विश्वास का परिमाण 9 – विश्वास का पहला स्तर

विश्वास का परिमाण 9 – विश्वास का पहला स्तर

रोमियों 12ः3
क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों,

अगर कोई बच्चा पैदा होने के बाद बड़ा नहीं होता तो यह बहुत बड़ी समस्या होती है।

यह कितना निराशाजनक होगा यदि उसके माता-पिता को उसे खाना खिलाना और नहलाना पड़े, और उसके साथ बातचीत भी न कर सकें क्योंकि वह इतने लंबे समय के बाद भी एक बच्चे के रूप में रहता है!

दूसरी तरफ एक सामान्य बच्चा जल्दी ही बड़ा हो जाएगा, समझदार हो जाएगा, अपने माता-पिता के दिल की बात समझ जाएगा और अपने माता-पिता को खुश करने के लिए समाज में एक आदर्श व्यक्ति भी बन जाएगा। विश्वासियों के साथ भी ऐसा ही है जो विश्वास के साथ नया जन्म लेते हैं।

यीशु मसीह पर विश्वास करना और उद्धार प्राप्त करना अंत नहीं है। चूँकि एक आत्मा विश्वास से दोबारा जन्म लेती है, उस व्यक्ति को उस समय से बड़ा होना पड़ता है।

मुझे आशा है कि इस संदेश के माध्यम से आपमें आात्मिक विश्वास होगा जिसके साथ आप उद्धार प्राप्त कर सकते हैं, और विश्वास के अधिक महान स्तर तक बढ़ सकते हैं।

मैं विश्वास के रचयिता और सिद्धकर्ता प्रभु के नाम पर प्रार्थना करता हूं कि आप शीघ्र ही मसीह के पूर्ण, परिपक्व माप तक पहुंच जाएं और परमेश्वर को प्रसन्न करें।

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, मैं आपसे विश्वास के पहले स्तर के बारे में बात करूँगा।

विश्वास के सभी परिमाणो को प्रत्येक की विशेषताओं के अनुसार पाँच स्तरों में विभाजित करते हुए, मैं विश्वास के सबसे छोटे परिमाण से शुरुआत कर रहा हूँ। विश्वास का पहला स्तर ’उद्धार प्राप्त करने का विश्वास ’ है। इसे ’पवित्र आत्मा प्राप्त करने का विश्वास’ भी कहा जा सकता है।

1 यूहन्ना 2ः12 के अनुसार जिसके बारे में हमने पिछली बार बात की थी, यह छोटे बच्चों का विश्वास है। प्रेरितों के काम 19ः2 में, हम प्रेरित पौलुस का यह प्रश्न पा सकते हैं, “जब तुमने विश्वास किया तो क्या तुम्हें पवित्र आत्मा प्राप्त हुआ?“

शिष्यों ने परमेश्वर में विश्वास किया और यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का बपतिस्मा भी प्राप्त किया, लेकिन उन्हें पवित्र आत्मा प्राप्त नहीं हुआ।

इसलिए, जब पौलुस ने यीशु मसीह की गवाही दी और उन पर हाथ रखे, तो पवित्र आत्मा उन पर उतरा। पवित्र आत्मा के कई दान प्रकट हुए जैसे अन्य भाषा में बोलना और भविष्यवाणी करना।

तो फिर, क्या आपकों पवित्र आत्मा प्राप्त हुआ? आप परमेश्वर की संतान तभी बन सकते हैं जब आप पवित्र आत्मा प्राप्त करेंगे। पवित्र आत्मा त्रिएक परमेश्वर, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में से एक है।

परमेश्वर उन लोगों के हृदय में पवित्र आत्मा भेजता है जिन्होंने सुसमाचार सुना और यीशु मसीह को स्वीकार किया। पवित्र आत्मा प्राप्त करने के लिए, आपको सबसे पहले यीशु मसीह का सुसमाचार सुनना होगा।

रोमियों 10ः17 कहता है, “सो विश्वास सुनने से (आता है), और सुनना मसीह के वचन से होता है।“

अर्थात्, हम प्रभु पर तभी विश्वास कर सकते हैं जब हम समझेंगे कि यीशु मसीह कौन हैं और वह हमारे उद्धारकर्ता क्यों हैं। बेशक, यह इस स्तर पर ज्ञान के रूप में सिर्फ विश्वास है।

आप अच्छी तरह से जानते हैं कि केवल यीशु मसीह ही हमारा उद्धारकर्ता क्यों है, है के नही? आदम के पाप करने के बाद से, सारी मानवजाति मूल पाप के साथ पैदा हुई।

इसके अलावा, वे पापों के शासक शैतान की आज्ञा मानकर जीवन भर पाप करते रहते हैं। सभी मनुष्यों को नरक में गिरना था क्योंकि वे पापी थे जिनके पास मूल पाप और स्वयं किए गए पाप थे।

ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे अच्छे हैं, लेकिन सत्य के प्रकाश में वे भी निश्चित रूप से पापी हैं। जिस प्रकार सूक्ष्मतम धूल अत्यंत तेज प्रकाश में प्रकट हो जाती है, उसी प्रकार छिपी हुई बुराई भी परमेश्वर के वचन के प्रकाश में प्रकट हो जाएगी।

जैसा कि रोमियों 3ः10 में कहा गया है, “कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं;“ व्यवस्था की धार्मिकता के अनुसार कोई भी पापरहित नहीं है। लेकिन रोमियों 6ः23 कहता है, “क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का दान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।“


पापियों को मृत्युदंड अवश्य मिलना चाहिए, लेकिन यीशु ने क्रूस पर चढ़कर और मरकर पापियों के पाप की मजदूरी चुकाई। लेकिन चूँकि यीशु पापरहित था, उसने मृत्यु के अधिकार पर विजय प्राप्त की और तीसरे दिन पुनर्जीवित हो गया।

जो लोग इस तथ्य पर विश्वास करते हैं वे क्रूस के लहु की सामर्थ से पापों की क्षमा और उद्धार प्राप्त कर सकते हैं। प्रेरितों के काम 2ः38-39 में, हम पतरस को सुसमाचार का प्रचार करने के बाद लोगों को सलाह देते हुए देख सकते हैं।

यह कहता है, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे। क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्तानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिये भी है जिन को प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।
इसी तरह, यदि आप सुसमाचार सुनते हैं, अपना हृदय खोलते हैं, पश्चाताप करते हैं कि आप पापी हैं, और पापों की क्षमा प्राप्त करते हैं, तो, परमेश्वर आपके हृदय में पवित्र आत्मा भेजेंगे।

यदि आप प्रभु को स्वीकार करते हैं और पवित्र आत्मा प्राप्त करते हैं, तो, आपका नाम जीवन की पुस्तक में परमेश्वर की संतान के रूप में दर्ज किया जाएगा, और आपको स्वर्गीय राज्य की नागरिकता प्राप्त होगी।

जिस तरह हम स्थानीय सरकारी कार्यालय में एक बच्चे के जन्म का पंजीकरण कराते हैं, उसी तरह आपका नाम बचाए गए एक स्वर्गीय नागरिक के रूप में दर्ज किया जाता है।

जैसा कि यूहन्ना 1ः12 कहता है, “परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, (यहाँ तक कि) उन्हें, जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं,“

आपको परमेश्वर की सन्तान बनने का अधिकार मिलता है। यदि आप पवित्र आत्मा प्राप्त करते हो, तो आप विश्वास को केवल ज्ञान के रूप में नहीं रखोगे, बल्कि आप अपने हृदय से विश्वास करोगे।

आप विश्वास करेंगे कि यीशु एक कुंवारी के माध्यम से पैदा हुआ, और वह मरा और फिर जी उठा। आप विश्वास करेंगे कि यीशु आपका व्यक्तिगत उद्धारकर्ता है, कि वह आपको लेने के लिए फिर से आएगा, और विश्वासी अंतिम दिन फिर जी उठेंगे।

हम मानवीय ज्ञान और विचारों से इन बातों पर विश्वास नहीं कर सकते, लेकिन पवित्र आत्मा की मदद से हम अपने हृदय से इन पर विश्वास कर सकते हैं।

निःसंदेह, यह विश्वास अभी पूर्ण विश्वास नहीं है; यह तो बस सरसों के दाने जितना छोटा विश्वास है। जिस प्रकार सरसों का बीज बड़ा होकर एक बड़ा पेड़ बन जाता है, उसी प्रकार आपको एक अच्छा मसीही जीवन जीकर अपने छोटे विश्वास को बड़े विश्वास में बढ़ाना होगा।

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, विश्वास के पहले स्तर में, आपको पवित्र आत्मा प्राप्त हुआ है और आपका नाम जीवन की पुस्तक में दर्ज किया गया है, लेकिन आपने अभी तक परमेश्वर के लिए कुछ भी नहीं किया है।

आपने संघर्ष नहीं किया है और परमेश्वर के वचन को सुनकर और उसका पालन करके पापों को दूर नहीं किया है या कुछ चर्च कर्तव्यों को निभाते हुए परमेश्वर के राज्य के लिए ईमानदारी से काम नहीं किया है।

उदाहरण के लिए, लूका अध्याय 23 में जो अपराधी बचाया गया था वह विश्वास के प्रथम स्तर का है।

जब यीशु को क्रूस पर चढ़ाया जा रहा था, तो यीशु के क्रूस के दोनों ओर दो अपराधी थे जिन्हें क्रूस पर चढ़ाया जा रहा था।

अपराधियों में से एक ने अन्य दुष्ट लोगों के साथ-साथ यीशु की आलोचना की और उसका मज़ाक उड़ाया, लेकिन दूसरे अपराधी ने पहले अपराधी को डांटा और यीशु के सामने अपना विश्वास कबूल कर लिया।

लूका 23ः42 कहता है, तब उस ने कहा; हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना। “उसने अपनी आत्मा यीशु को समर्पित कर दी। यीशु ने उससे कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा॥

इस अपराधी ने यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार किया और अपने जीवन के अंतिम क्षण में स्वर्गीय राज्य का वादा प्राप्त किया। जब कोई इस तरह बमुश्किल बचाया जाता है, तो उसके लिए स्वर्गीय निवास स्थान स्वर्गलोक होगा।
मैंने पहले ही समझाया है कि ’ तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा ’ कहकर यीशु का मतलब यह नहीं था कि यीशु स्वर्गलोक में निवास कर कर रहा थे, बल्कि उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि यीशु पूरे स्वर्गीय राज्य के स्वामी हैं।

परंतु यदि इस अपराधी ने उद्धार प्राप्त करने के बाद विश्वास में जीवन व्यतीत किया होता, तो परिणाम भिन्न हो सकते थे।

वह पवित्र आत्मा की इच्छाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत करता क्योंकि पवित्र आत्मा उसके हृदय को प्रेरित कर रहा था। उसने पापों को त्याग दिया होता, अपने हृदय का खतना किया होता, और परमेश्वर के राज्य के लिए सुसमाचार का प्रचार करने और दूसरों की सेवा करने के लिए ईमानदारी से काम किया होता।

तो, वह विश्वास के पहले स्तर पर नहीं रुका होता बल्कि दूसरे और तीसरे स्तर तक बढ़ गया होता। तब, उसे स्वर्गलोक में नहीं बल्कि स्वर्ग में बेहतर निवास स्थान मिलता।

आपके साथ भी ऐसा ही है. यदि आपने विश्वास के साथ पवित्र आत्मा और उद्धार प्राप्त किया है, तो आपको यहीं नहीं रुकना चाहिए बल्कि आपके विश्वास को बढ़ते रहना होगा।

आपको ऐसे व्यक्ति के रूप में नहीं रहना चाहिए जो अंगीकार करता है, प्रभु, मैं विश्वास करता हूं,“ लेकिन सांसारिक लोगों से अलग नहीं है। आपके जीवन को ही मसीही जीवन में बदलना है।

अर्थात्, आपको परमेश्वर का वचन सुनना और सीखना चाहिए और अपने हृदय को पवित्र बनाने के लिए जो कुछ आप सीखते हो उसका पालन करना और उसका अभ्यास करना चाहिए।

आपको सुसमाचार का प्रचार करना चाहिए, चर्च की सेवा करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए, परमेश्वर के राज्य को पूरा करने के लिए ईमानदारी से काम करना चाहिए। आपको बेहतर स्वर्गीय निवास स्थानों की लालसा करनी चाहिए और बलपूर्वक उस ेले लेना चाहिए।

मसीह में प्रिय भाइयों और बहनों, मैंने आपको पहले ही बताया था कि जो लोग विश्वास के प्रथम स्तर से बचाए गए हैं वे स्वर्गलोक में निवास करेंगे।

फिर, स्वर्गलोक कैसी जगह है? स्वर्गलोक, स्वर्गीय राज्य का सबसे निचला निवास स्थान है, लेकिन यह इतना सुखी, सुंदर और शांतिपूर्ण है कि इसकी तुलना इस पृथ्वी पर किसी भी स्थान से नहीं की जा सकती।

इस धरती पर भी कई प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल और खूबसूरत जगह हैं। आप में से कुछ लोग उन जगहों पर गए हैं या कम से कम आपने उन्हें टीवी पर या तस्वीरों में देखा है।

अब से, आप सबसे खूबसूरत, सुखद और सबसे खुशहाल जगह की कल्पना क्यों नहीं करते जिसके बारे में आप अपनी सभी यादों और कल्पना शक्ति के साथ सोच सकते हैं? आकाश साफ और नीला चमक रहा है, और सफेद बादल चित्र की तरह तैर रहे हैं।

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