Krus Ka Sandesh-22 – अनंत जीवन

मती 7ः21 , 1 यूहन्ना 5ः16-17
मत्ती 7ः21 जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।
1 यूहन्ना 5ः16-17 यदि कोई अपने भाई को ऐसा पाप करते देखे, जिस का फल मृत्यु न हो, तो बिनती करे, और परमेश्वर, उसे उनके लिये, जिन्होंने ऐसा पाप किया है जिस का फल मृत्यु हैः इस के विषय में, मैं बिनती करने के लिये नहीं कहता। सब प्रकार का अधर्म तो पाप है, परन्तु ऐसा पाप भी है, जिस का फल मृत्यु नहीं।।

परिचय
मसीह में प्यारे भाईयों और बहनों और टेलीविजन देख रहें श्रोताओं
मती 25 अध्याय में 10 कुंवारियां का एक दृष्टांत है। दस में से पांच कुवांरियां ने तो पर्याप्त तेल तैयार रखा कि उनके दीपक जलते रहे परन्तु दूसरी पांच मूर्ख कुवारियों को तेल लेने के लिए बाहर जाना पड़ा। जब उन्होंने इस सूचना की आवाज सुनी कि दुल्हा आ रहा था, पांच मूर्ख कुंवारियां तेल खरीदने को निकली परन्तु जब वे वापस आई, शादी के भोज का द्वार बंद हो चुका था। उन्होंने उनके लिए दरवाजा खोलने के लिए विनती की परन्तु केवल एक ही उत्तर जो उन्होंने पाया वह यह था “मैं तुम्हें नही जानता“। यहां पर दस कुंवारियां उन विश्वासियों को दर्शाती है जो प्रभु के आने का इंताजार कर रहे है जो कि दुल्हा है।
जब प्रभु हमारा दुल्हा आता है, वे विश्वासी जिन्होंने अपने आप को बखूबी तैयार किया है वे प्रभु के साथ शादी के भोज में प्रवेश करेंगें। लेकिन जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि सभी दस कुंवारियां जो इंतजार कर रही थी उस शादी के भोज में प्रवेश नही करेंगी।

सभी दस कुंवारियां जानती थी कि प्रभु आ रहा था और वे सभी उसका इंतजार कर रही थी। परन्तु उन में से पांच शादी के भोज में प्रवेश नही कर पाई। विश्वासियों के साथ भी इसी प्रकार है। केवल जब हम प्रभु के साथ मिलेगें जो हमारा दुल्हा है हम उद्धार पा सकते है और अन्नत जीवन का आनंद ले सकते है। परन्तु यहां तक कि उनमें से जिन्होंने सुसमाचार को ग्रहण किया है और अंगीकार करते है कि वे प्रभु पर विश्वास करते है उनमें से कुछ ऐसे लोग है जो उद्धार प्राप्त नही कर पांएगे।
वे निश्चित तौर पर सोचते है कि वे विश्वास करते है और चर्च जाते है और चर्च का कुछ काम भी करते है। परन्तु यदि वे स्वर्ग राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते। ये कितना बेहुदा है ? ये न केवल बेहुदा है परन्तु उसका परिणाम भी बहुत डरावना है।
इसलिए, हमें अपने मसीह जीवन को इस प्रकार से व्यतीत नही करना चाहिए। मूर्ख और बेतैयार दुल्हनों के समान। परन्तु हमारे पास सच्चा विश्वास होना चाहिए जिसके साथ परमेश्वर की इच्छा जानते हुए हम उद्धार पाए।
इस सत्र में और अगले सत्र में, हम उन विषय पर नजर डालेगें जिसमें आप सोचते है कि आप विश्वास करते है लेकिन उद्धार प्राप्त नही कर पांएगें।
मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूँ कि आप संदेश के द्वारा साफ साफ समझ पांएगें कि किस प्रकार का विश्वास आप के पास होना चाहिए और अनन्त जीवन का आनंद लेने के योग्य हो पांएगें।
मुख्य
मसीह में प्यारे भाईयों और बहनो। मत्ती 7ः21 जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। यीशु को प्रभु प्रभु कहने का अर्थ है कि वे जानते है कि यीशु उद्धारकर्ता है। इसलिए इसका अर्थ है कि उनमें से जो यह अंगीकार करते है कि यीशु उनका उद्धारकर्ता है उनमें से कुछ ऐसे होगे जो स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नही करेंगे।
आगे की 22 और 23 आयतें कहती है, 22 उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए? 23 तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करनेवालों, मेरे पास से चले जाओ।
यहां तक कि वे कहते है कि वे प्रभु पर विश्वास करते है और यहां तक कि उन्होंने प्रभु के नाम में कार्यों को दिखाया हो, यदि वे कुकर्म करते है तो प्रभु उनसे कहते है कि तुम्हारा मुझ से कोई नाता नही है। 1 यूहन्ना 1ः6 कहता है यदि हम कहें, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है, और फिर अन्धकार में चलें, तो हम झूठे हैंः और सत्य पर नहीं चलते। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई जो इस संसार के असत्य में अपना जीवन व्यतीत करता है और कहता है कि परमेश्वर के साथ हमारी सहभागिता है। मैं परमेश्वर में विश्वास करता हूँ, उसका ऐसा कहना झूठ है।
परमेश्वर में विश्वास करना ज्योति में चलना है। और परमेश्वर के वचनों का पालन करना है। परन्तु यदि आप न तो पालन करते है और न ही ज्योति में जीवन बिताते है परन्तु अन्धकार में जीवन व्यतीत करते है इसका अर्थ है आपके अन्दर सत्य नहीं है।
यदि तौभी आप कहें कि आप परमेश्वर पर विश्वास करते है और उसके साथ सहभागिता है। या आप अपने चरवाहे से प्रेम करते है तो यह झूठ है।
मत्ती 13ः40-42 सो जैसे जंगली दाने बटोरे जाते और जलाए जाते हैं वैसा ही जगत के अन्त में होगा। 41 मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा, और वे उसके राज्य में से सब ठोकर के कारणों को और कुकर्म करनेवालों को इकट्ठा करेंगे। 42 और उन्हें आग के कुंड में डालेंगे, वहां रोना और दांत पीसना होगा।

आग के कुंड का अर्थ है नर्क की आग। जैसे कि किसान कटनी के समय गेहूँ से भूसी को अलग करता है, प्रभु उन लोगों को अलग करेगा जिनके पास झूठा विश्वास है। वे जो भूसी के समान है, इस संसार के अंत में, वो न्याय का समय है।
वो उन्हें, जो व्यवस्था का विरोध करते है और दूसरों के गिरने का कारण है हालॉकि वे कहते है कि वे विश्वास करते है, आग के कुंड, नर्क की आग में डाल देगा। हॉलाकि वे रविवार को चर्च जाते है, दशमांश देते है और धन्यवाद की भेंटें देते है और चर्च के बहुत से दूसरे काम करते है। वे जो व्यवस्था का विरोध करते है उन्हें अधंकार में अपने दातों को पीसना होगा।
मसीह में प्यारे भाईयों और बहनों तो वो कौन है जो व्यवस्था के विरोध में काम करते है। 1 यूहन्ना 3ः4 कहता है जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है; ओर पाप तो व्यवस्था का विरोध है। ये है व्यवस्था का विरोध करना और परमेश्वर के वचनों को उल्लंघन करने का पाप जो कि सत्य की व्यवस्था है।
वे जो उन कामों को करते है जिन्हें बाइबल करने से इंकार करती है, वे जो उन चीजों का नही निकाल फेंकतें है जिन्हे बाइबल फेंकने को कहती है और वे जो उन चीजों का नही रखते जिसे बाइबल रखने को कहती है, ये वे ही है जो पाप करने में फूर्ति करते है।
1 कुरिन्थियों 6ः9-10 कहता है क्या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे? धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्त्तिपूजक, न परस्त्रागामी, न लुच्चे, न पुरूषगामी। 10 न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देनेवाले, न अन्धेर करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे।
परमेश्वर कह रहे है कि ये लोग नर्क में गिर जाऐगें, स्वर्ग के राज्य में नही। लालची होना, भोजन या पैसों लालच होना है। गाली देने वाले वे है जो दूसरों की बदनामी करते और श्राप देते है। चोर वे है जो बल से दूसरों की चीजों को या पैसो को छीन लेते है।
लेकिन कुछ लोग उन लोगों को प्रलोभित करने की कोशिश करते है जो परमेश्वर के वचन के अनुसार जीने की कोशिश करते है और कोशिश करते है कि कुछ अधार्मिकता न करें। उदारण के लिए। आइए हम विश्राम दिन के विषय को मान लें। हमारे विश्वासी अपने समय को खर्च करते हुए पूरे रविवार को आराधनाओं में और विश्वासी भाईयों के साथ संगती करने के द्वारा अर्पित करते है।
परन्तु वे जो आप को प्रलोभित करते है वे आपको आराधना सभा में शामिल होने को कहते है और फिर सांसारिक आंनद में पड़ने को कहते है। वे आपको इस प्रकार से कह सकते है कि रविवार की केवल एक ही सभा में शामिल होइये आपको दूसरी सभा में शामिल होने की आवश्यकता नही है। वे आप से गोल्फ खेलने, मच्छलियां पकड़ने, पहाड़ों पर चढने, फिल्म देखने या खेलकूद क्रिड़ाए या फिर अधिक पैसा कमाने और सांसारिक बैठकों का आंनद लेने का आग्रह करते है।
वे कहते है आप क्यों इतना कठिन मसीह जीवन जीते हो? सभी दूसरे मसीह तो कुछ आराम से जीवन बीताते है और आप को इतना विशेष होने की क्या आवश्यकता है?
कोरिया में एक और खास व्यक्ति है। वो हमारे चर्च के सदस्यों से भी खास है। हाल ही में मैंने उसे समाचार पत्र में दो बार देखा। वह विश्व बेडुक प्रतियोगिता में अंतिम दौर तक पहुँची लेकिन अंतिम दौर रविवार के दिन था इसलिए उसने छोड़ दिया।
वो कहती है वो विश्राम दिन का उल्लंघन नही कर सकती इसलिए उसने छोड़ दिया। और फिर एक बार फिर वह एक और चैपिंयनशिप में अंतिम दौर तक पहुँची और अंतिम तौर फिर से रविवार को ही था और उसने ये कहकर फिर छोड़ दिया कि वह कभी भी विश्राम दिन का उल्लंघन नही कर सकती।
मुझे ऐसा लगा जैसे मैं हमारे किसी चर्च सदस्य को देख रहा था जिसका विश्वास महान हैं। मैं धन्यवादी हूँ कि इस प्रकार के विश्वासी भी है। परन्तु मैंनें पढ़ा कि उसके आस पास के लोग उसे सलाह दे रहे थे कि उसे इतना अधिक सख्त नही होना चाहिए। क्या हमें नरम होकर परमेश्वर के विरोध में खड़ा होना चाहिए?
ये सुन कर हमारे कुछ चर्च सदस्यों को झटका लग सकता हैं। आपके बच्चे और विद्यार्थी रविवार को बहुत सी परीक्षाएें देते है। आप मेरे पास उनके लिए प्रार्थना ग्रहण करने को आते है। परन्तु मैं उन्हे कुछ नही कह सकता क्यांकि यह उनके विश्वास का स्तर है। क्या मैं विश्राम दिन का उल्लंघन करूगां यहां तक कि यदि कोई मुझे बिलियन डॉलर भी दें? बिलकुल नही।
परन्तु मैं उन्हें कुछ नही कह सकता, लेकिन मैं उन्हे उनके लिए केवल अच्छी चीजों के लिए ही कहता हूँ। कि आप रविवार की पहली और दूसरी सभी में आ सकते है या फिर यह कि आप कम से कम शाम की सभा में भाग ले सकते है और यदि उसके लिए भी समय नही है तो आप को कम से कम भोर की प्रार्थना सभा में भाग लेना चाहिए और पूरे हृदय के साथ दिन को बिताएं जैसे कि आप चर्च में विश्राम दिन को मान रहे हों।
परन्तु मैं उन्हे ये नही सिखा रहा कि आप विश्राम दिन को न मानो, क्योंकि यह इस तरह से है कि यदि मैं उन्हें कहूँ कि सम्पूर्ण विश्राम दिन को मानो तो वे ठोकर खा सकते है। क्योंकि उनका विश्वास कमजोर है। उन्हें बहुत कठिन महसूस हो सकता है। क्योंकि उन्होंने भी अपनी परीक्षा के लिए अपने भविष्य जीवन के लिए अपनी खूब मेहनत की इसलिए मैं उन्हें नही कह सकता कि तुम इसे छोड़ दो।
परन्तु यदि आपका विश्वास बढ़ता है और आप महसूस करते है कि प्रभु का आगमन नजदीक है तो फिर आप को पूछना भी नही है। आप अपने विश्वास के अनुसार कार्य कर सकते है। लेकिन आपको ऊपर बताए गए प्रलोभन को ग्रहण नही करना चाहिए।
क्योंकि यदि वे इस प्रकार से अपना हृदय अत्यधिक सांसारिक बातों में लगा देगे तो क्या आप को लगता है कि उनके लिए सचमुच अपने आप को आत्मा और सच्चाई के साथ जीवता बलिदान करने की संभावना है।
यदि आप आराधना सभाओं को अंदेखा करते है जो विश्वास में सबसे आधारित चीज हैं तो आप परमेश्वर से सभी दूसरे मामलों में भी दूर हो जाएगें।
यदि आप प्रलोभनों को ग्रहण करते है, आप किसी प्रकार का व्यापार करते है तो आप धोखा दे सकते है या फिर कोई गलत व्यापार संबंधी कार्य कर सकते है। जैसे सांसारिक लोग कहते है कि हर कोई ऐसा कर रहा है तो मैं भी ऐसा किये बगैर जीवन व्यतीत नही कर सकता हूं।
लेकिन हम देख सकते है कि यह एक प्रमाण है कि आप के पास विश्वास नही है। जब आप के पास विश्वास है तो आप अपने आप को सांसारिक लोगों के साथ क्यों तुलना करते हो? यदि आप उचित मार्ग पर चलते है तो आप परमेश्वर के कामां को देखेंगे जिसके लिए कुछ भी अंसभव नही है। यदि आप सांसारिक लोगों के मनों और विचारों के अनुसार कार्य करते है तो हम कैसे कह सकते है कि आप परमेश्वर पर विश्वास करते हैं।
आप में से कुछ यद्यपि आप वरिष्ठ सेवक या सेविका हैं तो भी शराब पीते है और सिगरेट पीते है। और प्रभु को ग्रहण करने से पहले के जैसे आप गुस्सा करते है और कामतूर जीवन व्यतीत करते है। परन्तु आप सोचते है कि मैं तो चर्च जाता हूँ इसलिए मेरा उद्धार हो गया है। प्रभु के लहू के द्वारा मुझे माफी मिल गई है।
परन्तु गलातियों 5ः19-21 कहता है शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात् व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन। 20 मूर्त्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म। 21 डाह, मलवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के ऐसे और और काम हैं, इन के विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूं जैसा पहिले कह भी चुका हूं, (यह पुराने नियम में बहुत बार कहा गया था) कि ऐसे ऐसे काम करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।
क्या आपका उद्धार इसलिए नही होगा की आप में झगड़े और जलन पाई जाती है? जी हाँ। वे जो आसानी से गुस्सा करते है कृप्या मुझे सावधानी से सुने। मैंने ग्रेंड पेरिश पास्टर की एक गवाही सुनी। जब वह एक घर में आराधना करने के लिए गये, वहां पर एक बच्चा था जिसके हाथ और पैर मुड़ गए थे और वे कठोर हो गये थे। उसके माता पिता ने कहा कि ऐसा पहले भी हुआ था इस कारण वे सीनियर पास्टर के पास गये थे और प्रार्थनाओं को ग्रहण किया। और उनकी प्रार्थना के तुरंत बाद वह ठीक हो गया था। परन्तु जब ग्रेंड पेरिश पास्टर घर पर आराधना के लिए आए तो वही चीज फिर से हो गई।
इसलिए पास्टर ने कहा, अवश्य ही माता पिता के साथ कुछ समस्या है। उन्होंने ही परमेश्वर के सामने कोई पाप किया है। तब उस बच्चे के पिता ने यह अंगीकार किया कि, उसका उसकी पत्नी से विवाद हुआ और विश्राम दिन का उल्ल्ांघन कर दिया। मैं चर्च नही गया। उसने यह भी कहा कि वह उपवास के साथ पश्चताप करेगा। यह अंगीकार करने पश्चताप करने के बाद फिर ग्रेंड पेरिश पास्टर ने बच्चे के लिए प्रार्थना की और तब उसके हाथ और पैर खुल गए और वह चंगा हो गया।
परमेश्वर ने इस परिवार को इस प्रकार से क्यों आशिष दी। यह बच्चा एक बार मेरी प्रार्थनाओं को ग्रहण करने से ठीक हो गया था तो क्यो उसके साथ वह चीज फिर से हुई? जब मैंने शत्रु दुष्ट को आज्ञा दी तो मेरे अधिकार के कारण वह निकल गया। परन्तु इस बच्चे के पिता ने पश्चाताप नही किया था इसलिए वह फिर से उसके अन्दर चला गया।
जब मैं उसके आसपास नही था। जब बच्चा मेरे अधिकार क्षेत्र से बहार था तो दुष्ट फिर से उस में समा गया। यह न्याय के अनुसार है। परमेश्वर न्याय के कारण उस बच्चे को सुरक्षा नही दे पाए।
इसलिए जब बच्चे के पिता ने गं्रेड पेरिश पास्टर के सामने पश्चताप किया और उसकी प्रार्थनाओं का ग्रहण किया। तो बच्चा समान्य हो गया। मैंने सुना कि वे माता पिता ने लगातार पश्चाताप किया और अब शान्ति की भेंट देने वाले है। और मेरी प्रार्थनाआें को ग्रहण करने के लिए आने वाले है।
जब हम विश्राम दिन को पवित्र मानते है तो हम परमेश्वर की सुरक्षा में है। परन्तु अन्यथा शैतान कार्य करना शुरू हो जाता है। आप में से कुछ व्हीलचेयर पर बैठा करते थे परन्तु प्रार्थना के द्वारा खडे़ हो गये। परन्तु उन में से कुछ जो उठ खडे़ हुए थे फिर से वापस व्हीलचेयर पर बैठ गये।
क्यो? मेरी आज्ञा से, शत्रु दुष्ट और शैतान भाग गया और वे खडे हो गये। तो वो स्वस्थ हो जाते यदि वे वापस जाते और अपने पापों से पूरी तरह से पश्चताप करते परन्तु क्योंकि कि उन्होंने अपने पापों का पश्चाताप नही किया इस कारण शैतान ने फिर से कार्य किया।
इस चर्च की शुरूआत से ही मैं एक साल में एक या ज्यादा बार, बसंत मे या पतझड़ में सदस्यों के घर जाता था। जब मैं एक घर में गया वहां पर अजगर कुंडल बनाकर कमरे में बैठा था। वहां पर एक पति जो लकवे से ग्रसित था और लम्बे समय से अपने अंगों को इस्तेमाल नही कर सकता था। उसका शरीर कठोर हो गया था। और जब मैंने उसके घर में उसके लिए प्रार्थना की तो वो अजगर घर छोड़ कर भाग गया।
वह भाग गया क्योंकि मैंने उसे निकाल दिया। परन्तु जब सभा समाप्त हो गई और मैं वापसी के लिए बाहर आया मैंने देखा कि वह अजगर घर के आसपास था और जैसे ही हम वापस बाहर आए वो फिर से अन्दर चला गया। इसलिए इसका कोई उपयोग नही रह जाता यदि आप पश्चाताप नही करते है।
केवल जब आप पूरे हृदय से पश्चताप करते है तो परमेश्वर आप के लिए कार्य करेगा। परन्तु क्योंकि आप नही करते इसलिए परमेश्वर की सुरक्षा में नही रहते। प्रार्थनाओं से चंगाई पाने के बाद आप को अपने पापों से पूरे हृदय से पश्चाताप करना चाहिए और पाप की दीवार को ढा देना चाहिए ताकि परमेश्वर आप को पवित्र आत्मा की अग्निमय दीवारों से सुरक्षा दे सकें। और फिर बीमारियां और निर्बलताएं आपके पास वापस नही आ सकती बल्कि आप स्वस्थ हो जाऐगें।
जैसे कि लिखा है “जैसा पहिले कह भी चुका हूं,“ यह पुराने नियम में भी चिताया जा चुका है और हमेशा से यीशु के द्वारा, उसके चेलों के द्वारा और परमेश्वर के दूसरे जनों के द्वारा। यहां तक कि आप प्रभु में अपने विश्वास का दावा करते है यदि पापों से नही फिरते है बल्कि व्यवस्था का विरोध का कार्य करते है तो आप परमेश्वर के राज्य के वारिस नही हांगे। आप केवल नर्क में गिर जाऐंगे।
शरीर के कामों के अलावा जो गलातियों में दिये गये है, रोमियों 14ः23 का दूसरा हिस्सा कहता है और जो कुछ विश्वास से नहीं, वह पाप है। जो कुछ विश्वास से नहीं, वह पाप है। बहुत से लोग जब वे बीमार पड़ जाते है वे संसार पर, अस्पतालों पर निर्भर रहते है। परन्तु केवल जब डाक्टर कहता है कि कोई उपचार नही है तब आप मेरे सामने प्रार्थनाओं के लिए आते है। तब वे क्या कहते है? वे कहते है मैं विश्वास करता हूँ कि मैं प्रार्थना से चंगा हो जांऊगा। लेकिन क्या ये अंगीकार सच्चा है? यह झूठ हैं। उन्हांने पूरी तरह से संसार पर भरोसा रखा और जब असंभव हो गया तब वे मेरे पास प्रार्थनाओं को ग्रहण करने के लिए आए और कहते हैं कि वे विश्वास करते है। उन्होंने बहुत सा पैसा और समय अस्पतालों में खर्च किया। उन्हें उससे पहले आना चाहिए था। वे अब झूठा अंगीकार करते है। और याकूब 4ः17 कहता हे इसलिये जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है। यदि आप जानते है कि यह भलाई और सत्य और उसे नही करते तो यह निश्चय पाप है। आखिरकार कुछ भी जो परमेश्वर को नही भाता वह पाप और व्यवस्था का विरोध है। तो फिर यहां पर आपके पास प्रश्न हो सकता है? उदाहरण के लिए यदि एक नए विश्वासी का उद्धार नही होगा सिर्फ एक झूठ बोलने के कारण तो बहुत से लोग वास्विकता में कैसे उद्धार प्राप्त कर पाऐंगे?
जी हाँ, कुछ ऐसे भी झूठ है जो मृत्यु की ओर नही ले जाते है और कुछ ऐसे झूठ है जो मृत्यु की ओर ले जाते है। कुछ ऐसे पाप है जो मृत्यु की ओर ले जाते है और कुछ ऐसे है जो नही ले जाते। मैं झूठ बोलने का एक उदाहरण आपको देता हूँ।
आप अक्सर झूठ बोलते है। आप में से कुछ बिलकुल झूठ नही बोलते है। मान लीजिए आप में से कुछ लोगों ने दानिय्येल प्रार्थना सभाओं में हिस्सा नही लिया और आपका सैल लीडर यह जानता है। और आपका सैल लीडर आप से कहता है, बहन आप प्रार्थना क्यों नही करते? आप हमेशा दानिय्येल प्रार्थना क्यों छोड़ देते है?
आप ने कुछ बार छोड़ी लेकिन आपका सैल लीडर कहता है आप ने हमेशा से छोड़ी है। यह झूठ है। वहां पर कुछ स्वादिष्ट है एक जन ने उसे खाया और उसमें से आधा छोड़ दिया और दूसरा जन कहता है आपने इसे सब खा लिया, केवल आधा ही बचा है इसलिये यह भी झूठ है।
यदि आप इस प्रकार के झूठ से उद्धार नही पाओंगे तो फिर उद्धार कौन पा सकेगा? आप को इस प्रकार का झूठ नही बोलना चाहिए। आप अपने आप को बदल रहे है। इसका अर्थ यह नही कि आप इस प्रकार के झूठ से उद्धार नही पाओंगे। लेकिन आप अच्छे स्वर्गीय स्थानों में प्रवेश नही कर पाओगे क्योंकि आप पवित्र नही हो। परन्तु उदारण के लिए, यदि आप अपने लाभ के लिए किसी को लुटते हो तो ये गंभीर बुराई है। यदि आप सचमुच किसी को धोखा देने के लिए झूठ बोलते हो तो यह एक बड़ा झूठ है। दूसरों को धोखा देना और अपने लाभ के लिए दूसरों का नाश की ओर अगुआई करना यह झूठ बहुत बड़ी बुराई के साथ है। कुछ ऐसे झूठ है जिनमें कोई बुराई नही पाई जाती और कुछ ऐसे है जिनमें बड़ी बुराई पाई जाती है। यदि आप इन बुराईयों से पश्चाताप नही करते हैं तो आप उद्धार नही पा सकते। आपके पास चीजों की सही से पहचान होनी चाहिए।
हालांकि प्रभु को ग्रहण करने के तुरन्त बाद आप अपने पापों को निकाल नही सकते। परन्तु तो भी यदि आप ने आने सारे पापों को दूर नही किया हो यदि आप अपने बदलाव के लिये प्रार्थना करते है तो आप बदलाव की प्रक्रिया में होते है और इसका अर्थ है कि आप के पास विश्वास है।
परमेश्वर यह नही कहते है कि आप अधर्मी है परन्तु आपको ग्रहण करता है कि आपके पास उद्धार का विश्वास है परन्तु यदि आप पापों को भी दूर करने की कोशिश नही करते और शारीरिक कामों को करते रहते है और सांसारिक चीजों के साथ और भी दागी हो जाते है तो फिर यहां तक कि आप अंगीकार करें कि मैं विश्वास करता हूँ, यह केवल एक झूठ ही हो सकता है।
यह सत्य नही है। इसलिए यदि आप प्रभु में सचमुच विश्वास करते है, तो जब आप गलती से पाप करते है तो आप को जितना जल्दी हो सके उसे एहसास करना है और तेजी से सिद्ध हृदय में बदल देना है।
उन माता पिता के बारे में जिनके बच्चों के हाथ मुड़े हुए थे यदि वे तुरन्त पश्चाताप करते और मेरी प्रार्थनाओं को ग्रहण तो ऐसा नही हुआ होता।
यदि उसके पिता यह अंगीकार करते हुए पश्चाताप करते कि मैंने अपनी पत्नी से विवाद किया और क्रोधित हुआ इसलिए मैंने विश्राम दिन का पवित्र नही माना तो केवल प्रार्थना ग्रहण करने से ही वह समाप्त हो जाता परन्तु क्योंकि उसने पश्चाताप नही किया इसलिए बीमारी मेरी प्रार्थना से चली तो गई लेकिन फिर से वापस आ गई।
साथ ही, मैं नही जानता कि उसने किस प्रकार का विवाद अपनी पत्नी से किया, उसे विश्राम दिन पवित्र रखना चाहिए था। विवाद उसका अपनी पत्नी से हुआ है और विश्राम दिन का पालन करना परमेश्वर से जुड़ा है। और उसने उसका क्यों उल्लंघन किया। यहां तक कि उसने अपनी पत्नी के साथ विवाद कर भी लिया तो भी वह सभा में आ सकता था और शाम को वापस जा सकता था और फिर अपनी पत्नी से बातचीत कर सकता था। आप को कोई भी पाप की दीवार अपने और परमेश्वर के बीच में नही बनानी चाहिए।

विशेष तौर पर विश्राम दिन का पालन करने का संबंध सीधा जीवन से है। परमेश्वर आप को अपनी पत्नी से विवाद करना नही सिखाता। परन्तु पापों में, ऐसे पाप है जिनकी माफी हो सकती है और ऐसे भी पाप है जिन्हें माफ भी नही किया जा सकता है। बाइबल में हम देख सकते है कि ऐसे भी पाप है जिन्हें हमें बिलकुल नही करना चाहिए यदि हम परमेश्वर पर विश्वास करते है। अर्थात वे पाप जो मृत्यु की ओर ले जाते है। अर्थात वे पाप जिन्हें माफ नही किया जा सकता। 1 यूहन्ना 5ः16, 17 इस प्रकार से कहता है। यदि कोई अपने भाई को ऐसा पाप करते देखे, जिस का फल मृत्यु न हो, तो बिनती करे, और परमेश्वर, उसे उन के लिए, जिन्होंने ऐसा पाप किया है जिस का फल मृत्यु न हो जीवन देगा।(आप मृत्यु की ओर ले जाने वाले पापों के बारे में और मृत्यु की ओर न ले जाने वाले पापों के बारे में सुन चुके है। और आप जानते है कि वे क्या है।) जिस का फल मृत्यु हैः इस के विषय में, मैं बिनती करने के लिये नहीं कहता। 17 सब प्रकार का अधर्म तो पाप है, परन्तु ऐसा पाप भी है, जिस का फल मृत्यु नहीं।।

उनके लिए जो उन पापों को करते है जो मृत्यु की ओर नही ले जाते आप को मेहनत के साथ उनके लिए प्रार्थना करनी चाहिए और उन्हें चिताना ताकि वे उनसे मन फिराएं। परन्तु आप को यह भी मालूम होना चाहिए कि ऐसे भी पाप है जो मृत्यु की ओर ले जाते है। और उनकी माफी नही हो सकती। अब आइए हम उन प्रत्येक पापों को देखें जो मृत्यु की ओर ले जाते है।
पहला इशनिंदा है। पवित्र आत्मा के विराध में बोलना और कार्य करना।
मती 12ः31 कहता है। इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निन्दा क्षमा की जाऐगी, पर आत्मा की निन्दा क्षमा न की जाएगी। यदि आप पवित्र आत्मा की निंदा करते है तो आप पश्चाताप भी नही कर सकते और न ही मन फिरा सकते है। क्यांकि पश्चाताप करना और मन फिराना भी परमेश्वर के अनुग्रह से होता है। परमेश्वर से पश्चाताप की आत्मा मिलती है परन्तु वह देता इसलिए आप पश्चाताप नही कर सकते।
लूका 12ः10 कहता है जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहे, उसका वह अपराध क्षमा किया जाऐगा।
पवित्र आत्मा के विरोध में बोलना पूरी तरह से ऐसा ही है जैसा कहा गया है। उदारण के लिए, पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से हो रहे कामां को देखना, यदि आप इन्हें दुष्ट आत्माओं या शैतान के काम कहते है तो यह पवित्र आत्मा के विरोध में बोलना है। यह कहना कि पवित्र आत्मा गंदी दुष्ट आत्मा या शैतान है। और पवित्र आत्मा की निदां यह है, पवित्र आत्मा के हो रहे कामों को देखने के बाद अपनी बुराई के कारण परमेश्वर के कामां को नकारना और उन कामों में रूकावट डालना ताकि परमेश्वर के कार्य पूरे न हो।
उदाहरण के लिए, यह उस जन के विषय में घटना है जो दुर्भावनापूर्ण ढंग से झूठी अफवाह फैलाता है और चर्च के बारे में बुरी बातें करता है जहां पर पवित्र आत्मा के कार्य आश्चर्य ढंग से होते है। इस प्रकार से कि यह विधर्म गलत है। यह किसी मनुष्य की निंदा करना नही है जो केवल एकमात्र प्राणी है। परन्तु यह सृष्टिकर्ता परमेश्वर के विरोध में खड़ा होना है। और उसके कामां को पूरा होने में बाधा डालना है। इसलिए यह बहुत ही डरावना पाप है। ज्यादातर इस स्तर से परे जाना, यदि कोई पवित्र आत्मा के कामों के विरोध में खडे़ होने के लिए कोई युक्ति और योजना बनाता है। यह पवित्र आत्मा के विरोध में कार्य करना है। मरकुस 3ः20-22 में हम देख सकते है कि यहूदी पवित्र आत्मा के विराध में निंदा, विरोध में बातें और कार्य कर रहे थे यहां पर लिखा है, और वह घर में आयाः और ऐसी भीड़ इकट्ठी हो गई, कि वे रोटी भी न खा सके। 21 जब उसके कुटुम्बियों ने यह सुना, तो उसे पकड़ने के लिये निकले; क्योंकि कहते थे, कि उसका चित्त ठिकाने नहीं है (अर्थात लोग कह रहे थे कि यीशु उन्मादी और पागल हो गया है) । 22 और शास्त्री जो यरूशलेम से आए थे,(अर्थात वे जो बाइबल को दूसरों से बेहतर जानते थे) यह कहते थे, कि उस में शैतान है, और यह भी, कि वह दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।
जब यीशु ने दुष्टआत्माओं को निकाला वे कह रहे थे कि वह उन्हें दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है। हमारे प्रभु ने केवल भले काम किए। उसने गरीबों को आशा दी, उनकी बीमारीयों को चंगा किया और उन्हें स्वर्ग की आशा दी, उन्हे परमेश्वर के विषय में बताया और स्वर्ग और नर्क के बारे में।
परन्तु वे कह रहे थे कि वह धोखेबाज और बालजबूल के द्वारा लोगों को भरमा रहा है। क्या यीशु ने लोगों को पाप करने के लिए धोखा दिया। बजाए इसके उसने उन्हें पापों और बुराईयों को दूर करने के लिए भलाई से सहायता की। परन्तु वे कह रहे थे कि वह एक धोखेबाज है। उन लोगों मे जिन्होंने यीशु के बारे में सुना था, वे जिनके हृदय भले थे उन्होंने विश्वास किया और परमेश्वर को महीमा दी। परन्तु वो जो बुरे थे उन्होंने विश्वास नही किया परन्तु बजाए इसके उन्हें यीशु के बारे में बुरी बातें की और फैलाई। साथ ही, ये कोई अन्यजाति या फिर साधारण लोग नही थे जो परमेश्वर को नही जानते थे, ये वो शास्त्री थे जिन्होंने परमेश्वर के वचन का अध्ययन किया था और फरीसी थे।

उन्होंने सोचा की वे व्यवस्था से भली भांति परिचित है यहां तक कि उन्होंने पूरी व्यवस्था याद की हुई थी। परन्तु उन्हांने उसका अभ्यास नही किया। उन्हांने परमेश्वर के वचन को अपने हृदय में पूरा नही किया। इसलिए उनकी आत्मिक आखें अंधी हो गई थी। इसलिए वे यीशु को भी नही पहचान पाए जो कि स्वंय वचन है। और अन्त में वे पवित्र आत्मा के विरोध में खड़े हो गए और विरोध में बोले। मरकुस 3ः23-26 में लिखा है और वह उन्हें पास बुलाकर, उन से दृष्टान्तों में कहने लगा; शैतान क्योंकर शैतान को निकाल सकता है? और यदि किसी राज्य में फूट पड़े, तो वह राज्य क्योंकर स्थिर रह सकता है? चोसन वर्ष के 500 सालों के इतिहास में, दूसरे देशों ने उन पर अतिक्रमण किया क्योंकि उनमें आंतरिक फूट थी। और कोरियन युद्ध भी आंतरिक विभाजन के बाद ही खत्म हुआ। फूट किसी राष्ट्र को स्थिर नही रख सकता। और क्योंकि उनमें आज विभाजन है इसलिए बहुत सी बुरी घटनाएं होती है और अर्थव्यवस्था और दूसरी चीजें कठिनाई में है। हमें अपनी सारी बुद्धि के द्वारा राष्ट्र की भलाई करनी चाहिए। फिर ये देश एक मजबूत देश बनेगा। और यदि किसी घर में फूट पड़े, तो वह घर क्योंकर स्थिर रह सकेगा? यदि आपके घर में फूट पड़ें तो वहां शान्ति नही होगी। बच्चे हमेशा परेशान रहते है क्योंकि घर मे लड़ाइयां और विवाद होते है। इसलिए वे घर पर नही रहना चाहते और घर से बहार चले जाते है और बुरे दोस्तों के साथ घूमते और बुरे काम करते है। क्योंकि वे शान्ति में नही होतें उन्हें घर पर रहना परेशानी लगती है वो भी केवल अपनी पाप के चेहरे को देखकर। इसलिए वे घर पर नही रहना चाहते। इसलिए ये बच्चे अच्छे से बढ़ नही पाते है। उनका काम भी अच्छा नही चलेगा क्योंकि पापा हमेशा अपनी पत्नी के साथ लड़ते रहते है और उसके हृदय में कोई शान्ति नही होती। और यदि शैतान अपना ही विरोधी होकर अपने में फूट डाले, तो वह क्योंकर बना रह सकता है? उसका तो अन्त ही हो जाता है। ये वही है जो हमारे प्रभु ने कहा। शैतान एक दूसरे के विराध में नही झगड़ेगा। एक देश या एक परिवार स्थिर नही रह सकता यदि उनमें अंदरूनी समस्याऐं हो। यहां तक कि दुष्आत्माओं के संसार के क्रम भी कड़े होते है। दुष्ट आत्मा, दुष्ट आत्मा को नही निकालेगा और न ही शैतान, शैतान को।
कुछ कहते है कि टोना करने वाली या जादू करने वाले जब झाड़ फूंक करते है तो दुष्ट आत्मा शांत हो जाती है। यह इसलिए नही होता है कि शैतान न शैतान को निकाला हो। यह इसलिए होता है क्योंकि लोग उसकी पूजा करते है और झाड़ फूंक का भोजन उसे चढ़ाते है तो वह दुष्ट आत्मा कुछ क्षण के लिए शांत हो जाती है। क्योंकि वे कुछ समय के लिए शांत हो जाते है इसलिए दर्द चला जाता है। दुष्ट आत्मा आपको दर्द किसी रोगाणु या विषाणु से नही देता। वे केवल आपको दर्द महसूस कराते है। लेकिन कुछ समय बाद वे आपको बड़ा दर्द दे सकते है ताकि उनकी और भी अधिक आराधना की जाऐं। आप अपने उन रिश्तेदारों या पड़ोसियों को देखिये जो झाड़ फूंक करवाते है। क्या एक बार झाड़फूकं करवाना काफी होता है? उन्हें पूरा साल भर करवाना पड़ता है। संस्कार भोजन के बाद वे कुछ समय के लिए शांत हो जाते है। परन्तु यदि वे फिर से अपनी आराधना चाहते है तो वे फिर से आप को दर्द देते है। इसलिए एक साल में शायद पूरे परिवार के सदस्यों को झाड़फूंक करवाना पड़ता है।
जब लोग इनकी आराधना फिर से करते है तो वे फिर से कुछ क्षणों के लिए शांत हो जाती है। और फिर कुछ समय बाद वे फिर से अपना काम शुरू कर देगी। यदि यह चलता रहता है तो पूरा परिवार तबाह हो जाता है। उसका परिणाम नाश होता है। बच्चे में असाध्य रोग लग जाऐंगे या विकृति(विकलांगता) हो जाएंगी। आप दुष्टआत्माओं के धार्मिक क्रियाओं, झाडफूंक या ताबीज से नही भगा सकते है। ऐसा करने से आप उन्हें और भी अधिक बुलाते है। इसलिए दुष्टआत्माओं को भगाने के लिए आप के पास अवश्य ही दुष्ट आत्माओं से अधिक शक्तिशाली आत्मिक अधिकार होना चाहिए।
जो शैतान से ज्यादा शक्तिशाली है वह केवल एक परमेश्वर है। और हम दुष्टआत्माओं पर तभी नियत्रंण कर सकते है जब पवित्र आत्मा जो कि परमेष्वर के साथ एक है हमारे द्वारा कार्य करता है। आगे की 28-29 में आयत में लिखा है, मैं तुम से सच कहता हूं, कि मनुष्यों की सन्तान के सब पाप और निन्दा जो वे करते हैं, क्षमा की जाएगी। 29 परन्तु जो कोई पवित्रात्मा के विरूद्ध निन्दा करे, वह कभी भी क्षमा न किया जाएगाः वरन वह अनन्त पाप का अपराधी ठहरता है। पवित्र आत्मा परमेश्वर है। और यदि आप परमेश्वर के कामों की निंदा यह कहकर करते है कि यह तो दुष्टआत्माओं के काम है और यदि आप परमेश्वर के विरोध में बोलते और कार्य करते है तो आप कैसे बचाए जा सकते है। उदारण के लिए यदि बच्चे अपने माता पिता पर थूकता, थप्पड़ मारता या कठोर शब्दों का इस्तेमाल करता है तो फिर उन्हें अपने माता पिता को यहां तक कि पापा या मम्मी कहकर नही बुलाना चाहिए।
चाहे आपका जीवन विश्वास में कितना ही उत्साहपूर्वक चलता हुआ क्यों न जान पड़ें, यदि आप पवित्र आत्मा की निंदा करते है तो यह संपूर्णता से परमेश्वर के विरोध मे खड़ा होना है। यदि परमेश्वर के कार्य कही पर होते है तो वे जिनके पास भला हृदय है और परमेश्वर से बातचीत करते हैं वे आनन्दित होंगे और परमेश्वर को महीमा देंगे। परन्तु कुछ लोग यहां तक कि वे कहते है कि वे परमेश्वर पर विश्वास करते हैं परन्तु वे जलन रखते है और पवित्र आत्मा के कामों की निंदा करते है। वे कहते हैं चिन्हों और चमत्कार तो 2000 वर्ष पहले ही हुआ करते थे। प्रकाशन और परमेश्वर से बातचीत का जमाना तो बहुत पहले गुजर चुका है। यदि वे इस प्रकार से पवित्र आत्मा के कामों के विषय मे कहते है जैसे कि मानो वे शैतान के काम हों और जो उन कामों को प्रकट करते है उन्हें विधर्मी कहते हैं तो यह पवित्र के विरोध मे निंदा है।
यूहन्ना 4ः48 कहता है यीशु ने उस से कहा, जब तक तुम चिन्ह और अद्भुत काम न देखांगे तब तक कदापि विश्वास न करोगे। साथ ही यीशु ने और प्रेरित पौलुस ने जीवित परमेश्वर की गवाही चिन्हों और चमत्कारों को प्रकट करने के द्वारा दी। स्तिफुनिस और फिल्लिपुस ने अदभुत चमत्कारों का प्रदर्शन किया हॉलाकि वे केवल डीकन थे। और इन के द्वारा बहुत से लोगों ने परमेश्वर पर विष्वास किया। परमेश्वर जो कल आज और हमेशा एक सा परमेश्वर है वह चिन्हां और चमत्कारों को उन के द्वारा प्रकट करता है जिस से वह प्रसन्न होता है। इन कामों के द्वारा वह अपनी गवाही देता है।
इस प्रकार से यदि कोई व्यक्ति परमेश्वर के काम जो पवित्र आत्मा के द्वारा प्रकट किये गये है के विरोध में बोलता है तो यह निंदा करना और परमेश्वर के विरोध मं खड़ा होना है। और इस पाप के लिए कोई क्षमा नही हो सकती। यदि कोई पवित्र आत्मा की निंदा करता है और साथ ही कहता है कि वह परमेश्वर पर विश्वास करता है और बाइबल जानता है तो वह भलाई से बहुत दूर है और उसका परमेश्वर से कोई नाता नही है। इसलिए परमेश्वर कहता है कि इस प्रकार का व्यक्ति न तो इस युग में और न ही आने वाले युग में क्षमा किया जाएगा। परन्तु जैसा कि कहा गया है। कि प्रत्येक जो मनुष्य के पुत्र के विरोध में बोलेगा वह उसके लिए माफ किया जाएगा। कुछ मामलों में वह जिसने पवित्र आत्मा नही पाया है वह सत्य नही जानता है वह पवित्र आत्मा के कार्यो की निंदा कर सकता है।
यह परमेश्वर के विरोध में खड़ा होना नही होता। परन्तु इसे मनुष्य के पुत्र के विरोध में बोलना माना जाता है। इसलिए यदि वे लगातार पश्चाताप करते है वे माफ किये जा सकते है। दूसरे पाप के विषय में जो मृत्यु की ओर ले जाता है, मैं आपको अगले सत्र मे बताऊंगा।

निष्कर्ष

मसीह में प्यारे भाईयों और बहनां, पहले जब में दूसरी कलिसीयाओं में जागृति सभाओं में प्रचार करता था मैंने मृत्यु की ओर ले जाने वाले पापों के विषय में प्रचार किया। फिर सदस्यों ने और यहां तक कि लीडरों को भी हैरानी हुई और कहने लगे कि वे बाइबल के एसे वचनों को नही जानते थे। यहा तक कि जब मैंने यह प्रचार किया कि वे जो अनियमितता करते है वे बचाए नही जाएंगे चाहे वे प्रभु प्रभु भी कहते हो। बहुत से लोगों ने कहा कि वे नही जानते थे कि ऐसे भी वचन है।
वे कहते है कि वे नही जानते थे कि ऐसे भी पाप है जो मृत्यु की ओर ले जाते है। वे निश्चित तौर पर बाइबल पढ़ते है परन्तु वे बाइबल में लिखे वचन को केवल ऐसे ही पढ़ कर आगे निकल जाते है। क्योंकि वे यहां तक कि बाइबल में साफ तौर पर लिखे हुए वचन को नहीं जानते। बहुत से लोग सत्य से भटक जाते है और परमेश्वर के विरोध में उठ खड़े होते है। इसलिए वह हमेशा परीक्षाओं और आजमाइशों में फंसे रहते है और अन्त में मृत्यु में मार्ग में चले जाते है। आपमें से जिन्होंने आज ये सदेंश सुना है मूर्खता के मार्ग पर नही जाना चाहिए परन्तु मैं आप से विनती करता हॅू कि आप सत्य और ज्योति मं परमेश्वर की संतान के समान वास करो। आज कल के दिनों में हमारे चर्च में एक बहुत ही लोकप्रिय पास्टर है। मसीह संसार मे पहले मेरा एक उपनाम होता है। दूसरे पास्टर मुझे उगता हुआ सूरज के नाम से पुकारते थे। वास्तव में उन्होने मुझे बहुत अच्छा नाम दिया।
और आजकल के दिनों में हमारे पास भोर का चमकता हुआ तारा है। आप उसे जानते है। क्यां परमेश्वर उनका इस्तेमाल करते है। वह बहुत ही साहसी है। पिछले कल शनिवार की स्तुति और आराधना में उसने हमारी मध्य और उच्च स्तरीय विद्यार्थियों को आसुओं के साथ पश्चताप कराया। क्यों परमेष्वर उसका इस्तेमाल करते है। वह इसलिए क्योंकि वह पहली और दूसरी आज्ञा को हमेशा पालन करता है। वो कौन सी है। सबसे पहले परमेश्वर से अपने पूरे हृदय पूरे मन और प्राणों से प्रेम रखना। उसने सभी सासांरिक चीजों से नाता तोड़ दिया है। और अब वह परमेश्वर से अपने पूरे हृदय पूरे मन, ताकत और जीवन से प्रेम रखता है और प्रभु और चरवाहे से भी। और उसके पास कुछ भी संसार की इच्छा नहीं है। कुछ भी शारीरिक नही।

उसने सब कुछ को छोड़ दिया है। और अपने अपने पूरे हृदय से मन और प्राणों से परमेश्वर से प्रेम रखता है। इसलिए उसने पहली आज्ञा को पूरा किया है। अगली उसने दूसरी आज्ञा को भी पूरा किया है। कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना क्यों? क्योंकि वह केवल परमेश्वर की ओर दृष्टि किये रहता है और परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलता है। वह आत्माओं को बचाने के लिए अच्छी से अच्छी कोशिश करता है। और स्वर्ग से बेहतर स्थानों की ओर अगुआई कर रहा है। जिसे परमेश्वर बहुत ज्यादा आनन्दित होता है। क्योंकि उसने परमेश्वर की आज्ञा को इस प्रकार से पूरा किया है। तो फिर परमेश्वर उसे क्यों इस्तेमाल नही करेगा? अब उसका परमेश्वर पर भरोसा है। परमेश्वर कह सकते है कि “मैं तुझ पर भरोसा कर सकता हूँ। और उसे परमेश्वर की सामर्थ्य देता है। और साथ ही जैसा की 1 यूहन्ना में लिखा है यदि हमारे हृदय में हियाव हो तो जो कुछ हम प्रार्थना मे मांगते है हम प्राप्त करते है।
क्योंकि उसने सांसारीक चीजों को दूर कर दिया है। और केवल परमेश्वर को देखता है तो उसके पास हियाव हो सकता हे। अब वह परमेश्वर से मांगेगा। इसलिए वह परमेश्वर के वचनों का प्रचार साहस के साथ करता है और हियाव के साथ। आप में से बहुतों ने उस को पिछले सप्ताह आंमिंत्रत किया था। और उससे सुनने के लिए और आप ने लगातार पश्चताप किया। बाइबल बिलकुल सत्य है।
क्योंकि उसने सांसारीक चीजों को छोड़ दिया है। उनके पास और भी अधिक साहसी विश्वास है। हाल ही में उसने प्रार्थना की और दो लोग व्हीलचेयर से उठ खड़े हुए। यदि हमारे पास्टर एक ऐसे व्यक्ति को एक साल मे खड़ा करते है तो कोई भी व्हीलचेयर पर नही होगा। परन्तु इस पास्टर ने इतने कम समय में ही दो लोगों को व्हीलचेयर से खड़ा कर दिया।
इसलिए मैं प्रभु के नाम से प्रार्थना करता हूॅँ कि आप हमेशा पवित्र आत्मा की सामर्थ्य का अनुभव करेगें जो हमारी मदद करता है हमारी अगुआई करता है और हमें आशिष देता है। और सीधे छोटे मार्ग से स्वर्ग राज्य की ओर हमें ले जाता है। आमीन।

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