्रस उठाना था।
जिस क्रूस पर उसे लटकाया जाना था, उसे उठाकर वह गुलगुता तक गया। जब वह आया, तो सिपाहियों ने उसके कपड़े उतार दिए।

यूहन्ना 19ः23-24 से आज का शास्त्र कहता है, जब सिपाही यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके, तो उसके कपड़े लेकर चार भाग किए, हर सिपाही के लिये एक भाग और कुरता भी लिया, परन्तु कुरता बिन सीअन ऊपर से नीचे तक बुना हुआ थाः इसलिये उन्होंने आपस में कहा, हम इस को न फाडें, परन्तु इस पर चिट्ठी डालें कि वह किस का होगा।24 यह इसलिये हुआ, कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कि उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बांट लिये और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डालीः सो सिपाहियों ने ऐसा ही किया।

जब उसे क्रूस पर लटकाया गया, तो उसका बाहरी वस्त्र और कुरता ले लिया गया, और उसे नंगा लटका दिया गया।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के इकलौते पुत्र को अपने नीच प्राणियों के सामने नग्न होने की शर्मिंदगी उठानी पड़ी। क्या कारण है कि यीशु ने लज्जा ली इसका कारण यह है कि उस लज्जा को दूर करना जो हमें प्राप्त करनी थी।

निर्दोष यीशु ने वह सब अवहेलना, उपहास और तिरस्कार ले लिया जो हम पापियों को लेना था। यदि सड़ा हुआ भोजन या मलमूत्र आपके कपड़ों पर लगा हो और आपसे बहुत दुर्गंध आती हो, तो क्या आप बहुत से लोगों के सामने जा सकते हैं?

आपको बहुत लज्जा आयेंगी जब तक कि आप उस गंदगी को साफ न कर ले। लेकिन पाप आपके कपड़ों के कचरे या मलमूत्र से भी ज्यादा गंदा है। जब आदम ने भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाकर पहली बार पाप किया, तो वह वृक्षों के बीच परमेश्वर के मुख से छिप गया।

क्योंकि उसने पाप किया था, वह परमेश्वर के सामने लज्जित महसूस कर रहा था और परमेश्वर के चेहरे से छिपने की कोशिश कर रहा था। लेकिन चूंकि सभी पाप में जी रहे हैं, जैसे-जैसे समय बीत रहा है, लोग और भी ज्यादा पापो के विषय में स्तब्द्ध हो रहे हैं।

यहाँ तक कि जब वे पाप करते हैं और बुराई करते हैं, तो वे कहते हैं, “हर कोई करता है।“ उनका विवेक कठोर होता जा रहा है। इसके अलावा, यह अब अंतिम दिन है, और हम किसी भी अन्य समय की तुलना में बुरे संसार में रह रहे हैं। 30 या 50 साल पहले के लोग आज की दुनिया देखेंगे तो हैरान रह जाएंगे।

जो पाप पहले इतने घिनौने माने जाते थे, वे आजकल बार-बार हो रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये शर्मनाक बातें जिनकी पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती थीं आज की दुनिया में बहुत ज्यादा प्रचलित हैं। लेकिन पीढ़ी कितनी भी दुष्ट क्यों न हो जाए, सभी शर्मनाक पाप परमेश्वर के वचन के प्रकाश में प्रकट हो जाएंगे।

अंधेरा होने पर हम यह नहीं देख सकते कि कमरा कितना गंदा है, लेकिन जब तेज रोशनी होती है, तो हम कमरे की गंदगी को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। इसी तरह, यदि हम अपने हृदय को परमेश्वर के वचन के अनुसार जाँचे जो कि ज्योति है, तो हम अपने अंदर शर्मनाक पापों को देख सकते हैं।

जो लोग पाप और बुराई में रहते हैं, वे इस संसार की गंदगी से कलंकित होते हुए बहुत लज्जित होंगे जब वे परमेश्वर के न्याय के सामने खड़े होंगे। उनकी हृदय और व्यवहार की गंदगी साफ तौर पर सामने आ जाऐगी, इसलिए वे अपना सिर नहीं उठा पाएंगे।

परन्तु यीशु ने हमें हमारे पापों से, और उस तिरस्कार और ठट्ठे से, जो हम को उठाना था छुड़ा लिया, कि हम जो इसमें विश्वास करते हैं उन्हें लज्जित होने की आवश्यकता नहीं है।

उत्पत्ति 3ः21 कहता है, “ 21 और यहोवा परमेश्वर ने आदम और उसकी पत्नी के लिये चमड़े के अंगरखे बना कर उन को पहिना दिए। आदम और हव्वा, जो उनके पापों के कारण वाटिका से निकाले जा रहे थे, उनकी लज्जा को छिपाने के लिए, परमेश्वर ने चमड़े के वस्त्र बनाकर उन्हें पहिनाए।
यीशु जो इस पृथ्वी पर आया था उसे क्रूस पर नंगा लटकाया गया था और उसने पापियों को उनकी शर्म से छुड़ाया था। प्रकाशितवाक्य 3ः18 में यीशु लौदीकिया की कलीसिया को सलाह देता है कि वह पहनने के लिए स्वेत वस्त्र मोल ले ले, ताकि वे अपना लज्जा का तन ढक सकें।

प्रभु उन लोगों को चेतावनी दे रहे हैं जो अपने विश्वास में गुनगुने हैं और परमेश्वर में अपने विश्वास का दावा करते हैं, कि वे अपने हृदय को पवित्र करें और प्रभु को प्राप्त करने के लिए तैयार हो जाएँ। मैं आशा करता हूं कि आप अपने हृदय की गहराई से प्रभु के प्रेम के लिए आभारी होंगे जिसने हम पापियों की लाज अपने ऊपर ले ली।

मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूँ कि आप शीघ्र ही पूर्ण पवित्रीकरण को प्राप्त करेंगे ताकि आप बिना किसी लज्जा के प्रभु को प्राप्त कर सके।

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, सिपाहियों ने यीशु का बाहरी वस्त्र लिया और चार भाग किए, प्रत्येक सैनिक के लिए एक भाग और कुरता (भी); अब कुरता बिन सीअन एक ही टुकड़े में बुना जाता था। सो उन्होंने उसके लिये चिट्ठी डाली ।
अब, इस गंभीर स्थिति में जहां निर्दोष यीशु को सूली पर चढ़ाया जा रहा था, और क्या वास्तव में यह लिखने लायक है कि उसके कपड़ों का क्या हुआ?

आपको यह अजीब लग सकता है कि बाइबल इसके बारे में इतना विस्तार से लिख रही है कि सैनिकों ने यीशु के बाहरी वस्त्र के चार टुकड़े कर लिए, उनका अंगरखा ऊपर से नीचे तक बिना सीअन और एक ही टुकड़े में बुना हुआ था, या सैनिकों ने इसके लिए चिट्ठी डाली .
साथ ही, यीशु के कपड़े महँगी सामग्री से नहीं बने थे या गहनों से सजे हुए नहीं थे। वे घिस चुके थे और धूल और खून से सने हुए थे। यह भी अजीब है कि रोमन सैनिकों ने पोशाक को विभाजित किया और कुरते के लिए चिट्ठी डाली।
इसके अलावा, इसकी भविष्यवाणी भजन संहिता में की गई है जो बहुत समय पहले लिखी गई थी।
भजन संहिता 22ः18 कहता है, “वे मेरे वस्त्र आपस में बांटते हैं, और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं।“ साथ ही, आज का पवित्रशास्त्र कहता है, “यह इसलिए हुआ कि पवित्र शास्त्र का वह वचन पूरा हो जो कहता है, ’उन्होंने मेरे वस्त्र आपस में बांट लिए, और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डाली।’’
बाइबिल हमें यीशु के वस्त्र के माध्यम से परमेश्वर का महत्वपूर्ण प्रावधान दिखा रही है। यह यीशु के समय के बाद इस्राएल के इतिहास का प्रतीक है।
आइए पहले हम बाहरी वस्त्रो में प्रावधान को देखें। यीशु परमेश्वर का पुत्र है, और इस्राएल का राजा, जो कि परमेश्वर की प्रजा है। यीशु का बाहरी वस्त्र इस्राएल देश और उसके लोगों का प्रतीक है।

और चूँकि यीशु का यह बाहरी वस्त्र चार भागों में विभाजित हो गया था, वस्त्र का आकार नष्ट हो गया, और केवल कपड़े की सामग्री रह गई। यह इस बात को दर्शाता है कि इस्राएल देश नष्ट हो जाएगा और यीशु के बाहरी वस्त्र के रूप में अपना आकार खो देगा।
जैसे कि केवल वस्त्र के टुकड़े, जो कि वस्त्र की सामग्री थी बची रह गई, केवल इस्राएल नाम रह गया। रोमन सैनिकों द्वारा वस्त्र को विभाजित करने का अर्थ है कि इस्राएल रोमन साम्राज्य द्वारा नष्ट कर दिया जाएगा।

बाहरी वस्त्र को चार भागों में विभाजित किया गया था, और इसका अर्थ है कि इस्राएल के लोग चार दिशाओं में, पूरे विश्व में बिखर जाएंगे। उसके बाद का इतिहास निश्चित रूप से इसी तरह पूरा हुआ था।

लूका 19ः43-44 में, यीशु ने यरूशलेम नगर के बारे में भविष्यवाणी की। क्योंकि वे दिन तुझ पर आएंगे कि तेरे बैरी मोर्चा बान्धकर तुझे घेर लेंगे, और चारों ओर से तुझे दबाएंगे।
44 और तुझे और तेरे बालकों को जो तुझ में हैं, मिट्टी में मिलाएंगे, और तुझ में पत्थर पर पत्थर भी न छोड़ेंगे; क्योंकि तू ने वह अवसर जब तुझ पर कृपा दृष्टि की गई न पहिचाना॥
जैसा कि यीशु ने भविष्यवाणी की थी, 70 ईस्वी में जनरल टाइटस के नेतृत्व में रोमन सेना ने यरूशलेम को घेर लिया और उस पर हमला कर दिया। इस्राएल के लोगों ने रोमियों के विरुद्ध संघर्ष किया, परन्तु अन्त में रोमन सैनिक द्वारा नगर को जीत लिया गया, और पूरे नगर को नष्ट कर दिया गया।
जैसा कि यीशु ने कहा, “वे एक पत्थर पर दूसरा पत्थर नहीं छोड़ेंगे,“ रोमन सैनिकों ने मंदिर के पत्थरों को भी नष्ट कर दिया। इतिहास में एक रिकॉर्ड के अनुसार, दस लाख से अधिक यहूदियों को मार डाला गया था, और उनमें से कई को सूली पर चढ़ा दिया गया था, जबकि शहर को जीत लिया गया था।
जो बच गए वे भी चार दिशाओं में तितर-बितर हो गए, और तब से, यहूदियों को दुनिया भर के विभिन्न स्थानों में रहने वाले अन्यजातियों द्वारा सताया जाना पड़ा था। दो हज़ार वर्षों की पीड़ा में, नाजियों द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सबसे दुखद और भयानक घटना घटी।

थोड़े ही समय में 60 लाख से अधिक लोग सिर्फ इसलिए मारे गए क्योंकि वे यहूदी थे। इसके अलावा, वे नग्न मारे गए थे। परमेश्वर में विश्वास करने से पहले , मुझे यहूदियों के नरसंहार के बारे में बात अजीब लगी।

आम तौर पर, जब वे एक अपराधी को मौत के घाट उतारते हैं, तो वे उसे साफ कपड़े पहनने देते हैं, लेकिन जब वे मारे गए तो बहुत से यहूदी नग्न थे।

लेकिन जब मैंने परमेश्वर में विश्वास किया और क्रूस के प्रावधान को समझा, तो मुझे इसका कारण समझ में आया। यहूदियों की इस प्रकार की मृत्यु उन श्रापों में से एक थी जो उन पर तब पड़ी जब उन्होंने यीशु को मार डाला, जो उनके पास उनके राजा के रूप में आया था।
हालाँकि यीशु को सीधे सूली पर चढ़ाने वाले रोमन सैनिक थे, लेकिन यहूदियों ने उनसे यीशु को सूली पर चढ़ाने के लिए कहा। चूंकि यहूदी रोमन शासन के अधीन था, इसलिए यीशु को मारने के लिए रोमन साम्राज्य द्वारा भेजे गए गवर्नर की अनुमति होनी चाहिए थी।

यहूदिया का राज्यपाल पिलातुस जानता था कि यीशु निर्दोष है, इसलिए वह यीशु को मौत की सजा नहीं देना चाहता था। परन्तु क्योंकि यहूदी मृत्युदंड की मांग करते रहे, पिलातुस ने कहा, “मैं इस मनुष्य के लहु से निर्दोष हूं,” उसने कहा। “यह आपकी ज़िम्मेदारी है!“

वह यहूदियों को एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या की कीमत चुकाने के लिए कह रहा था, हालाँकि वह वही था जिसने मौत की सजा जारी की। इसके बारे में मत्ती 27ः25 कहता है, “सब लोगों ने उत्तर दिया, ’इसका लहु हम पर और हमारी सन्तान पर हो!“
नीतिवचन 18ः21 कहता है, “जीभ में जीवन और मृत्यु की शक्ति है, और जो उससे प्रीति रखते हैं वे उसका फल भोगेंगे।“ यहाँ तक
कि यहूदियों ने भी अपने अंगीकार के रूप में प्रतिशोध प्राप्त किया। यीशु को नग्न अवस्था में मारने के प्रतिशोध के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनका नग्न नरसंहार किया गया था।

जैसा कि उन्होंने कबूल किया, “उसका खून हम पर और हमारे बच्चों पर हो!“ उन्हें लंबे समय तक ऐसे घोर कष्टों में रहना पड़ा। उनके कष्टों के इतिहास को यीशु के बाहरी वस्त्र के चार टुकड़ों में विभाजित करने में दर्शाया गया था।

इसके बाद, यह कहा जाता है कि यीशु का अंगरखा बिना जोड़ का था, अर्थात्, यह कपड़े के कई टुकड़ों को सिलकर नहीं बनाया गया था, बल्कि ऊपर से नीचे तक एक ही टुकड़े में बुना गया था। यहाँ, अंगरखा मनुष्य के हृदय को संदर्भित करता है।

इस्राएल के राजा, यीशु का अंगरखा, इस्राएल के वंशजों के हृदय और परमेश्वर के प्रति उनके विश्वास का प्रतीक है। इस्राएल का पूर्वज याकूब हैं। परमेश्वर ने याकूब का नाम बदलकर इस्राएल कर दिया, और उसके बारह पुत्रों से बारह गोत्र बनाए।

क्योंकि परमेश्वर जानता था कि इब्राहीम के वंश में याकूब का मन अच्छा है, उसने याकूब के द्वारा अपने चुने हुए लोगों को बनने दिया। इस्राएलियों ने अन्य जातियों से विवाह न करके एक जाति के रूप में अपनी पहचान रखी, और उन्होंने एकमात्र परमेश्वर की सेवा की।

परन्तु सुलैमान के पुत्र राजा रहूबियाम के समय इस्राएल में विभाजन हो गया, और देश दक्षिणी यहूदा और उत्तरी इस्राएल में बंट गया। तब से, उत्तरी इस्राएल ने अन्य लोगों से शादी करना शुरू कर दिया और अपनी विशिष्ट पहचान खो दी।
इसलिए, केवल दक्षिणी यहूदा ही इस्राएल के सच्चे वंशज हैं, और गैर-यहूदियों के साथ घुलमिले बिना, एक जाति के रूप में बने रहे। इसलिए हम इस्राएल के वंशजों को यहूदी कहते हैं।
जैसे यीशु का कुरता ऊपर से नीचे तक एक ही टुकड़े में बुना गया, वैसे ही यहूदी अपने पुरखा याकूब के समय से एक ही जाति के बने रहे।
साथ ही, रोमी सैनिकों ने यीशु के कुरते को नहीं फाड़ा। यदि वे बुने हुए अंगरखे को फाड़ दें, तो प्लाई टूट जाएगी, और पूरा कुरता बेकार हो जाएगा। इसलिए उन्होंने चिट्ठी डाली और उनमें से एक ने उसे ले लिया।
कुरते को फाड़ना आत्मिक रूप से इस बात का प्रतीक है कि कोई अन्य लोग परमेश्वर के लिए यहूदियों के हृदय को विभाजित या नष्ट नहीं कर सकते हैं। रोमन साम्राज्य ने इस्राएल देश को नष्ट कर दिया, परन्तु वे इस्राएल के विश्वास को नष्ट नहीं कर सके।
दुनिया भर में तितर-बितर हुए यहूदियों ने इतने लंबे समय तक बड़ी पीड़ा झेलने के बाद भी अपनी पहचान नहीं खोई। उन्होंने अपनी जाति और धर्म को कायम बनाये रखा और अंततः 14 मई, 1948 को उन्होंने एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना की।

यह यहेजकेल 38ः8-12 की भविष्यवाणी पूरी होना था। इन आयतों ने भविष्यवाणी की, कि अंत में, लोग दुनिया भर से इस्राएल की भूमि पर वापस आएंगे और अपने राष्ट्र को पुनः प्राप्त करेंगे।
इस पृथ्वी पर कौन सी जाति 2,000 वर्षों तक अपनी पहचान और विश्वास बनाए रखने में सक्षम होगी, विशेष रूप से ऐसे गंभीर उत्पीड़न और कष्टों में? साथ ही, क्या कोई अन्य जाति होगी जो अपने राष्ट्र को उनके विनाश के 2,000 वर्षों के बाद पुनः प्राप्त कर सके? यह सामान्य ज्ञान के साथ बिल्कुल असंभव है।

यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि याकूब से उन्हें विरासत में मिला उनका हृदय बहुत मज़बूत है। यीशु का कुरता, जो ऊपर से नीचे तक एक ही टुकड़े में बुना हुआ था, वैसा ही रहा, और इसने इस प्रकार के इतिहास की भविष्यवाणी की।
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों,
यीशु नग्न था और उसे क्रूस पर उसके हाथों और पैरों में कीलों से ठोंक दिया गया था। आम तौर पर, हम जानते हैं कि प्राण दंड के तरीकों को आमतौर पर कम समय में अधिक शारीरिक पीड़ा के बिना किया जाता है, हालांकि दोषी ठहर चुका अपराधी मानसिक पीड़ा से गुजर सकता है।

लेकिन क्रूस पर चढ़ाना प्राणदंड का एक तरीका है जो लंबे समय तक बहुत दर्द देता है। यह केवल हत्यारों या विश्वासघातियों के लिए कठोर प्राणदंड था। सबसे पहले वे लकड़ी से एक बड़ा क्रूस बनाते हैं और अपराधियों के हाथ-पैरों को क्रूस पर कील से ठोंक देते हैं।

जब वे क्रूस को ऊपर रखते हैं, तो शरीर का वजन नीचे की ओर झुक जाता है, और अपराधी को अपने हाथों और पैरों में बहुत दर्द महसूस होता है, जिन पर कीलें ठोंक दी जाती हैं। क्योंकि वे महत्वपूर्ण स्थानों के माध्यम से कील नहीं लगाते हैं, अपराधी जल्दी नहीं मरता है। उसे अपना खून बहाना पड़ता है और पूरी प्रक्रिया में सभी पीड़ाओं को तब तक सहना पड़ता है जब तक कि वह अपनी अंतिम सांस नहीं ले लेता।
यीशु को सूली पर चढ़ाने से पहले, उससे रात भर इधर-उधर पूछताछ की गई, और वह गंभीर कोड़ों और कांटों के मुकुट के कारण इतना लहु बहाते हुए गोलगोथा की पहाड़ी पर चढ़ गया।

क्योंकि थके हुए शरीर के साथ क्रूस को उठाना बहुत कठिन था, वह दो बार अपने घुटनों पर गिरा, परन्तु अंत में वह पहाड़ी की चोटी पर कष्ट उठाते हुए पहुँच गया। चोटी पर, सैनिकों ने सूबेदार के कहने पर कीलें ठोकीं, और यीशु को बहुत ही दयनीय ढंग से क्रूस पर कीलों से ठोका गया।
जब उसे चिलचिलाती धूप में लटकाया गया, तो खून को सूंघने वाले जहरीले कीड़े उस पर चढ़ गए। इस तरह से क्रूस पर लटकाए जाने पर, उसे 6 घंटे तक कष्टदायी दर्द सहना पड़ा जब तक कि उसने अपनी अंतिम सांस नहीं ली।
फिर क्या कारण है कि उसके हाथों और पैरों में कीले ठोकी गई? यह हमें उन पापों से छुड़ाने का प्रावधान है जो हम अपने हाथों और पैरों से करते हैं।
मरकुस 9ः43-45 कहता है, यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल टुण्डा होकर जीवन में प्रवेश करना, तेरे लिये इस से भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक के बीच उस आग में डाला जाए जो कभी बुझने की नहीं। जहां उन का कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती। और यदि तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल।
कितनी बार हम अपने हाथों से वह करते हैं जो हमें नहीं करना चाहिए और कितनी बार हम अपने पैरों से उस स्थान पर जाते हैं जहाँ हमें नहीं जाना चाहिए? तब, क्या पाप न करने के लिए आपको वास्तव में अपने हाथ और पैर काटने होंगे ताकि आप नरक में न गिरे?
आज भी, जो देश अभी भी पुराने नियम की व्यवस्था का पालन करते हैं वे ऐसा करते हैं। “आँख के बदले आँख, और दाँत के बदले दाँत“ के नियम के अनुसार, वे चोरों के हाथ काट देते हैं और यदि वे अपनी आँखों से पाप करते हैं तो वे आँखें निकाल लेते हैं। यदि वे व्यभिचार करते हैं, तो लोग उन्हें पत्थरों से मार डालते हैं।
बहुत पहले ग्रामीण इलाकों में, कुछ लोग थे जो जुए के आदी थे। मैंने सुना है कि जब वे अपनी सारी जमीन, घर और यहाँ तक कि परिवार को बेचकर भी जुआ खेलना बंद नहीं कर सके, तो उन्होंने अपने ही हाथ काट लिए। परन्तु जिन्होंने यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार किया है उन्हें ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है।

भले ही हम अपने हाथ और पैर नहीं काटते हैं, हमें क्षमा किया जा सकता है, और हम पवित्र आत्मा की सामर्थ से अपने पापों को दूर कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि निष्पाप यीशु ने पहले ही हमें उन पापों से छुड़ा लिया है जो हम अपने हाथों और पैरों से करते हैं, अपने हाथों और पैरों में कीलों से छेदे जाने और लहु बहायें जाने के द्वारा।

साथ ही, मरकुस 9ः47 कहता है, “और यदि तेरी आंख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकाल दे। काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है, कि दो आंख रहते हुए तू नरक में डाला जाए,“ आखिरकार , जो पाप हम अपनी आँखों से करते हैं, वह वास्तव में देखने, सुनने और महसूस करने के द्वारा हम अपने विचारों में करते है।
यह पाप क्षमा किया गया क्योंकि यीशु ने काँटों का ताज पहना था जैसा कि मैंने पिछले सत्र में आपको बताया था, इसलिए हमें अपनी आँखें निकालने की आवश्यकता नही हैं। इसी तरह, हमें हमारे पापों को क्षमा करने और हमें नरक की आग से बचाने के लिए, यीशु ने सभी कष्टों को स्वयं उठा लिया।
लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि वे प्रभु में विश्वास करते हैं और वे पश्चाताप करते हैं, लेकिन फिर भी वे पापों में जीवन जीते हैं। परमेश्वर कहता हैं कि उनका पश्चाताप झूठ है।
1 यूहन्ना 1ः6 कहता है, “यदि हम कहे, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है और फिर अन्धकार में चलें, तो हम झूठ बोलते हैं, और सत्य पर नहीं चलते।“ साथ ही, गलातियों 5ः19-21 में, यह कहता है कि जो लोग पापमय स्वभाव के कार्य करते हैं, अर्थात् वे जो अपने क्रियाओ में पापो को करते हैं, वे परमेश्वर के राज्य के वारिस नहीं हो सकते। इसका मतलब है कि वे बच नहीं पाएंगे।
बचाए जाने और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए, हमें ये पाप नहीं करने चाहिए। जो लोग वास्तव में यह विश्वास करते हैं कि यीशु ने अपने हाथों और पैरों में कीले ठोकी गई और दर्द सहा, वे फिर से पाप नहीं कर सकते। इसके अलावा, यदि आप वास्तव में अपने हृदय की गहराई से पश्चाताप करते हैं और मन फिराते हैं, तो आप बार-बार वही पाप नहीं कर सकते।
जो लोग पापों को छोड़े बिना उसी तरह जीवन जीते हैं, उनमें न तो सच्चा विश्वास है और न ही वे परमेश्वर से प्रेम करते हैं। वे उद्धार भी नहीं पायेंगे। बेशक, यदि आप बदलने की कोशिश करते हैं, कभी-कभी आप पाप कर सकते हैं जब आपका विश्वास कमजोर होता है।

फिर, यदि आप अपने हृदय में गहराई से पश्चाताप करते हैं और उस पाप को दूर करने का प्रयास करते हैं, तो परमेश्वर आपको क्षमा करता है। वह आपको उस पाप को दूर करने के लिए अनुग्रह और सामर्थ देता है।
मानवीय क्षमता से पापों को दूर करना और पवित्र परमेश्वर के सदृश होना असंभव है, लेकिन यह परमेश्वर की सामर्थ से संभव है। साथ ही, यदि आप परमेश्वर की संतान हैं, तो आपको स्पष्ट रूप से पापों को त्याग देना चाहिए और पवित्र बन जाना चाहिए
(निष्कर्ष)
मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, अपनी मृत्यु के घंटों के दौरान, यीशु ने मृत्यु की पीड़ा के बारे में नहीं सोचा। उसने केवल प्रार्थना की कि केवल एक और आत्मा को उसके कष्टों और मृत्यु से बचाया जाए, और उन लोगों के पापों की क्षमा मांगी जिन्होंने उसे सूली पर चढ़ाया और उसका उपहास किया।
हमारे प्रभु मर गए और अपने महान प्रेम के साथ हमारे लिए जी उठे, और उनके फिर से आने का समय निकट है।
मत्ती 24ः32-34 कहता है, अंजीर के पेड़ से यह दृष्टान्त सीखोः जब उस की डाली को मल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो, कि ग्रीष्म काल निकट है।33 इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो, कि वह निकट है, वरन द्वार ही पर है।34 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी।
यहाँ, अंजीर का पेड़ आत्मिक रूप से इस्राएल को दर्शाता है। जिस तरह हम गर्मियों को महसूस कर सकते हैं जब हम देखते हैं कि सर्दियों के दौरान मृत दिखने वाले अंजीर के पेड़ से पत्ते निकलते हैं, यीशु कह रहा था कि जब नष्ट किए गए इस्राएल को फिर से स्थापित किया जाएगा, तो प्रभु का दिन बहुत निकट होगा।
परमेश्वर की सभी वाणी स्वयं सत्य है जिसका हम एक अंश भी न तो छोड़ सकते हैं और न ही जोड़ सकते हैं। यरूशलेम की विजय, यहूदियों की पीड़ा, इस्राएल का विनाश और उसकी पुनःस्थापना, ये सब बाइबल में लिखे अनुसार पूरे हुए। जो चीजें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं वे आने वाली चीजें हैं।

उनमें से एक यह है कि यीशु मसीह, जो क्रूस पर मरा और पुनर्जीवित हुआ, अपने लोगों को लेने आएगा। प्रकाशितवाक्य 16ः15 कहता है, 15 देख, मैं चोर की नाईं आता हूं; धन्य वह है, जो जागता रहता है, और अपने वस्त्र कि चौकसी करता है, कि नंगा न फिरे, और लोग उसका नंगापन न देखें।
प्रभु के दूसरे आगमन के दिन, कोई भी जो तैयार नहीं है, स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर पायेगा। मुझे आशा है कि आप आत्मिक नींद में नहीं गिरेंगे बल्कि सचेत रहे, जागते रहे और प्रार्थना करते रहे ।

मैं आपसे प्रभु की दुल्हन के रूप में तैयारी को जल्द से जल्द पूरा करने का आग्रह करता हूं, प्रभु के प्रेम को याद करते हुए जिसने हमें हमारी शर्म से छुटकारा दिलाने और हमारे पापों को क्षमा करने के लिए घृणित क्रूस उठाया।
मैं हमारे दूल्हे प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूं कि अन्तिम दिन, जब तुरही बजेगी, आप सब हवा में उठा लिये जायें और विवाह के भोज में शामिल हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *